वैशाली जिला
वैशाली | |
— जिला — | |
वैशाली में लगा अशोक स्तम्भ
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समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | साँचा:flag |
राज्य | बिहार |
जनसंख्या • घनत्व |
३४,९५,२०१ (साँचा:as of) • 1335 प्रति वर्ग किलो मीटर |
क्षेत्रफल | 2036 वर्ग किलोमीटर कि.मी² |
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साँचा:coord वैशाली (साँचा:lang-en) बिहार प्रान्त के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर १२ अक्टुबर १९७२ को वैशाली एक अलग जिला बना। वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। वज्जिका तथा हिन्दी यहाँ की मुख्य भाषा है। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि "रिपब्लिक" कायम किया गया था। वैशाली जिला भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का इस धरती पर तीन बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था। ऐतिहासिक महत्त्व के होने के अलावे आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां एक प्रसिद्ध बरैला झील है जो की 263 एकड़ में फैला हुआ है।
इतिहास
- वैशाली जन का प्रतिपालक, विश्व का आदि विधाता,
- जिसे ढूंढता विश्व आज, उस प्रजातंत्र की माता॥
- रुको एक क्षण पथिक, इस मिट्टी पर शीश नवाओ,
- राज सिद्धियों की समाधि पर फूल चढ़ाते जाओ॥ -- (कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियाँ)
वैशाली का नामाकरण रामायण काल के एक राजा विशाल के नाम पर हुआ है। विष्णु पुराण में इस क्षेत्र पर राज करने वाले 34 राजाओं का उल्लेख है, जिसमें प्रथम नभग तथा अंतिम सुमति थे। राजा सुमति भगवान राम के पिता राजा दशरथ के समकालीन थे। विश्व को सर्वप्रथम गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली ही है। आज वैश्विक स्तर पर जिस लोकशाही को अपनाया जा रहा है वह यहाँ के लिच्छवी शासकों की ही देन है। ईसा पूर्व छठी सदी के उत्तरी और मध्य भारत में विकसित हुए 16 महाजनपदों में वैशाली का स्थान अति महत्त्वपूर्ण था। नेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरूआत की गयी थी। लगभग छठी शताब्दि ईसा पूर्व में यहाँ का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाता था। मौर्य और गुप्त राजवंश में जब पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) राजधानी के रूप में विकसित हुआ, तब वैशाली इस क्षेत्र में होने वाले व्यापार और उद्योग का प्रमुख केंद्र था। ज्ञान प्राप्ति के पाँच वर्ष बाद भगवान बुद्ध का वैशाली आगमन हुआ, जिसमें वैशाली की प्रसिद्ध नगरवधू आम्रपाली सहित चौरासी हजार नागरिक संघ में शामिल हुए। वैशाली के समीप कोल्हुआ में भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम सम्बोधन दिया था। इसकी याद में महान मौर्य महान सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दि ईसा पूर्व सिंह स्तम्भ का निर्माण करवाया था। महात्मा बुद्ध के महा परिनिर्वाण के लगभग 100 वर्ष बाद वैशाली में दूसरे बौद्ध परिषद का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की याद में दो बौद्ध स्तूप बनवाये गये। वैशाली के समीप ही एक विशाल बौद्ध मठ है, जिसमें भगवान बुद्ध उपदेश दिया करते थे। भगवान बुद्ध के सबसे प्रिय शिष्य आनंद की पवित्र अस्थियाँ हाजीपुर (पुराना नाम- उच्चकला) के पास एक स्तूप में रखी गयी थी। पाँचवी तथा छठी सदी के दौरान प्रसिद्ध चीनी यात्री फाहियान तथा ह्वेनसांग ने वैशाली का भ्रमण कर यहाँ का भव्य वर्णन किया है।
