जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर
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धर्म संबंधी जानकारी | |
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सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
देश | जिब्राल्टर |
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निर्माता | साँचा:if empty |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
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जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर ब्रिटिश प्रवासी शासित प्रदेश जिब्राल्टर में स्थित हिन्दू मंदिर है। वर्ष 2000 में निर्मित हुआ जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर इंजीनियर्स लेन पर स्थित है। यह जिब्राल्टर में मौजूद एकमात्र हिन्दू मंदिर है तथा क्षेत्र की हिन्दू आबादी के लिए आध्यात्म का केंद्र है। जिब्राल्टेरियन हिन्दू जिब्राल्टर की आबादी का लगभग 1.8 प्रतिशत हैं। इनमें से ज्यादातर लोग वर्तमान पाकिस्तान के सिंध राज्य से आए व्यापारीयो के वंशज हैं। मंदिर एक धर्मार्थ संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य जिब्राल्टर में हिन्दू सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण करना है। मंदिर में प्रमुख आराध्य राम हैं, जो अपनी धर्मपत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और परम भगत हनुमान के साथ मंदिर की प्रमुख वेदी में विराजमान हैं। इनके आलावा मंदिर में कई अन्य हिन्दू देवी-देवताओ की प्रतिमाएँ हैं। मंदिर में रोजाना शाम के 7:30 बजे आरती होती है तथा हर महीने की पूर्णिमा को सत्यनारायण कथा भी आयोजित की जाती है। मंदिर हिन्दू धर्म से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की धार्मिक कक्षाओं का भी आयोजन करता है।
जिब्राल्टर में हिंदुओं का आगमन
सबसे पुराने उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार जिब्राल्टर में सबसे पहले किसी हिन्दू ने उन्नीसवी सदी में कदम रखा था। 1869 में स्वेज नहर का शुभारंभ हुआ जिसके एक वर्ष पश्चात भारतीय व्यापारी जिब्राल्टर के साथ कारोबार करने लगे। हालांकि वे लोग यहाँ आकर नहीं बसे। इनमें से ज्यादातर व्यापारी वर्तमान पाकिस्तान के सिंध राज्य के मूल निवासी थे।[१]
1967 में आयोजित हुए जिब्राल्टर संप्रभुता जनमत संग्रह जिब्राल्टेरियन लोगो ने अत्यधिक रूप से ब्रिटेन की संप्रभुता के अंतर्गत रहने का ही निर्णय लिया। जिसके परिणामस्वरूप 1969 में जिब्राल्टर संविधान ऑर्डर पारित किया गया। जिसके जवाब में स्पेन ने जिब्राल्टर के साथ अपनी सीमा पूर्ण रूप से बंद कर दी तथा संचार की सभी कड़ियाँ तोड़ दीं।[२] परिणामस्वरूप स्पेन में ब्रिटिश नागरिकता के साथ रह रहे हिंदुओं ने जिब्राल्टर में पलायन शुरू कर दिया। 1961 में जिब्राल्टर की हिन्दू आबादी केवल 26 थी जो 1970 में बढ़कर 293 तक पहुँच गई।
ज्यादातर जिब्राल्टर के हिन्दू सिंधी मूल के हैं। हिंदुओं ने एकीकृत शिक्षा को अपनाया और धीर-धीरे समाज के अंदर की तयशुदा विवाहों की संख्या में भी गिरावट आ गई।[१] 1 मार्च 2000 के दिन जिब्राल्टर हिन्दू मंदिर का इंजीनियर्स लेन पर उद्घाटन हुआ तथा यह जिब्राल्टर का एकमात्र हिन्दू मंदिर है।[३] मंदिर का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन उस समय के जिब्राल्टर के राज्यपाल रिचर्ड लूस, बैरन लूस, ने किया था।[४]
भगवान और पूजा
मंदिर में इष्टदेव राम हैं, जो अपनी धर्मपत्नी सीता, भाई और परम भगत हनुमान के साथ हैं। मंदिर में सबसे सामने रखी मुख्य वेदी के आलावा चार छोटी वेदियाँ भी हैं: विष्णु-लक्ष्मी, सिद्धियो के इष्टदेव झूलेलाल, अपने सबसे छोटे पुत्र गणेश के साथ शिव-पार्वती और राधा-कृष्ण। मंदिर में सिख धर्म के संस्थापक और दस गुरुओ में से सबसे पहले गुरु नानक की प्रतिमा भी है। इसके साथ ही यहाँ शिरडी के सांई बाबा और देवी के उग्र रूप दुर्गा की भी प्रतिमाएँ हैं।[५]
रोजाना की आरती शाम 7:30 बजे होती है। सत्य साईं बाबा के सत्संग और मंत्रो का जाप भी मंदिर की दैनिक क्रिया का अहम हिस्सा हैं।[६] सत्यनारायण कथा हर महीने पूर्णिमा के दिन आयोजित की जाती हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान में मंदिर का पंडित विष्णु के कृपालु अवतार सत्यनारायण को समर्पित कथा पढ़ता है।[७]
अध्ययन कक्षाएँ
मंदिर हिन्दू सभ्यता और ग्रंथों से सम्बन्धित धार्मिक कक्षाओं का आयोजन करता है। अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ भी महीने में एक बार मंदिर में भगवद्गीता पर आधारित एक कक्षा का आयोजन करता है। बुधवार के दिन वेदान्त दर्शन से सम्बंधित कक्षा आयोजित होती है।[८]