अर्श-ए-इलाही
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अर्श-ए-इलाही या अर्शे इलाही (अंग्रेजी:Throne of God अरबी शब्द 'अर्श' से जुड़कर बने शब्द का शाब्दिक अर्थ "अल्लाह का सिंहासन" है। इब्राहीमी धर्म अर्थात यहूदी, ईसाई और इस्लाम जो अब्राहम(इब्राहिम) को ईश्वर का पैग़म्बर मानते हैं के ग्रन्थों में ईश्वर के सिंहासन विषय में विभिन्न रूप से बताया गया है।
विवरण
अर्श अरबी शब्द का अर्थ [१] ईश्वर का ठिकाना,आकाश छत के अर्थ में भी आता है।
इस्लाम
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स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। आयतुल कुर्सी को सिंहासन के रूप में जाना जाता है कुरआन में सबसे शक्तिशाली आयतों में से एक माना जाता है क्योंकि जब यह सुना जाता है, तो भगवान की महानता की पुष्टि की जाती है। जो व्यक्ति सुबह और शाम इस आयत का पाठ करता है वह अल्लाह की सुरक्षा में होगा।[२]
इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ क़ुरआन में अर्श छत और दूसरा राजसिंहासन (तख़्त,कुर्सी) दो अर्थों में प्रयोग हुआ है।
छत के रूप में
अथवा उस व्यक्ति के प्रकार, जो एक ऐसी नगरी से गुज़रा, जो अपनी छतों सहित ध्वस्त पड़ी थी? उसने कहाः अल्लाह इसके ध्वस्त हो जाने के पश्चात् इसे कैसे जीवित (आबाद) करेगा? (क़ुरआन 2:259)[३]
सिंहासन, तख़्त , कुरसी के रूप में
अल्लाह जिसके अतिरिक्त कोई वंदनीय नहीं, जो महा सिंहासन का स्वामी है। (क़ुरआन 27:26)
जो सिंहासन को उठाए हुए हैं तथा उसके आस-पास जो (फ़रिश्ते) अपने रब की प्रशंसा के साथ तसबीह करते हैं तथा उसपर ईमान लाते हैं, और ईमान लानेवालों के लिए क्षमा की प्रार्थना करते हैं कि ऐ हमारे रब, तूने अपनी दयालुता तथा ज्ञान से हर चीज़ को घेर रखा है, तो जिन लोगों ने तौबा की और तेरे मार्ग पर चले , उन्हें क्षमा कर दे और भड़कती हुई आग से सुरक्षित रख। ( कुरआन , सूरा -40 , अल - मोमिन , आयत -7 )
हदीस में
"अगर तुम अल्लाह से कुछ मांगों तो फिरदौस नामी स्वर्ग मांगो, क्योंकि यह स्वर्ग का सबसे ऊंचा और उत्तम भाग है। और उसके साथ अल्लाह का अर्श है और वही से जन्नत की नहरें निकलती हैं (हदीस बुखारी (7423)
विद्वानों के विचार
आयतों से स्पष्ट होता है कि अर्श कोई वस्तु है, जिसको अल्लाह ने पैदा किया है और फिर वह उसपर विराजमान है। इस विषय में हमारा ज्ञान बहुत कम है, क्योंकि हमारा मस्तिष्क सीमित है और अल्लाह का ज्ञान असीमित। अब सीमित, असीमित को अपनी परिधि में कैसे ले सकता है। इसलिए हम ग़ैब (परोक्ष) पर ईमान रखते हुए कुरआन की इन आयात और इन जैसी दूसरी आयतों तथा सहीह हदिसों में जो कुछ अर्श के विषय में आया है , उसपर ईमान रखते हैं। और हर प्रकार की अनुचित कल्पना से बचते हैं। यही वह सही नीति है, जो सहाबा और अन्य इस्लामी विद्वानों की रही है।[४]
ईसाई धर्म
ईसाई धर्म के कई लोग औपचारिक कुर्सी को भगवान के पवित्र सिंहासन के रूपक का प्रतीक या प्रतिनिधित्व करने के रूप में मानते हैं।
यहूदी
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ arsh-e-ilaahii का अर्थ | रेख़्ता https://sufinama.org/urdudictionary?keyword=arsh-e-ilaahii&lang=hi
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ Translation of the meanings Surah Al-Baqarah - Indian Translation - The Noble Qur'an Encyclopedia https://quranenc.com/en/browse/hindi_omari/2#259
- ↑ "अर्श"- प्रो. डॉक्टर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया, हिंदी संस्करण(2010), पृष्ठ 77