वैशाली जैन धर्मावलम्बियों के लिए भी काफी महत्त्वपूर्ण है। यहीं पर 599 ईसापूर्व में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वसोकुंड में हुआ था। ज्ञात्रिककुल में जन्में भगवान महावीर यहाँ 22 वर्ष की उम्र तक रहे थे। इस तरह वैशाली भारत के दो महत्त्वपूर्ण धर्मों का केंद्र था। बौद्ध तथा जैन धर्मों के अनुयायियों के अलावा ऐतिहासिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भी वैशाली महत्त्वपूर्ण है। वैशाली की भूमि न केवल ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है वरन् कला और संस्कृति के दृष्टिकोण से भी काफी धनी है। वैशाली जिले के चेचर (श्वेतपुर) से प्राप्त प्राचीन मूर्त्तियाँ तथा सिक्के पुरातात्विक महत्त्व के हैं।
पूर्वी भारत में मुस्लिम शासकों के आगमन के पूर्व वैशाली मिथिला के कर्नाट वंश के शासकों के अधीन रहा, लेकिन जल्द ही यहाँ गयासुद्दीन एवाज़ का शासन हो गया। 1323 में तुग़लक वंश के शासक गयासुद्दीन तुग़लक का राज आया। इसी दौरान बंगाल के एक शासक हाजी इलियास शाह ने 1345 ई॰ से 1358 ई॰ तक यहाँ शासन किया। चौदहवीं सदी के अंत में तिरहुत समेत पूरे उत्तरी बिहार का नियंत्रण जौनपुर के राजाओं के हाथ में चला गया, जो तबतक जारी रहा जबतक दिल्ली सल्तनत के सिकन्दर लोधी ने जौनपुर के शासकों को हराकर अपना शासन स्थापित नहीं किया। बाबर ने अपने बंगाल अभियान के दौरान गंडक तट के पार हाजीपुर में अपनी सैन्य टुकड़ी को भेजा था। 1572 ई॰ से 1574 ई॰ के दौरान बंगाल विद्रोह को कुचलने के क्रम में अकबर की सेना ने दो बार हाजीपुर किले पर घेरा डाला था। 18वीं सदी के दौरान अफगानों द्वारा तिरहुत कहलाने वाले इस प्रदेश पर कब्ज़ा किया। स्वतंत्रता आन्दोलन के समय वैशाली के शहीदों की अग्रणी भूमिका रही है। बसावन सिंह, बेचन शर्मा, अक्षयवट राय, सीताराम सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में महत्त्वपूर्ण हिस्सा लिया। आजादी की लड़ाई के दौरान 1920, 1925 तथा 1934 में महात्मा गाँधी का वैशाली जिले में तीन बार आगमन हुआ था। सन् 1875 से लेकर 1972 तक यह जिला मुजफ्फरपुर का अंग बना रहा। 12 अक्टुबर 1972 को वैशाली को स्वतंत्र जिले का दर्जा प्राप्त हुआ।
भूगोल
वैशाली जिला का क्षेत्रफल 2036 वर्ग किलोमीटर है, जिसका समुद्र तल से औसत ऊँचाई 52 मीटर है। गंगा, गंडक, बया, नून यहाँ की नदियाँ है। गंगा तथा गंडक क्रमशः जिले की दक्षिणी एवं पश्चिमी सीमा बनाती है। वैशाली जिला के उत्तर में मुजफ्फरपुर, दक्षिण में पटना, पूर्व में समस्तीपुर तथा पश्चिम में सारन जिला है।
- जलवायु
वैशाली जिले में नवम्बर से फरवरी तक शीत ऋतु, मार्च से जून तक ग्रीष्म ऋतु तथा जुलाई से सितम्बर वर्षा ऋतु होता है। वसंत काल (फरवरी - मार्च) तथा शरद काल (सितम्बर-अक्टुबर) सबसे सुखद होता है। गर्मियों में यहाँ का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से 21 डिग्री सेल्सियस के बीच तथा जाड़े में 23 डिग्री सेल्सियस से 6 डिग्री सेल्सियस के बीच बदलता रहता है। गर्मियों में 'लू' तथा जाड़ों में 'शीतलहरी' का चलना आम है। सर्दियों की सुबह एवं गरमी की शाम सुकून देने वाला होता है। छठ को शीत ऋतु का और होली पर्व को गर्मी का आरम्भ माना जाता है। मौसम सालाना औसत वर्षा 120 से.मी. होती है, जिसका अधिकांश मॉनसूनी महीनों (जून मध्य से अगस्त) में प्राप्त होता है।
- जनसांख्यिकी
- जनसंख्या :- 3,495,021(2011 की जनगणना अनुसार)
पुरुषों की संख्या:- 1,844,535
स्त्रियों की संख्या:- 1,650,486
- जनसंख्या का घनत्वः- 1335 प्रति वर्ग किलोमीटर
- स्त्री-पुरूष अनुपात = 895 प्रति 1000
- साक्षरता दरः- 66.60%
- प्रशासनिक विभाजन
