हिसार

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Hisar
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हिसारके दृश्य
हिसारके दृश्य
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ज़िलाहिसार ज़िला
प्रान्तहरियाणा
देशसाँचा:flag/core
जनसंख्या (2011)
 • कुल३,०१,३८३
 • घनत्वसाँचा:infobox settlement/densdisp
भाषा
 • प्रचलितहरियाणवी, हिन्दी
समय मण्डलIST (यूटीसी+5:30)
पिनकोड125001
टेलीफोन कोड1662
वेबसाइटwww.hisar.nic.in

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हिसार (Hisar) भारत के हरियाणा राज्य के हिसार ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[१][२][३] यह एक प्राचीन शहर है

विवरण

हिसार भारत की राजधानी नई दिल्ली के १६४ किमी पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग 9 एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर पड़ता है।[४] यह भारत का सबसे बड़ा जस्ती लोहा उत्पादक है।[५] इसीलिए इसे इस्पात का शहर के नाम से भी जाना जाता है।[६] पश्चिमी यमुना नहर पर स्थित हिसार राजकीय पशु फार्म के लिए विशेष विख्यात है। अनिश्चित रूप से जल आपूर्ति करनेवाली घग्गर एकमात्र नदी है। यमुना नहर हिसार जिला से होकर जाती है। जलवायु शुष्क है। कपास पर आधारित उद्योग हैं। भिवानी, हिसार, हाँसी तथा सिरसा मुख्य व्यापारिक केंद्र है। अच्छी नस्ल के साँडों के लिए हिसार विख्यात है।

हिसार की स्थापना सन १३५४ ई. में तुगलक वंश के शासक फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने की थी।[७] घग्गर[८] एवं दृषद्वती[९] नदियां एक समय हिसार से गुजरती थी। हिसार में महाद्वीपीय जलवायु देखने को मिलती है जिसमें ग्रीष्म ऋतु में बहुत गर्मी होती है तथा शीत ऋतु में बहुत ठंड होती है।[१०]

यहाँ हिन्दी[११] एवं अंग्रेज़ी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। यहाँ की औसत साक्षरता दर ८१.०४ प्रतिशत है।[१२] १९६० के दशक में हिसार की प्रति व्यक्ति आय भारत में सर्वाधिक थी।[१३]

नामकरण

पाणिनि ने उनके ग्रंथ अष्टाध्यायी में इसुकार नाम के स्थान का उल्लेख किया है जिसे इतिहासकारों द्वारा हिसार का प्राचीन नाम माना गया है।[१४] १३५४ ई. में जब फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने हिसार की स्थापना की तो उन्होंने इसका नाम हिसार-ए-फिरोज़ा रखा जिसका अरबी भाषा में अर्थ होता है फिरोज़ का किला[१५] हालांकि अकबर के काल में इसके नाम से फिरोज़ हट गया तथा इसे सिर्फ हिसार के नाम से जाना जाने लगा।[१६]

इतिहास

हिसार पर बहुत सारे साम्राज्यों का शासन रहा है। यह तीसरी सदी ई.पू. में मौर्य राजवंश का, १३वीं सदी में तुगलक वंश का, १६वीं सदी में मुगल साम्राज्य का तथा १९वीं सदी में ब्रिटिश साम्राज्य का भाग रहा है। भारत की स्वतन्त्रता के बाद यह पंजाब प्रान्त का भाग बना दिया गया किन्तु १९६६ ई. में पंजाब के विभाजन के बाद यह हरियाणा का भाग बन गया।

मुस्लिम विजय के पूर्व हिसार का अर्ध बलुआ भाग चौहान राजपूतों का अपयान स्थान था। १८वीं शताब्दी के अंत में भट्टी और भटियाला लोगों ने इसे अधिकृत किया था। १८०३ ई. में अंशत: यह ब्रिटिश अधिकार में आ गया किंतु १८१० ई. तक इनका शासन लागू न हो सका। १८५७ के प्रथम स्वंत्रता युद्ध, के बाद निरापद रूप से, हिसार ब्रिटिश अधिकार में आ गया।

हिसार स्थित फ़िरोज़ शाह द्वारा निर्मित किला

तुग़लक़ वंश के शासक बादशाह फ़िरोज़ शाह तुग़लक ने १३५४ ई. में एक दुर्ग के रूप में हिसार की स्थापना की थी।[१७] यह शहर बाद में एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। १७८३ ई. के दुर्भिक्ष में हिसार प्राय: पूर्णत: जनहीन हो गया था, किंतु आयरलैंड के साहसी अभियानकर्ता जार्ज थामस ने एक दुर्ग बनवाकर इसे पुन: बसाया।

१८६७ ई. में हिसार की नगरपालिका का अध्ययन किया गया। यह शहर एक दीवार से घिरा है। जिसमें चार दरवाज़े हैं- नागोरी गेट, मोरी गेट, दिल्ली गेट तथा तलाकी गेट के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ फ़िरोज़ शाह के क़िले व महल के अवशेषों के साथ-साथ कई प्राचीन मस्जिदें हैं, जिनमें जहाज़ भी एक है, जो अब एक जैन मंदिर है। प्राचीन समय में यह हड़प्पा सभ्यता का मुख्य केन्द्र था। प्राचीन समय में यहाँ कई आदिवासी जातियाँ रहती थी। इन जातियों में भरत, पुरू, मुजावत्स और महावृष प्रमुख थी।

