गणितकौमुदी
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गणितकौमुदी नारायण पण्डित द्वारा सन् १३५६ में संस्कृत में रचित एक गणितग्रन्थ है। इसमें गणितीय संक्रियाओं (मैथेमैटिकल ऑपरेशन्स) का वर्णन है। इस ग्रंथ में सांयोजिकी के बहुत से परिणामों का आकलन (anticipation) किया गया था जो बाद में निकाले गये।
गणितकौमुदी में N x2 + K2 = y2 के पूर्णांक हल निकालने के लिए सतत भिन्न के कुछ परिणामों का सहारा लिया गया है।
- ह्रस्वज्येष्ठक्षेपण
- kramasastesamadho nyaset tanstu
- anyanyesam nyasa
- stasya bhaved bhavana-nama || 2 ||
- vajrabhyasau hrasva
- jyesthakayoh samyutirbhaved hrasvam
- laghughatah prakrtihato
- jyesthavadhenanvito jyestham || 3 ||
- ksiptorghatah ksepah
- syad vajrabhyasayorviseso va
- hrasvam lavdhorghatah
- prakrtighno jyesthyosca vadhah || 4 ||
- tadvivaram jyesthapadam
- ksepah ksiptyoh prajayate ghatah 4-1/2
बाहरी कड़ियाँ
- गणितकौमुदी (भाग-१)साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link] (गोपीनाथ कविराज)