केदारनाथ सिंह

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
केदारनाथ सिंह
Kedarnath Singh photo.png
केदारनाथ सिंह
जन्मसाँचा:br separated entries
मृत्युसाँचा:br separated entries
मृत्यु स्थान/समाधिसाँचा:br separated entries
व्यवसायहिन्दी के प्रतिनिधि कवि
राष्ट्रीयताभारतीय
उल्लेखनीय सम्मान

साँचा:template otherसाँचा:main other

केदारनाथ सिंह (०७ जुलाई १९३४ – १९ मार्च २०१८), हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार थे। वे अज्ञेय द्वारा सम्पादित तीसरा सप्तक के कवि रहे। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उन्हें वर्ष २०१३ का ४९वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था।[१] वे यह पुरस्कार पाने वाले हिन्दी के १०वें लेखक थे।[२][३]

जीवन परिचय

केदारनाथ सिंह का जन्म १९ नवंबर १९३४ ई॰ को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के चकिया गाँव में हुआ था। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से १९५६ ई॰ में हिन्दी में एम॰ए॰ और १९६४ में पी-एच॰ डी॰ की उपाधि प्राप्त की। उनका निधन १९ मार्च २०१८ को दिल्ली में उपचार के दौरान हुआ। कुछ वक़्त गोरखपुर में हिंदी के प्रध्यापक रहे। उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा केंद्र में बतौर आचार्य और अध्यक्ष काम किया था।[४]

योगदान

केदारनाथ सिंह की प्रमुख काव्य कृतियां ‘जमीन पक रही है', ‘यहां से देखो’, ‘उत्तर कबीर’, ‘टालस्टॉय और साइकिल’ और ‘बाघ’ हैं। उनकी प्रमुख गद्य कृतियां ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान’ और ‘मेरे समय के शब्द’ हैं।

मुख्य कृतियाँ

कविता संग्रह
  • अभी बिल्कुल अभी (1960)
  • जमीन पक रही है[५](1980)
  • यहाँ से देखो[६](1983)
  • बाघ[५](1996),(पुस्तक के रूप में)
  • अकाल में सारस[५](1988)
  • उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ[६](1995)
  • तालस्ताय और साइकिल[६](2005)
  • सृष्टि पर पहरा (2014)
आलोचना
  • कल्पना और छायावाद[६]
  • आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान[६]
  • मेरे समय के शब्द[६]
  • मेरे साक्षात्कार[६]
संपादन
  • ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन)[६]
  • समकालीन रूसी कविताएँ[६]
  • कविता दशक[६]
  • साखी (अनियतकालिक पत्रिका)[६]
  • शब्द (अनियतकालिक पत्रिका)[६]

पुरस्कार

1989 में उनकी कृति ‘अकाल में सारस’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। इसके अलावा उन्हें व्यास सम्मान, मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, उत्तर प्रदेश का भारत-भारती सम्मान, बिहार का दिनकर सम्मान तथा केरल का कुमार आशान सम्मान मिला था। वर्ष 2013 में उन्हें प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह हिन्दी के १०वें साहित्यकार थे।[६]

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