भारत में कृषि
कृषि, भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत में कृषि सिंधु घाटी सभ्यता के दौर से की जाती रही है। १९६० के बाद कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति के साथ नया दौर आया। सन् २००७ में भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि एवं सम्बन्धित कार्यों (जैसे वानिकी) का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्सा 16.6% था। उस समय सम्पूर्ण कार्य करने वालों का 51℅ कृषि में लगा हुआ था।
इतिहास
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। भारत में कृषि की गौरवशाली परम्परा रही है। इतिहासकारों द्वारा किया गया शोध यह दर्शाता है कि भारत में सिन्धु घाटी सभ्यता के समय में भी कृषि व्यवस्था अर्थव्यवस्था की रीढ़ हुआ करती थी।
वैदिक काल में बीजवपन, कटाई आदि क्रियाएं की जाती थीं। हल, हंसिया, चलनी आदि उपकरणों का चलन था तथा इनके माध्यम से गेहूं, धान, जौ आदि अनेक धान्यों का उत्पादन किया जाता था। चक्रीय परती पद्धति के द्वारा मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने की परम्परा के निर्माण का श्रेय भी प्राचीन भारत को जाता है। रोम्सबर्ग (यूरोपीय वनस्पति विज्ञान के जनक) के अनुसार इस पद्धति को बाद में पाश्चात्य जगत में भी अपनाया गया। विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद के अक्षसूक्त में कृषि का गौरवपूर्ण उल्लेख श्लोकों में देखा जा सकता है:
- अक्षैर्मा दीव्यः कृषिमित् कृषस्व वित्ते रमस्व बहुमन्यमानः” (ऋग्वेद- 34-13)
अर्थात् जुआ मत खेलो, कृषि करो और सम्मान के साथ धन पाओ।
नारदस्मृति, विष्णु धर्मोत्तर पुराण, अग्नि पुराण आदि में भी कृषि के सन्दर्भ में उल्लेख मिलते हैं। कृषि पाराशर तो विशेष रूप से कृषि की दृष्टि से एक मान्य ग्रंथ माना जाता है, जिसमें कुछ विशेष तथ्यों का दर्शन मिलता है।
- कृषिर्धन्या कृषिर्मेध्या जन्तूनां जीवनं कृषिः । (कृषि पाराशर-श्लोक-७)
- अर्थात् कृषि सम्पत्ति और मेधा प्रदान करती है तथा कृषि ही मानव जीवन का आधार है।[१]
सिंधुनदी घाटी सभ्यता पर शोध के दौरान कांठे के पुरावेशों के उत्खनन से इस तथ्य के प्रचुर प्रमाण प्राप्त हुए हैं कि लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व कृषि अत्याधिक उन्नत अवस्था में थी। यहाँ राजस्व का भुगतान अन्न देकर किया जाता था, यह अनुमान साहित्यकारों और पुरातत्ववेत्ताओं ने मोहनजोदड़ो में उत्खनन से मिले बड़े बड़े कोठारों के आधार पर लगाया है। इसके अतिरिक्त खुदाई में प्राप्त हुए गेहूँ एवं जौ के नमूनों से उनके उक्त समय मुख्य फसल के रूप में पाए जाने की भी पुष्टि हुई है।
कौटिल्य के अर्थशास्त्र में मौर्य राजाओं के काल में कृषि, कृषि उत्पादन आदि को बढ़ावा देने हेतु कृषि अधिकारी की नियुक्ति का वर्णन मिलता है। यूनानी यात्री मेगस्थनीज ने भी लिखा है कि मुख्य नाले और उसकी शाखाओं में जल के समान वितरण को निश्चित करने व नदी और कुओं के निरीक्षण के लिए राजा के द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति की जाती थी।
भारत की स्वतंत्रता के पूर्व भारतीय कृषि पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव पड़ा। इस काल में भारतीय अर्थव्यवस्था शोषित होकर अंग्रेजी स्वार्थवाद का शिकार बनकर रह गयी थी और इसका परिणाम सभी क्षेत्रों में देखने को मिला। वस्तुतः यह भारतीय कृषि क्षेत्र के शोषण का समयकाल था, जिसके परिणामस्वरूप कृषि की हालत बदतर हो गयी।
स्वतन्त्र होने के बाद भारत में कृषि में 1960 के दशक के मध्य तक पारंपरिक बीजों का प्रयोग किया जाता था जिनकी उपज अपेक्षाकृत कम थी। उन्हें सिंचाई की कम आवश्यकता पड़ती थी। किसान उर्वरकों के रूप में गाय के गोबर आदि का प्रयोग करते थे।
१९६० के बाद उच्च उपज बीज (HYV) का प्रयोग शुरू हुआ। इससे सिंचाई और रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग बढ़ गया। इस कृषि में सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ने लगी। इसके साथ ही गेहूँ और चावल के उत्पादन में काफी वृद्धी हुई जिसके कारण इसे हरित क्रांति भी कहा जाता है।
उत्पादन
भारत में विभिन्न वर्षों में दाल-गेहूँ का उत्पादन (दस करोड़ टन में)साँचा:cn-
- 1970-71 12-24
- 1980-81 11-36
- 1990-91 14-55
