सुजाता (1959 फ़िल्म)

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
सुजाता
चित्र:सुजाता.jpg
सुजाता का पोस्टर
निर्देशक बिमल रॉय
निर्माता बिमल रॉय
लेखक सुबोध घोष (कहानी)
नबेन्दु घोष (पटकथा)
पॉल महेन्द्र (संवाद)
अभिनेता सुनील दत्त, नूतन, शशिकला, ललिता पवार
संगीतकार सचिन देव बर्मन (संगीत)
मजरुह सुल्तानपुरी (गीत)
छायाकार कमल बोस
संपादक अमित बोस
स्टूडियो मोहन स्टुडियोज़
वितरक बिमल रॉय प्रोडक्शन्स
प्रदर्शन साँचा:nowrap 1959
देश भारत
भाषा हिन्दी

साँचा:italic title

सुजाता १९५९ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसके निर्माता व निर्देशक प्रसिद्ध बिमल रॉय थे तथा इस फ़िल्म में मुख्य भूमिका सुनील दत्त तथा नूतन ने निभाई थी। यह फ़िल्म भारत में प्रचलित छुआछूत की कुप्रथा को उजागर करती है। इस फ़िल्म की कहानी एक ब्राह्मण पुरुष और एक अछूत कन्या के प्रेम की कहानी है। इस फ़िल्म को १९५९ में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

संक्षेप

एक सभ्रांत ब्राह्मण दम्पति उपेन्द्र चौधरी (तरुण बोस) तथा चारु (सुलोचना) के घर काम करने वाले की पत्नी समेत हैजे के कारण मृत्यु हो जाती है और वह अपने पीछे एक नवजात बच्ची छोड़ जाते हैं जिसे चारु की ज़िद से उपेन्द्र के परिवार की आया पालने लग जाती है और जिसका नाम सुजाता (बड़ी होकर नूतन) रखा जाता है। उपेन्द्र दम्पति की अपनी भी एक नवजात बच्ची होती है जिसका नाम होता है रमा (बड़ी होकर शशिकला)। चूंकि सुजाता का पिता अछूत जाति से था इसलिए जब उपेन्द्र की बुआ (ललिता पवार) उनके घर आती हैं तो सुजाता को छुपाने की कोशिश किये जाने के बावजूद बुआ को पता चल जाता है और उपेन्द्र दम्पति को वह निर्देश देती है कि उसे किसी भी तरह से उसी की जात बिरादरी में भेज दिया जाये। लेकिन सारे प्रयास विफल हो जाते हैं। सुजाता उपेन्द्र परिवार में ही बड़ी होती है और उपेन्द्र दम्पति को ही वह अपना माँ-बाप समझने लगती है। रमा भी उसको अपनी बड़ी बहन मानती है। लेकिन सुजाता अनपढ होती है जबकि रमा कॉलेज में पढ़ती है।
बुआ का नवासा अधीर (सुनील दत्त) जब शहर से पढ़ाई कर वापस आता है तो उसे सुजाता को देखते ही प्यार हो जाता है जबकि बुआ चाहती है कि अधीर और रमा का विवाह हो। सुजाता भी अधीर को चाहने लगती है। एक दिन जब चारु और बुआ के बीच चल रही बातचीत को जब सुजाता सुनती है तो उसे पता चलता है कि वह अछूत है। वह अधीर से किनारा करने की कोशिश करती है लेकिन अधीर नये ख्यालात का लड़का है और वह इन दकियानूसी बातों को नहीं मानता है।
एक दिन एक हादसे में चारु को चोट लग जाती है और उसे खून देने की ज़रुरत पड़ती है। केवल सुजाता का ही खून चारु के खून से मिलता है इसलिए चारु को सुजाता का खून चढ़ता है। इससे पहले चारु बुआ के बहकावे में आकर सुजाता को अधीर से प्रेम करने के लिए दुत्कारती थी, लेकिन अब चारु सुजाता को अपना लेती है और आखिरकार बुआ भी इस रिश्ते को अपनी मंज़ूरी दे देती है।

चरित्र

मुख्य कलाकार

दल

संगीत

इस फ़िल्म में संगीत दिया है ऍस डी बर्मन ने और गीत के बोल लिखे हैं मजरुह सुल्तानपुरी ने।

सुजाता के गीत
गीत गायक/गायिका
अंधे ने भी सपना देखा मोहम्मद रफ़ी
बचपन के दिन भी क्या दिन थे गीता दत्त, आशा भोंसले
जलते हैं जिसके लिए तलत महमूद
काली घटा छाए आशा भोंसले
नन्ही कली सोने चली गीता दत्त
सुन मेरे बन्धु रे ऍस डी बर्मन
तुम जीयो हज़ारों साल आशा भोंसले

रोचक तथ्य

परिणाम

बौक्स ऑफिस

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार

राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार

तीसरी श्रेष्ठ फीचर फिल्म पुरस्कार

बाहरी कड़ियाँ