खुला
यह लेख इस सिलसिले का हिस्सा |
इस्लामी धर्मशास्त्र (फ़िक़्ह ) |
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खुला (अंग्रेज़ी:Khul') इस्लाम धर्म में तलाक की एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से महिला तलाक ले सकती है। पारंपरिक फ़िक़्ह के आधार पर और कुरआन और हदीस में संदर्भित ख़ुला महिला को तलाक लेने की अनुमति देता है। तलाक और खुला में कुुुछ अंतर होता है।
विवरण
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खुला को खुल,ख़ुला,ख़ुलअ़,खुल्अ भी लिखते हैं। तलाक़ की तरह खुला का विवरण भी क़ुरआन और हदीस में मिलता है। तलाक़ पति देता है और उसको मेहर देना होती है। खुला में पत्नी तलाक़ लेती है और उसे ही कुछ नियम से देना होता है। क्या पत्नी एक बार मे ही खुला कर सकती है उसके लिए कितने गवाह चाहिए और क्या शर्त है
क़ुरआन में उल्लेख
क़ुरआन |
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सूरा अल् बक़रा की आयत :
तलाक़ दो बार है; फिर नियमानुसार स्त्री को रोक लिया जाये या भली-भाँति विदा कर दिया जाये और तुम्हारे लिए ये ह़लाल (वैध) नहीं है कि उन्हें जो कुछ तुमने दिया है, उसमें से कुछ वापिस लो। फिर यदि तुम्हें ये भय[1] हो कि पति पत्नि अल्लाह की निर्धारित सीमाओं को स्थापित न रख सकेंगे, तो उन दोनों पर कोई दोष नहीं कि पत्नि अपने पति को कुछ देकर मुक्ति[2] करा ले। ये अल्लाह की सीमायें हैं, इनका उल्लंघन न करो और जो अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करेंगे, वही अत्याचारी हैं।
1. अर्थात पति के पति के संरक्षकों को। 2. पत्नि के अपनी पति को कुछ दे कर विवाह बंधन से मुक्त करा लेने को इस्लाम की परिभाषा में "खुल्अ" कहा जाता है। इस्लाम ने जैसे पुरुषों को तलाक़ का अधिकार दिया है, उसी प्रकार स्त्रियों को भी "खुल्अ" ले लेने का अधिकार दिया है। अर्थात वह अपने पति से तलाक़ माँग सकती हैं। (क़ुरआन, 2:229) [१]
हदीस में उल्लेख
साँचा:color |
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सहीह अल-बुख़ारी में (रूपांतर:)
साबित बिन क़ैस
की पत्नी, अल्लाह उसे आशीर्वाद दे और उसे शांति प्रदान करे। वह नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की सेवा में आयी और कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! उनकी नैतिकता और धर्म के कारण मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है। परन्तु मुझे मुसलमान होते हुए भी पाप का भय है। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उनसे कहा, 'क्या तुम उनका बाग (जो उन्होंने दहेज में दिया था) वापस कर सकती हो?' "हाँ," उन्होंने कहा। फिर पैगंबर ने साबित से कहा, हे साबित! अपने बगीचे को स्वीकार करें, और उसे एक बार तलाक दें।[२]
खुला और तलाक़ में अंतर
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मुहद्दिस डॉक्टर जिया उर रहमान आज़मी के अनुसार अंतर:[३]
1. तलाक़ में रूजू है अर्थात पूरी प्रक्रिया तक विवाह बनाये रखने का प्रयत्न किया जाता है
2. खुला कभी भी, तलाक़ पाकी की हालत में
3. तीन तलाक़ के बाद ज़रूरी है वापस निकाह से पहले किसी और से निकाह और इद्दत हुई हो। खुला होने के बाद वापस कभी भी निकाह (नए मेहर के साथ) किया जा सकता है।
4. इद्दत नये विवाह से पहले दोनों के लिए अनिवार्य है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Translation of the meanings Surah Al-Baqarah - Hindi translation - The Noble Qur'an Encyclopedia https://quranenc.com/en/browse/hindi_omari/2/229
- ↑ Sahih Bukhari Hadith No. 5273 - Read English & Urdu Translation https://hamariweb.com/islam/hadith/sahih-bukhari-5273/
- ↑ "ख़ुलअ़"- प्रो. डॉक्टर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया, हिंदी संस्करण(2010), पृष्ठ 269