- 2000-01 11-70
- 2008-10 12-60
कृषि औजार
भारत में कृषि में परंपरागत औजारों जैसे फावड़ा, खुरपी, कुदाल, हँसिया, बल्लम, के साथ ही आधुनिक मशीनों का प्रयोग भी किया जाता है। किसान जुताई के लिए ट्रैक्टर, कटाई के लिए हार्वेस्टर तथा गहाई के लिए थ्रेसर का प्रयोग करते हैं।
अवलोकन
२०१० संयुक्त राष्ट्र कृषि तथा खाद्य संगठन के विश्व कृषि सांख्यिकी, के अनुसार भारत के कई ताजा फल और सब्जिया, दूध, प्रमुख मसाले आदि को सबसे बड़ा उत्पादक ठहराया गया है। रेशेदार फसले जैसे जूट, कई स्टेपल जैसे बाजरा और अरंडी के तेल के बीज आदि का भी उत्पादक है। भारत गेहूं और चावल की दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत, दुनिया का दूसरा या तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है कई चीजो का जैसे सूखे फल, वस्त्र कृषि-आधारित कच्चे माल, जड़ें और कंद फसले, दाल, मछलीया, अंडे, नारियल, गन्ना और कई सब्जिया। २०१० मई भारत को दुनिया का पॉचवा स्थान हासिल हुआ जिसके मुताबिक उसने ८०% से अधिक कई नकदी फसलो का उत्पादन् किया जैसे कॉफी और कपास आदि। २०११ के रिपोर्ट के अनुसार, भारत को दुनिया में पाँचवे स्थान पर रखा गया जिसके मुताबिक व सबसे तेज़ वृद्धि के रूप में पशुधन उत्पादक करता है।
२००८ के एक रिपोर्ट ने दावा किया कि भारत की जनसंख्या, चावल और गेहूं का उत्पादन करने की क्षमता से अधिक तेजी से बढ़ रही है। अन्य सुत्रो से पता चलता है कि, भारत अपनी बढती जनसंख्या को आराम से खिला सकता है और साथ ही साथ चावल और गेहूं को निर्यात भी कर सकता है। बस, भारत को अपनी बुनियादी सुविधाओं को बढाना होगा जिससे उत्पादक भी बढे जैसे अन्य देश ब्राजील और चीन ने किया। भारत २०११ में लगभग २लाख मीट्रिक टन गेहूँ और २.१ करोड़ मीट्रिक टन चावल का निर्यात अफ्रीका, नेपाल, बांग्लादेश और दुनिया भर के अन्य देशों को किया।
जलीय कृषि और पकड़ मत्स्यपालन भारत में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों के बीच है। १९९० से २०१० के बीच भारतीय मछली फसल दोगुनी हुई, जबकि जलीय कृषि फसल तीन गुना बढ़ा। २००८ में, भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा उत्पादक था समुद्री और मीठे पानी की मत्स्य पालन के क्षेत्र में और दूसरा सबसे बड़ा जलीय मछली कृषि का निर्माता था। भारत ने दुनिया के सभी देशों को करीब ६,00,000 मीट्रिक टन मछली उत्पादों का निर्यात किया।
भारत ने पिछ्ले ६० वर्षो मैं कृषि विभाग में कई सफलताए प्राप्त की है। ये लाभ मुख्य रूप से भारत को हरित क्रांति, पावर जनरेशन, बुनियादी सुविधाओं, ज्ञान में सुधार आदि से प्राप्त हुआ। भारत में फसल पैदावार अभी भी सिर्फ ३०% से ६०% ही है। अभी भी भारत में कृषि प्रमुख उत्पादकता और कुल उत्पादन लाभ के लिए क्षमता है। विकासशील देशों के सामने भारत अभी भी पीछे है। इसके अतिरिक्त, गरीब अवसंरचना और असंगठित खुदरा के कारण, भारत ने दुनिया में सबसे ज्यादा खाद्य घाटे से कुछ का अनुभव किया और नुकसान भी भुगतना पड़ा।
भारत में सिंचाई
स्क्रिप्ट त्रुटि: "main" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। भारत में सिंचाई का मतलब खेती और कृषि गतिविधियों के प्रयोजन के लिए भारतीय नदियों, तालाबों, कुओं, नहरों और अन्य कृत्रिम परियोजनाओं से पानी की आपूर्ति करना होता है। भारत जैसे देश में, ६४% खेती करने की भूमि, मानसून पर निर्भर होती है। भारत में सिंचाई करने का आर्थिक महत्त्व है - उत्पादन में अस्थिरता को कम करना, कृषि उत्पादकता की उन्नती करना, मानसून पर निर्भरता को कम करना, खेती के अंतर्गत अधिक भूमि लाना, काम करने के अवसरों का सृजन करना, बिजली और परिवहन की सुविधा को बढ़ाना, बाढ़ और सूखे की रोकथाम को नियंत्रण में करना।
पहल
विपणन के विकास के लिए निवेश की आवश्यकता स्तर, भंडारण और कोल्ड स्टोरेज बुनियादी सुविधाओं को भारी होने का अनुमान है। हाल ही में भारत सरकार ने पूरी तरह से कृषि कार्यक्रम का मूल्यांकन करने के लिए किसान आयोग का गठन किया। हालांकि सिफारिशों का केवल एक मिश्रित स्वागत किया गया है। नवम्बर २०११ में, भारत ने संगठित खुदरा के क्षेत्र में प्रमुख सुधारों की घोषणा की। इन सुधारों में रसद और कृषि उत्पादों की खुदरा शामिल हुई। यह सुधार घोषणा प्रमुख राजनीतिक विवाद का कारण भी बना। यह सुधार योजना, दिसंबर २०११ में भारत सरकार द्वारा होल्ड पर रख दिया गया था ॥
