बाल साहित्य
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बाल साहित्य छोटी उम्र के बच्चो को ध्यान में रख कर लिखा गया साहित्य होता है।
परिचय
बाल-साहित्य लेखन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है। नारायण पंडित ने पंचतंत्र नामक पुस्तक में कहानियों में पशु-पक्षियों को माध्यम बनाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान की। कहानियों को सुनना तो बच्चों की सबसे प्यारी आदत है। कहानियों के माध्यम से ही हम बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं। बचपन में हमारी दादी, नानी हमारी मां ही हमें कहानियां सुनाती थी। कहानियॉं सुनाते-सुनाते कभी तो वे हमें परियों के देश ले जाती थी तो कभी सत्य जैसी यथार्थवादी वाली बातें सिखा जाती थीं। साहस, बलिदान, त्याग और परिश्रम ऐसे गुण हैं जिनके आधार पर एक व्यक्ति आगे बढ़ता है और ये सब गुण हमें अपनी मां के हाथों ही प्राप्त होते हैं। बच्चे का अधिक से अधिक समय तो मां के साथ गुजरता है मां ही उसे साहित्य तथा शिक्षा संबंधी जानकारी देती है क्योंकि जो हाथ पालना में बच्चे को झुलाते हैं वे ही उसे सारी दुनिया की जानकारी देते हैं।
दरअसल, बाल साहित्य का उद्देश्य बाल पाठकों का मनोरंजन करना ही नहीं अपितु उन्हें आज के जीवन की सच्चाइयों से परिचित कराना है। आज के बालक कल के भारत के नागरिक है। वे जैसा पढ़ेगें उसी के अनुरुप उनका चरित्र निर्माण होगा। कहानियों के माध्यम से हम बच्चों को शिक्षा प्रदान करके उनका चरित्र निर्माण कर सकते हैं तभी तो ये बच्चे जीवन के संघर्षों से जूझ सकेंगे। इन बच्चों को बड़े होकर अंतरिक्ष की यात्राएं करनी हैं, चाँद पर जाना है और शायद दूसरे ग्रहों पर भी। बाल साहित्य के लेखक को बाल-मनोविज्ञान की पूरी जानकारी होनी चाहिए। तभी वह बाल मानस पटल पर उतर कर बच्चों के लिए कहानी, कविता या बाल उपन्यास लिख सकता है। बच्चों का मन मक्खन की तरह निर्मल होता है, कहानियों और कविताओं के माध्यम से हम उनके मन को वह शक्ति प्रदान कर सकते हैं जो उनके मन के भीतर जाकर संस्कार, समर्पण, सदभावना और भारतीय संस्कृति के तत्व बिठा सकते हैं।
श्री के. शंकर पिल्लई द्वारा बाल साहित्य के संदर्भ में “चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट” की स्थापना १९५७ में की गई थी। आज यह ट्रस्ट अपनी 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य बच्चों के लिए उचित डिजाइनिंग व सामग्री उपलब्ध कराना है। इसमें 5-16 वर्ष तक के बच्चों के लिए बेहतर बाल साहित्य उपलब्ध है। जैसे:
पौराणिक कथाएँ: कृष्ण सुदामा, पंचतंत्र की कहानियॉं, पौराणिक कहानियॉं, प्रहलाद
ज्ञानवर्धक: उपयोगी आविष्कार, पर्वत की पुकार, रंगों की महिमा, विज्ञान के मनोरंजक खेल
रहस्य रोमांच : अनोखा उपहार, जासूसों का जासूस, ननिहाल में गुजरे दिन,पॉंच जासूस
उपन्यास/कहानियॉं: 24 कहानियॉं, इंसान का बेटा, गुड्डी, मास्टर साहब
महान व्यक्तित्व: महान व्यक्तित्व पार्ट एक से दस तक
वन्य जीवन : अम्मां का परिवार, कुछ भारतीय पक्षी, छोटा शेर बड़ा शेर,
पर्यावरण : अनोखे रिश्ते
