मनेर प्रखण्ड (पटना)

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मनेर
—  प्रखण्ड  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश साँचा:flag
राज्य बिहार
ज़िला पटना
आधिकारिक भाषा(एँ) हिन्दी, मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका, उर्दु, अंग्रेज़ी
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आधिकारिक जालस्थल: http://patna.bih.nic.in/

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मनेर पटना, बिहार का एक प्रखण्ड (अंचल) है।

भूगोल

यहा तीन नदी का संगम अस्थल है!जिसे हल्दी छपरा के नाम से जाना जाता है !

1 - गंगा 2 - सोन 3 - सरयू

चौरासी गाव है जहाँ जंगल और दलदल है रामपुर और सुरमरवा गांव है जहाँ बालू का खादान है ब्यापुर और शेरपुर गांव है जहाँ बहुत संख्या में ईंट भटा है

जनसांख्यिकी

यातायात

मनेर में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 30 है जो बिहार की राजधानी पटना,बंगाल की राजधानी कोलकाता और भारत की राजधानी को आपस मे जोड़ता है इसे कोलकाता-दिल्ली राष्ट्रीयराज्य मार्ग कहा जाता है !

मनेर में पटना रिंग रोड का पश्चिमी हिस्सा है जो मनेर को पटना से जोड़ता है !

मनेर में मनेर बिहटा रोड भी है जो मनेर को ग्रेटर पटना से जोड़ता है और बिहटा एयरपोर्ट से भी!

मनेर में मनेर दानापुर रोड भी है जो मनेर को दानापुर आर्मी एरिया और दानापुर कैंटोमेंट से जोड़ता है !

आदर्श स्थल

मनेर बिहार प्रान्त का एक शहर है। मनेर पूर्वोत्तर भारत के बिहार राज्य में पटना के समीप अवस्थित एक इस्लामिक धर्मस्थल है। यहाँ एक महान सूफ़ी संत पीर हज़रत मखादुन याहिया मनेरी हुए थे। संत पीर हज़रत मखादुन याहिया मनेरी का मक़बरा यहाँ स्थित है, जिसे बड़ी दरगाह के नाम से जाना जाता है। इनके शिष्य शाहदौलत और शेख याहिया मनेरी के मक़बरे भी यहाँ हैं। शाहदौलत का मक़बरा छोटी दरग़ाह के नाम से जाना जाता है।बिहार में स्थित मनेर एक प्रख्यात तीर्थ है, जहाँ की दो मजारें- 'मखदमू याहिया मनेरी, जिसे 'बड़ी दरगाह' के नाम से जाना जाता है तथा दूसरी 'शाह दौलत' या 'मखदमू दौलत', जिसे लोग 'छोटी दरगाह' के नाम से सम्बोधित करते हैं। वास्तव में मनेर का प्रारम्भिक नाम 'मनियार मठान' था, जिसका साहित्यिक अर्थ होता है- "संगीतमय शहर"। मनेर शरीफ़ मुस्लिमों का वह प्रसिद्ध स्थल है, जहाँ सूफ़ी संत मखदूम दौलत ने सन 1608 में आखरी साँस ली थी। बिहार के मुग़ल सूबेदार मुहम्मद इब्राहीम ख़ान, जो मखदूम दौलत का शिष्य था, ने उनकी दरगाह का निर्माण सन 1616 में करवाया था।मनेर शरीफ खानकाह का इतिहास काफी पुराना है। देश में सूफी सिलसिले की शुरुआत का गवाह मनेर शरीफ दरगाह है। यह दरगाह गंगा,सोन और सरयु नदी के संगम पर स्थित है। इस दरगाह की बुनियाद 1180 ई. (576 हिजरी) में रखी गयी थी। स्थानीय जानकार बताते हैं कि यह खानकाह देश के सबसे पुराने खानकाहों में से एक है।

शिक्षा

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