वित्त वर्ष २०१३-१४ के अंत में भारत में कृषि की स्थिति[२]
- वर्ष 2013-14 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत
- वर्ष 2013-14 में 264.4 मिलियन टन खाद्यान का रिकॉर्ड उत्पादन
- वर्ष 2013-14 में 32.4 मिलियन टन तिलहन का रिकॉर्ड उत्पादन
- वर्ष 2013-14 में 19.6 मिलियन टन दलहन का रिकॉर्ड उत्पादन
- वर्ष 2013-14 में मुंगफली का सबसे अधिक 73.17 प्रतिशत उत्पादन हुआ
- अंगूर, केला, कसाबा, मटर और पपीता के उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में भारत का पहला स्थान है
- वर्ष 2013-14 में खाद्यान के तहत क्षेत्र 4.47 प्रतिशत से बढ़कर 126.2 मिलियन हैक्टर हो गया
- वर्ष 2013-14 में तिलहन का क्षेत्र 6.42 प्रतिशत से बढ़कर 28.2 मिलियन हैक्टर हुआ
- 01 जून 2014 को केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का भंडारण 69.84 मिलियन टन
- 2013 में खाद्यान्न की उपलब्धता 15 प्रतिशत बढ़कर 229.1 मिलियन टन हो गई
- वर्ष 2013 में प्रति व्यक्ति कुल खाद्यान्न की उपलब्धता बढ़कर 186.4 किलोग्राम हो गई
- वर्ष 2013-14 में कृषि निर्यात में 5.1 प्रतिशत की वृद्धि
- वर्ष 2013-14 में समुद्री उत्पादों के निर्यात में 45 प्रतिशत वृद्धि दर रही
- वर्ष 2012-13 में दूध उत्पादन 132.43 मिलियन टन की रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुंचा
- वर्ष 2013-14 में कुल सकल घरेलू उत्पाद में पशुधन क्षेत्र की 4.1 प्रतिशत भागीदारी रही
- वर्ष दर वर्ष भारत में दूध उत्पादन की वृद्धि दर 4.04 प्रतिशत है जबकि विश्व में यह औसत 2.2 प्रतिशत है
- वर्ष 2013-14 में कृषि क्षेत्र के लिए ऋण 7,00,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य से अधिक
- वर्ष 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद में कृषि और इसके सहयोगी क्षेत्रों की हिस्सेदारी 13.9 प्रतिशत से घटी
- किसानों की संख्या घटी, वर्ष 2001 में 12.73 करोड़ किसान थे जिनकी संख्या घटकर 2011 में 11.87 करोड़ रह गई।
- उत्पादन में भारत का स्थान
- पहला स्थान : गन्ना, बाजरा, जूट, अरंडी, आम, केला, अंगूर, कसाबा, मटर, अदरक, पपीता और दूध
- दूसरा स्थान : गेहूँ, चावल, फल और सब्जियाँ, चाय, आलू, प्याज, लहसुन, चावल, बिनौला
- तीसरा स्थान : उर्वरक
कृषि निर्यात
भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक उंचाई पर पहुंच गया है। वर्ष 2021-22 के लिए कृषि उत्पाद का निर्यात 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह अब तक का सबसे अधिक कृषि उत्पाद निर्यात है। वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय द्वारा जारी अनंतम आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के दौरान कृषि उत्पाद 19.92 फीसद बढ़कर 50.21 बिलियन डॉलर हो गया।
यह वृद्धि दर शानदार है और 2020-21 के 17.66 फीसदी यानि 41.87 बिलियन से अधिक है। पिछले 2 वर्षों की यह उपलब्धि किसानों की आय में सुधार में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने में काफी अधिक सफल होगी। चावल, गेहूं, चीनी और अन्य अनाजों के लिए यह अब तक का सबसे अधिक निर्यात है। गेहूं निर्यात में अप्रत्याशित 273 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।[३]
कृषि संस्थान
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली
- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
- गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पन्तनगर
- चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर
- चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
- लाला लाजपतराय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार
- यशवन्त सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन
- राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा
- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, काँके
- राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर।
कृषि संबंधित अनुसंधान केन्द्र, राष्ट्रीय ब्यूरो एवं निदेशालय/परियोजना निदेशालय
समतुल्य विश्वविद्यालय
- 1.भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