क्या और कैसे: कम्पयूटर, घड़ी, टेलिफोन, रेलगाड़ी
चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट ने बच्चों के लिए असमिया, बंगाली, हिन्दी, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलगू भाषाओं में सचित्र पुस्तकें प्रकाशित की हैं। इस ट्रस्ट के परिसर में ही डा0 राय मेमोरी चिल्ड्रन वाचनालय तथा पुस्तकालय की स्थापना की गई है। जो केवल 16 वर्ष तक के बच्चों के लिए हैं। इसमें हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा की 30,000 से अधिक पुस्तकें हैं। इसी क्रम में सन् 1991 में शंकर आर्ट अकादमी की स्थापना की गई है। जहॉं पर पुस्तक, चित्र, आर्ट तथा ग्राफिक के कार्यक्रम चलाए जाते हैं। शंकर इंटरनेशनल चित्रकला प्रतियोगिता भी पूरे देश में आयोजित की जाती है जिससे बच्चों में सृजनात्मक रुचि का विकास होता है।
पत्रिकाओं के स्तर पर अनेक भारतीय भाषाओ में चंपक, हिन्दी में बाल हंस, बाल भारती, नन्हें सम्राट,नंदन तथा युवाओं के लिए मुकता प्रकाशित की जाती है
पंजाब केसरी, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान समाचार पत्रों में भी ‘बालकों का कोना’ बच्चों के लिए प्रकाशित किया जाता है जिसमें बाल प्रतिभा को विकसित करने का अवसर दिया जाता है ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के दरियागंज स्थित एन.आई.ई. (N.I.E) सेन्टर में दिल्ली के स्कूली बच्चों की रचनाओं पर आधारित शिक्षा (एजूकेशन) का पृष्ठ संपादित होता है जो अत्यंत सूचनाप्रद तथा रंगबिरंगी आभा को लेकर प्रकाशित किया जाता है जिसमें दिल्ली के सभी स्कूलों की गतिविधियॉं प्रकाशित की जाती है जो कि बाल साहित्य के क्षेत्र में एक अनूठा कदम है।
हिन्दी में बाल साहित्य
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आधुनिक बालसाहित्य के प्रणेता के रूप में डॉ हरिकृष्ण देवसरे ने 300 से अधिक पुस्तकें लिखी, साहित्य के प्रतिष्ठित संस्थाओं से 25 से अधिक राष्ट्रीय एवं राजकीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। साहित्य अकादेमी द्वारा बालसाहित्य के क्षेत्र में समग्र योगदान हेतु वर्ष 2011 के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। डॉ॰देवसरे की जीवनी फिल्म के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। (https://www.youtube.com/watch?v=vRfpsiAUT78)
श्री जयप्रकाश भारती को हिन्दी में बालसाहित्य का युग प्रवर्तक माना जाता है।
बाहरी कड़ियाँ
- बाल साहित्य ; बच्चों की कहानियाँ-परी की कहानी स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (आशीष कुमार)
- मधुमती का बाल-साहित्य विशेषांक
- भारतीय बालसाहित्य और विश्व-परिदृश्य (डॉ॰ श्यामसिंह शशि)
- चुनी हुईं बाल कहानियाँ ; भाग - १ (गूगल पुस्तक ; लेखक - रोहिताश्व अष्ठाना)
- मैत्रे का पुल (गूगल पुस्तक ; लेखक - जयप्रकाश भारती)
- मार्गदर्शन के लिये तरसते बच्चे (संजय द्विवेदी)
- स्वातंत्रोत्तर बाल साहित्य (गूगल पुस्तक ; लेखक - कामना सिंह)
- हिंदी का बाल-साहित्य : परंपरा, प्रगति और प्रयोग (गद्यकोश ; लेखक - दिविक रमेश)