मैथिली भाषा

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
मैथिली
Maithili, মৈথিলী
बोलने का  स्थान भारत तथा नेपाल
तिथि / काल 2017
क्षेत्र भारत के बिहार और झारखंड तथा नेपाल के तराई क्षेत्र
मातृभाषी वक्ता साँचा:sigfig मिलियन (लगभग 7 करोड)
भाषा परिवार
उपभाषा
केन्द्रीय (सोतीपुरा)
अंगिका (दक्षिणी मैथिली)
बज्जिका (पश्चिमी मैथिली)
देहाती
किसान
दक्षिणी नेपाली
ठेटिया
पश्चिमी
पूर्वी कुर्था
जोलाहा
लिपि देवनागरी
तिरहुता
राजभाषा मान्यता
नियंत्रक संस्था कोई संगठन नहीं
भाषा कोड
आइएसओ 639-2 mai
आइएसओ 639-3 mai
साँचा:location map
मैथिली क्षेत्र को दर्शाता मानचित्र

मैथिली भारत के बिहार और झारखंड राज्यों और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्द आर्य परिवार की सदस्य तथा मागधी परिवार[१] की भाषा है। इसका प्रमुख स्रोत संस्कृत भाषा है जिसके शब्द "तत्सम" वा "तद्भव" रूप में मैथिली में प्रयुक्त होते हैं। यह भाषा बोलने और सुनने में बहुत ही मोहक लगती है।

मैथिली भारत में मुख्य रूप से दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शिवहर, भागलपुर, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, वैशाली, सहरसा, रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर जिलों में बोली जाती है|

नेपाल के आठ जिलों धनुषा,सिरहा,सुनसरी, सरलाही, सप्तरी, मोहतरी,मोरंग और रौतहट में भी यह बोली जाती है। [२]

बँगला, असमिया और ओड़िया के साथ साथ इसकी उत्पत्ति मागधी प्राकृत से हुई है। कुछ अंशों में ये बंगला और कुछ अंशों में हिंदी से मिलती जुलती है।

वर्ष २००३ में मैथिली भाषा को भारतीय संविधान की ८वीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। तात्कालिन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयीजी ने मैथिली भाषा को ८वीं अनुसूची में सम्मिलित करने की घोषणा सुपौल जिला के निर्मलीमे किए थे।

सन २००७ में नेपाल के अन्तरिम संविधान में इसे एक क्षेत्रीय भाषा के रूप में स्थान दिया गया है।[३] भारत के झारखंड राज्य में इसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है|[४]

लिपि

पहले इसे मिथिलाक्षर तथा कैथी लिपि[५] में लिखा जाता था जो बांग्ला और असमिया लिपियों से मिलती थी पर कालान्तर में देवनागरी का प्रयोग होने लगा।[६] मिथिलाक्षर को तिरहुता या वैदेही लिपी के नाम से भी जाना जाता है।बौद्धों के प्राचीन ग्रंथ 'ललित- विस्तर' में इसका नाम “वैदेही" मिलता है |[७] लिपि शास्त्र के विद्वानों के अनुसार 'मैथिली लिपि' का विकास 'गुप्त लिपि' से माना जाता है। 'नागरी लिपि' का उत्तर पूर्वी भारत से प्रचार होने से बहुत पहले ही इस लिपि का विकास हो चुका था और इसी कारण से देवनागरी का प्रभाव इस लिपि पर नहीं दीख पड़ता। इस लिपि में लिखित पुस्तकों का पता जापान तथा चीन देश में भी मिलता है ।[८] यह असमिया, बाङ्ला व ओड़िया लिपियों की जननी है। ओड़िया लिपी बाद में द्रविड़ भाषाओं के सम्पर्क के कारण परिवर्तित हुई।

विकास

मैथिली का प्रथम प्रमाण रामायण में मिलता है। यह त्रेता युग में मिथिलानरेश राजा जनक की राज्यभाषा थी। इस प्रकार यह इतिहास की प्राचीनतम भाषाओं में से एक मानी जाती है। प्राचीन मैथिली के विकास का शुरूआती दौर प्राकृत और अपभ्रंश के विकास से जोड़ा जाता है। लगभग ७०० इस्वी के आसपास इसमें रचनाएं की जाने लगी। विद्यापति मैथिली के आदिकवि तथा सर्वाधिक ज्ञाता कवि हैं। विद्यापति ने मैथिली के अतिरिक्त संस्कृत तथा अवहट्ट में भी रचनाएं लिखीं। ये वह दो प्रमुख भाषाएं हैं जहाँ से मैथिली का विकास हुआ। भारत की लगभग 5.6 प्रतिशत आबादी लगभग 7-8 करोड़ लोग मैथिली को मातृ-भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं और इसके प्रयोगकर्ता भारत और नेपाल के विभिन्न हिस्सों सहित विश्व के कई देशों में फैले हैं। मैथिली विश्व की सर्वाधिक समृद्ध, शालीन और मिठास पूर्ण भाषाओं में से एक मानी जाती है। मैथिली भारत में एक राजभाषा के रूप में सम्मानित है। मैथिली की अपनी लिपि है जो एक समृद्ध भाषा की प्रथम पहचान है। नेपाल हो या भारत कही भी सरकार के द्वारा मैथिली भाषा के विकास हेतु कोई खास कदम नहीं उठाया गया है। अब जा कर गैर सरकारी संस्था और मीडिया द्वारा मैथिली के विकास का थोड़ा प्रयास हो रहा है। अभी १५/२० रेडियो स्टेशन ऐसे है जिसमें मैथिली भाषा में कार्यक्रम प्रसारित किया जाता है। समाचार हो या नाटक कला और अन्तरवार्ता भी मैथिली हो रहा है। किसी किसी रेडिओ में तो ५०% से अधिक कार्यक्रम मैथिली में हो रहा है। ये पिछले २/३ वर्षो से विकास हो रहा है ये सिलसिला जारी है। टीवी में भी अब मैथिली में खबर दिखाती है। नेपाल में कुछ चैनल है जैसे नेपाल 1, सागरमाथा चैनल, तराई टीवी और मकालू टीवी है।

साहित्य

स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

मैथिली साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है और चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी के कवि विद्यापति को मैथिली साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है। विद्यापति के बाद के काल में गोविन्द दास, चन्दा झा, मनबोध, पंडित सीताराम झा, जीवनाथ झा (जीवन झा) प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं।

स्थिति

भारत की साहित्य अकादमी द्वारा मैथिली को साहित्यिक भाषा का दर्जा पंडित नेहरू के समय १९६५ से हासिल है। २२ दिसंबर २००३ को भारत सरकार द्वारा मैथिली को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया गया है और नेपाल सरकार द्वारा मैथिली को नेपाल में दूसरे स्थान में रखा गया है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.400292/page/n41/mode/2up
  2. Lewis, M. P. (ed.) (2009). Maithili Ethnologue: Languages of the World. Sixteenth edition. Dallas, Texas: SIL International.
  3. [Government of Nepal (2007). स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Interim Constitution of Nepal 2007
  4. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  5. "Language, Religion and Politics in North India" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।. p. 67. Retrieved 1 April 2017.
  6. Yadava, Y. P. (2013). Linguistic context and language endangerment in Nepal। Nepalese Linguistics 28 स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। : 262–274.
  7. https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.400292/page/n47/mode/2up
  8. https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.400292/page/n49/mode/2up

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:sister