कामरुपी भाषा
colspan=3 style="text-align: center; font-size: 125%; font-weight: bold; color: black; background-color: साँचा:infobox Language/family-color" | कामरुपी | ||
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बोली जाती है | भारत | |
क्षेत्र | पश्चिम असम और उत्तर बंगाल | |
कुल बोलने वाले | ६० लाख | |
भाषा परिवार | ||
colspan=3 style="text-align: center; color: black; background-color: साँचा:infobox Language/family-color" | भाषा कूट | ||
ISO 639-1 | None | |
ISO 639-2 | – | |
ISO 639-3 | – | |
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'कामरुपी भाषा (अथवा पश्चिम असमी) ब्रह्मपुत्र घाटी और उत्तर बंगाल (कामरुप) मे बोली जाने वाली प्रथम आर्य भाषा है।[१] यह भाषाविदों के अनुसार विभिन्न पूर्वी भारत - यूरोपीय भाषाओं जैसे असमी का जन्मदाता है और उसे समय समय पर प्रभावित करता रहा।[२] यह कामरूप राज्य में पहली सहस्राब्दी मे भी बोली जाती थी और आज पश्चिम असम और् उत्तर् बंगाल मे प्रचलित है।
उपबोलियाँ
कामरुपी तीन् उपबोलीयो मे विभाजित है जोकि पश्चिम कामरूपी (बरपेटा क्षेत्र), मध्य कामरुपी (नलबाड़ी क्षेत्र) और दक्षिण कामरुपी (पलासबाड़ी क्षेत्र) है।[३]
विभाजन
ब्रिटिश भारत के दौरान कुछ बिंदु पर कामरूप असम और बंगाल के मध्य प्रशासनिक कारणों से विभाजित किया गया था और धीरे धीरे इस विभाजन के बाद एक ही कामरुपी को असमी और बंगाली की उपबोली मानी जाने लगी हालांकि असमी कामरुपी और बंगाली कामरुपी (उत्तर बंगाली) एक ही भाषा का प्रतिनिधित्व करता है।
महत्व
प्राचीन काल मे कामरुपी मगधी प्राकृत से उत्पन्न हुआ था।[४] सभी प्राचीन और मध्ययुगीन असमिया साहित्य कामरुपी में लिखे गये थे।[५][६]
साहित्य
साँचा:main कामरुपी भाषा का साहित्यिक विकास प्राचीन समय से आरंभ हुआ था। आठ शताब्दी मे दाक नामक साहित्यकार ने दाकभनीता नामक आधिकारिक गद्य लिखी थी। वो कामरुप के बरपेटा से था।[७]