चकमक

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
चित्र:Chakmak Children Magazine.jpg
चकमक पत्रिका का एक अंक

चकमक बच्चों पर केन्द्रित हिन्दी की एक बाल पत्रिका है। है तो यह बच्चों के लिये, लेकिन बड़ों को भी पसंद आती है। [१]

विषय सामग्री

कई वर्ष तक 'होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम चलाकर देशभर में विज्ञान शिक्षणनवाचार के क्षेत्र में प्रसिद्ध हुई संस्था 'एकलव्य' मासिक 'चकमक ' पत्रिका प्रकाशित कर रही है। अब तक 'चकमक ' के 343 अंक प्रकाशित हो चुके हैं। कहने को तो यह आठवीं कक्षा तक के बच्चों की पत्रिका है पर इसकी रोचकता के कारण बड़े भी इसे चाव से पढ़ते हैं। इसमें कहानियाँ, कविताएँ, लेख, चित्र पहेली, बच्चों की रचनाएँ खास अंदाज में होती हैं।

बाल साहित्य के नाम पर अब तक हम उपदेशात्मक, राजा-रानियों और जानवरों की कहानियाँ पढ़ने के अभ्यस्त हो चुके हैं। 'चकमक ' बाल साहित्य का यह मिथक तोड़ती है। बच्चों का जीवन भी, जीवन का महत्वपूर्ण भाग है, इसमें सुख-दुःख, छल-कपट, योजनाएँ और समझ का तालमेल है। बाल अवस्था में भावनाओं का जटिल रूप पाया जाता है। एक बात जो बच्चे के जीवन को बड़ों से अलग करती है वह है उसका समाज, परिवेशप्रकृति के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण जो हर बच्चे में होता है। इसीलिए तो बच्चा चीजों, नैतिक उपदेशों, घटनाओं को उल्ट-पलट कर देखता है और किसी भी बात को वैसे परम सत्य की तरह स्वीकार नहीं करता जैसे बड़े आमतौर पर कर लेते हैं। 'चकमक ' में ऐसी ही सामग्री होती है जो बाल मन की चंचलता को पकड़ने का प्रयास करती है।

गीतकार गुलजार जैसे बड़े नाम 'चकमक 'के साथ जुड़े हुए हैं।

सन्दर्भ

  1. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ

साँचा:substub