- 2.राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल
- 3.भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर
- 4.केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई
संस्थान
- 1.केन्द्रीय धान अनुसंधान संस्थान, कटक
- 2.विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा
- 3.भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर
- 4.केन्द्रीय तम्बाकू अनुसंधान संस्थान, राजामुंद्री
- 5.भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ
- 6.गन्ना प्रजनन संस्थान, कोयम्बटूर
- 7.केन्द्रीय कपास संस्थान, नागपुर
- 8.केन्द्रीय जूट एवं संबद्ध रेशे अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर
- 9.भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी
- 10. भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर
- 11. केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ
- 12. केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी संस्थान, श्रीनगर
- 13. केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर
- 14. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी
- 15. केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला
- 16. केन्द्रीय कंदी फसलें अनुसंधान संस्थान, त्रिवेन्द्रम
- 17. केन्द्रीय रोपण फसलें अनुसंधान संस्थान, कासरगोड
- 18. केन्द्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेअर
- 19. भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कालीकट
- 20. केन्द्रीय मृदा और जल संरक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून
- 21. भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल
- 22. केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल
- 23. पूर्वी क्षेत्र के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अनुसंधान परिसर, मखाना केन्द्र सहित, पटना
- 24. केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद
- 25. केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर
- 26. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अनुसंधान परिसर, गोवा
- 27. पूर्वोत्तर पहाड़ी क्षेत्रों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अनुसंधान परिसर, बारापानी
- 28. राष्ट्रीय अजैविक दबाव प्रबन्धन संस्थान, मालेगांव, महाराष्ट्र
- 29. केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल
- 30. केन्द्रीय कटाई उपरांत अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी संस्थान, लुधियाना
- 31. भारतीय प्राकृतिक रेज़िन और गोंद संस्थान, रांची
- 32. केन्द्रीय कपास प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, मुंबई
- 33. राष्ट्रीय जूट एवं संबद्ध रेशे प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, कोलकाता
- 34. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
- 35. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदुम
- 36. केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार
- 37. राष्ट्रीय पशु पोषण और कायिकी संस्थान, बेंगलौर
- 38. केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर
- 39. केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोच्चि
- 40. केन्द्रीय खारा जल जीवपालन अनुसंधान संस्थान, चैन्नई
- 41. केन्द्रीय अंतः स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर
- 42. केन्द्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान, कोच्चि
- 43. केन्द्रीय ताजा जल जीव पालन संस्थान, भुवनेश्वर
- 44. राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं प्रबन्धन अकादमी, हैदराबाद
राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र
- 1.राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्यौगिकी अनुसंधान केन्द्र, नई दिल्ली
- 2.राष्ट्रीय समन्वित कीट प्रबन्धन केन्द्र, नई दिल्ली
- 3.राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर
- 4.राष्ट्रीय नीबू वर्गीय अनुसंधान केन्द्र, नागपुर
- 5.राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केन्द्र, पुणे
- 6.राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, त्रिची
