झूलेलाल

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
झूलेलाल/ दरिया लाल / उदेरो लाल / लाल साई / जिन्दा पीर / جهوللال
साँचा:larger
Jhulelal hindu deity.jpg
सिंध के इष्ट देव
संबंध वरुण
अस्त्र तलवार
जीवनसाथी साँचा:if empty
संतान साँचा:if empty
सवारी मछली और घोड़ा

स्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

झूलेलाल सिन्धी हिन्दुओं के उपास्य देव हैं जिन्हें 'इष्ट देव' कहा जाता है। उनके उपासक उन्हें वरुण (जल देवता) का अवतार मानते हैं। वरुण देव को सागर के देवता, सत्य के रक्षक और दिव्य दृष्टि वाले देवता के रूप में सिंधी समाज भी पूजता है।[१] उनका विश्वास है कि जल से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और जल ही जीवन है। जल-ज्योति, वरुणावतार, झूलेलाल सिंधियों के ईष्ट देव हैं जिनके बागे दामन फैलाकर सिंधी यही मंगल कामना करते हैं कि सारे विश्व में सुख-शांति, अमन-चैन, कायम रहे और चारों दिशाओं में हरियाली और खुशहाली बने रहे।

भगवान झूलेलाल के अवतरण दिवस को सिंधी समाज चेटीचंड के रूप में मनाता है।[२] कुछ विद्वानों के अनुसार सिंध का शासक मिरखशाह अपनी प्रजा पर अत्याचार करने लगा था जिसके कारण सिंधी समाज ने 40 दिनों तक कठिन जप, तप और साधना की। तब सिंधु नदी में से एक बहुत बड़े नर मत्स्य पर बैठे हुए भगवान झूलेलाल प्रकट हुए और कहा मैं 40 दिन बाद जन्म लेकर मिरखशाह के अत्याचारों से प्रजा को मुक्ति दिलाउंगा। चैत्र माह की द्वितीया को एक बालक ने अरोड़वंशी ठक्कर परिवार में जन्म लिया जिसका नाम उडेरोलाल रखा गया। अपने चमत्कारों के कारण बाद में उन्हें झूलेलाल, लालसांई, के नाम से सिंधी समाज और ख्वाजा खिज्र जिन्दह पीर के नाम से मुसलमान भी पूजने लगे। चेटीचंड के दिन श्रद्धालु बहिराणा साहिब बनाते हैं। शोभा यात्रा में ‘छेज’ (जो कि गुजरात के डांडिया की तरह लोकनृत्य होता है) के साथ झूलेलाल की महिमा के गीत गाते हैं। ताहिरी (मीठे चावल), छोले (उबले नमकीन चने) और शरबत का प्रसाद बांटा जाता है। शाम को बहिराणा साहिब का विसर्जन कर दिया जाता है।[३][४][५]

श्री झूलेलाल की आरती

ॐ जय दूलह देवा, साईं जय दूलह देवा।
पूजा कनि था प्रेमी, सिदुक रखी सेवा।। ॐ जय...

तुहिंजे दर दे केई सजण अचनि सवाली।
दान वठन सभु दिलि सां कोन दिठुभ खाली।। ॐ जय...

अंधड़नि खे दिनव अखडियूँ - दुखियनि खे दारुं।
पाए मन जूं मुरादूं सेवक कनि थारू।। ॐ जय...

फल फूलमेवा सब्जिऊ पोखनि मंझि पचिन।।
तुहिजे महिर मयासा अन्न बि आपर अपार थियनी।। ॐ जय...

ज्योति जगे थी जगु में लाल तुहिंजी लाली।
अमरलाल अचु मूं वटी हे विश्व संदा वाली।। ॐ जय...

जगु जा जीव सभेई पाणिअ बिन प्यास।
जेठानंद आनंद कर, पूरन करियो आशा।। ॐ जय...

भगवान झूलेलाल के प्रमुख संदेश

  • ईश्वर अल्लाह हिक आहे।
    ईश्वर अल्लाह एक हैं।
  • कट्टरता छदे, नफरत, ऊंच-नीच एं छुआछूत जी दीवार तोड़े करे पहिंजे हिरदे में मेल-मिलाप, एकता, सहनशीलता एं भाईचारे जी जोत जगायो।
    विकृत धर्माधता, घृणा, ऊंच-नीच और छुआछूत की दीवारे तोड़ो और अपने हृदय में मेल-मिलाप, एकता, सहिष्णुता, भाईचारा और धर्म निरपेक्षता के दीप जलाओ।
  • सभनि हद खुशहाली हुजे।
    सब जगह खुशहाली हो।
  • सजी सृष्टि हिक आहे एं असां सभ हिक परिवार आहियू।
    सारी सृष्टि एक है, हम सब एक परिवार हैं।

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite book
  2. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  3. साँचा:cite book
  4. साँचा:cite book
  5. साँचा:cite book

बाहरी कड़ियाँ