कृषि और खनिज

गेहूँकपास यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं। अन्य फ़सलों में चना, बाजरा, चावल, सरसोंगन्ना शामिल हैं। विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग तरह की फसलों का उत्पादन किया जाता है, मुख्य रूप से हिसार में फसलों का उत्पादन एक अच्छे स्तर पर किया जाता है। गेहूँ का हिसार जिले में रिकॉर्ड उत्पादन होता है।

उद्योग और व्यापार

उद्योगों में कपास की ओटाई, हथकरघा बुनाई और कृषि यंत्रों व सिलाई मशीनों के निर्माण से जुड़े उद्योग शामिल हैं। यहाँ पर कपास, अनाज और तेल के बीजों का बड़ा बाज़ार है। इस बाज़ार के लिए यह बहुत प्रसिद्ध है।

यातायात और परिवहन

हिसार शहर एक प्रमुख रेल व सड़क जंक्शन है।

शिक्षण संस्थान

CRM Jat College, CRM Jat Sr. Sec. School, CRM Jat Law College, CAV Sr. Sec. School, DAV public School, महाराजा अग्रसेन चिकित्सा महाविद्यालय, अग्रोहा, इस शहर में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, सी.सी. शाहू प्रबंधन महाविद्यालय, कृषि इंजीनियरिंग व प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, राजकीय बहुतकनीकी, हिसार गवर्नमेंट कॉलेज और डी.एन. कॉलेज सहित कई महाविद्यालय शामिल हैं। फतेहाबाद रोड पर स्थित कल्पना चावला कॉलेज भी खासा प्रतिष्ठित संस्थान है।

पर्यटन

हिसार एक सुन्दर स्थान तथा पर्यटन का आकर्षक स्‍थल है। पर्यटक यहाँ पर कई ख़ूबसूरत स्थलों की सैर कर सकते हैं। यहाँ पर सम्राट अशोक के काल का एक स्तम्भ, कुषाण वंश के सिक्के व अन्य अवशेष भी मिले हैं। कुल मिलाकर हिसार बहुत ख़ूबसूरत है और पर्यटक यहाँ पर अनेक ख़ूबसूरत स्‍थान देख सकते हैं। पर्यटक स्थलों की सैर के बाद यहाँ पर अनेक ऐतिहासिक इमारतों की यात्रा की जा सकती है।

जनसंख्या

२०११ की जनगणना के अनुसार हिसार की जनसंख्या ३०१,२४९ है। हिसार भारत का १४१वां सर्वाधिक आबादी वाला शहर है।[१८] पुरुष ५४ प्रतिशत आबादी का गठन करते हैं जबकि महिलाएँ ४६ प्रतिशत आबादी का गठन करती हैं। यहाँ लिंग अनुपात ८४४ महिला प्रति हजार पुरुष है। औसत साक्षरता दर ८१.०४ प्रतिक्षत है: पुरुष साक्षरता दर ८६.१३ प्रतिक्षत है जबकि महिला साक्षरता दर ७५.०० है।[१२] हिन्दु हिसार की लगभग ९७ प्रतिशत आबादी का गठन करते हैं तथा मुस्लिम, जैन, सिख और इसाई बाकी आबादी का गठन करते हैं।[१९] १९वीं सदी में हिसार में आर्य समाज बहुत सफल हुआ और इसमे लाला लाजपत राय का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान था।[१७] अग्रहरि जाति के लोग हिसार को अपना जन्मस्थान मानते हैं।[१७]

हिसार के कुछ प्रमुख व्यक्तित्व

राजनीतिज्ञ

खिलाड़ी

व्यवसायी

साहित्यकार

स्वतन्त्रता सेनानी

  • राजा जाटवान मलिक देपल(दीपालपुर)- कुतुबुद्दीन ऐबक से भयंकर युद्ध करके हांसी को आजाद करवाया। युद्ध 3 दिन 3 रात तक जारी रहा और लेकिन जाटवान की सेना बहुत कम थी। अतः अंत में वे लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
  • चौधरी न्योन्दराम बुरा -1857 में हांसी लाल सड़क पर कुचले जाने वाले प्रथम क्रांतिकारी। ये रोहनात गांव के निवासी थे।
  • लाला हुकमचन्द जैन - 1857 की क्रांति के शहीद।
  • चौधरी मनीराम शेहरावत खरड़ अलीपुर- दिल्ली में जॉर्ज पंचम की मूर्ति को तोड़ने पर इन्हें आंग्रेजो ने कारावास की सजा दी थी।

अधिक संसूचना

  • एम् एम् जुनेजा द्वारा लिखित हिसार का इतिहास: आरंभ से स्वतंत्रता तक, १३५४-१९४७; वर्ष १९८९, हरियाणा: मोडर्न बुक कं., ४८४ पृष्ठ; ISBN 0439410233
  • एम् एम् जुनेजा द्वारा लिखित हिसार शहर: स्थान तथा शख़्सियत; वर्ष २००४, हरियाणा: मोडर्न पब्लिशर्स, ७४४ पृष्ठ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