- 7.राष्ट्रीय बीज मसाला अनुसंधान केन्द्र, अजमेर
- 8.राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केन्द्र, शोलापुर
- 9.राष्ट्रीय आर्किड अनुसंधान केन्द्र, पेकयांग, सिक्किम
- 10. राष्ट्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान केन्द्र, झांसी
- 11. राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर
- 12. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार
- 13. राष्ट्रीय मांस अनुसंधान केन्द्र, हैदराबाद
- 14. राष्ट्रीय शूकर अनुसंधान केन्द्र, गुवाहाटी
- 15. राष्ट्रीय याक अनुसंधान केन्द्र, वेस्ट केमंग
- 16. राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेदजीफेमा, नगालैंड
- 17. राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्र और नीति अनुसंधान केन्द्र, नई दिल्ली
राष्ट्रीय ब्यूरो
- 1.राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी ब्यूरो, नई दिल्ली
- 2.राष्ट्रीय कृषि के लिए महत्वपूर्ण सूक्ष्म जीव ब्यूरो, मऊ, उत्तर प्रदेश
- 3.राष्ट्रीय कृषि के लिए उपयोगी कीट ब्यूरो, बेंगलौर
- 4.राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण और भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो, नागपुर
- 5.राष्ट्रीय पशु आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो, करनाल
- 6.राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो, लखनऊ
निदेशालय/प्रायोजना निदेशालय
- 1.मक्का अनुसंधान निदेशालय, नई दिल्ली
- 2.धान अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद
- 3.गेहूँ अनुसंधान निदेशालय, करनाल
- 4.तिलहन अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद
- 5.बीज अनुसंधान निदेशालय, मऊ
- 6.ज्वार अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद
- 7.मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़
- 8.सोयाबीन अनुसंधान निदेशालय, इंदौर
- 9.तोरिया और सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर
- 10. मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन
- 11. प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय, पुणे
- 12. काजू अनुसंधान निदेशालय, पुत्तुर
- 13. तेलताड़ अनुसंधान निदेशालय, पेडावेगी, पश्चिम गोदावरी
- 14. औषधीय एवं सगंधीय पादप अनुसंधान निदेशालय, आणंद
- 15. पुष्पोत्पादन अनुसंधान निदेशालय, नई दिल्ली
- 16. कृषि पद्धतियां अनुसंधान प्रयोजना निदेशालय, मोदीपुरम
- 17. जल प्रबन्धन अनुसंधान निदेशालय, भुवनेश्वर
- 18. खरपतवार विज्ञान अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर
- 19. गोपशु प्रायोजना निदेशालय, मेरठ
- 20. खुर एवं मुंहपका रोग प्रायोजना निदेशालय, मुक्तेश्वर
- 21. कुक्कुट पालन प्रायोजना निदेशालय, हैदराबाद
- 22. पशु रोग निगरानी एवं जीवितता प्रयोजना निदेशालय, हैब्बल, बेंगलूर
- 23. कृषि सूचना एवं प्रकाशन निदेशालय (दीपा), नई दिल्ली
- 24. शीत जल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल, नैनीताल
- 25. कृषक महिला अनुसंधान निदेशालय, भुवनेश्वर
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- भारतीय कृषि से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारी
- भारत का कृषि विज्ञान और कृषि दर्शन
- भारतीय कृषि: चुनौती की ओर
- भारतीय कृषि को पुनर्भाषित करने की जरुरत—सुनील अमर
- Indian Agriculture. U.S. Library of Congress.
- Indian Council for Agricultural Research Home Page
- Website of The Indian Farmers Association
- कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण
- Commodity Research, Food and Agribusiness, Commodity News and Analysis (in English) (based in India)
- Agropedia - One Stop Shop For All Kinds Of Information On Agriculture In India
- Agriculture Commodity Market News - Agri Commodity News, Rates, Daily Trading Prices, The Trade News Agency NNS - Daily commodity prices of Agricultural and Agri based Commodities from different Markets of India. Indian Agriculture Industry business to business (b2b) News and Directory (in English) (based in India)
- अच्छी बारिश ने बढ़ाई बंपर फसल की उम्मीद (३ जुलाई २०१७)