वैशाली जिला 3 अनुमंडल, 16 प्रखंड, 291 ग्राम पंचायत तथा 1638 गाँवों में बँटा है। अपराध नियंत्रण के लिए जिले में 22 थाने तथा 6 सुरक्षा चौकी है। जिले के चार शहरों में से एक हाजीपुर में नगर परिषद तथा लालगंज,महनार एवं महुआ में नगर पंचायत गठित है। लोकसभा के नये परिसीमन के मुताबिक वैशाली में दो सीटें हैं। विधान सभा क्षेत्र की जिले में पूर्ण तथा आंशिक रूप से 8 सीटें पड़ती है।[१]
- अनुमंडल: हाजीपुर, महुआ तथा महनार
- प्रखंड: गोरौल, चेहराकलां, जन्दाहा, देसरी, पटेढी बेलसर, पातेपुर, प्रेमराज, बिदुपुर, भगवानपुर, महुआ, महनार, राजापाकर, राघोपुर, लालगंज, सराय, सहदेई बुजुर्ग, वैशाली, हाजीपुर
- विधानसभा सीट : हाजीपुर, महनार, लालगंज, पातेपुर, वैैशाली, महुआ, जाा राजापााकड़, राघोपुुर
- लोकसभा सीट : हाजीपुर, वैशाली
कृषि एवं उद्योग
वैशाली की मुख्य कृषि गेहूँ, चावल, मक्का और तम्बाकू है |
जनजीवन एवं संस्कृति
- मानव बसाव
- समूचा जिला गंगा के उत्तरी मैदान का हिस्सा है। कृषियोग्य उर्वर भूमि और मृदु जलवायु के चलते प्राचीन काल से ही यह स्थान सघन आबादी का क्षेत्र रहा है। जिले में जनसंख्या का घनत्व (1335) राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर तथा बिहार में तीसरा सबसे सघन है। महत्त्वपूर्ण सामरिक अवस्थिति के चलते अतीत में बाहरी लोगों के आकर बसने से यहाँ मिली-जुली स्थानीय संस्कृति पनपी है। प्रायः सभी गाँवों में हिन्दू और मुसलमान बसते हैं। दोनों समुदाय यहाँ के गौरवशाली अतीत और आपसी सहिष्णुता पर नाज़ करते हैं। बिहार की राजधानी पटना से जुड़ाव और भूगोलीय निकटता ने यहाँ की घटनाओं और अवसरों के महत्त्व को कई गुणा बढ़ा दिया है।
- बोलचाल एवं पहनावा
- हिन्दी जिले में शिक्षा का माध्यम तथा प्रमुख भाषा है, किन्तु पश्चिमी मैथिली यहाँ की स्थानीय बोली है, जो मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर और समस्तीपुर के अतिरिक्त नेपाल के सर्लाही जिला में भी बोली जाती है। युवक और युवतियाँ सभी आधुनिक भारतीय वस्त्र पहनते हैं लेकिन गाँव में रहनेवाले अधिकांश व्यस्क स्त्री-पुरुष धोती या साड़ी पहनना ही पसन्द करते हैं।
- शादी विवाह
- वैशाली की स्थानीय संस्कृति तिरहुत के अन्य जिलों (मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण) के समान है लेकिन पर्व-त्योहारों या विवाह के समय गाये जाने वाले गीत मिथिला से प्रभावित है। स्थानीय लोगों में जातिभेद अधिक है इसलिए शादी-विवाह अपने समूह में पारिवारिक कुटुम्ब या रिश्तेदार द्वारा तय किये जाते हैं। सभी समुदायों में शादी के समय दहेज लेना-देना आम है और कई बार इसे लेकर बहुओं को प्रताड़ना देने की खबर भी दैनिक अख़बार की सुर्खियाँ बनती है।
- पर्व-त्योहार
- कई राष्ट्रीय त्योहार जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गाँधी जयंती यहाँ खूब हर्षोल्लास से मनाये जाते हैं। यहाँ के धार्मिक त्योहारों में छठ, होली, दिवाली, दुर्गा पूजा, ईद-उल-फितर, मुहर्रम, महावीर जयंती, महाशिवरात्रि, बुद्ध पूर्णिमा, कृष्णाष्टमी, मकर संक्रांति, लकपाचे, तीज, शावनी घड़ी,जितिया, अनंत चतुर्दशी,श्री शाप्ता, सतुआनी, चौरचन और सामा चकेवा जैसे पर्व हैं। कार्तिक में चार दिवसीय छठपूजा तथा महाशिवरात्रि के अवसर पर हाजीपुर में शिव और पार्वती की विवाह यात्रा की बड़ी धूम होती है। हिन्दुओं और मुस्लिमों के सभी पर्व प्रायः मिलजुल कर ही मनाये जाते हैं।
शिक्षा एवं शैक्षणिक संस्थान
वैशाली जिले की साक्षरता मात्र 66.60% है जो राष्ट्रीय औसत से नीचे है। जिले में 954 प्राथमिक विद्यालय, 389 मध्य विद्यालय तथा 81 उच्च विद्यालय हैं। इसके अलावे सर्व शिक्षा अभियान के तहत यहाँ 105 विद्यालय, 246 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, 210 बाल श्रम विद्यालय, 6 चरवाहा विद्यालय तथा 1 जवाहर नवोदय विद्यालय खोले गये हैं। जिला मुख्यालय हाजीपुर के अतिरिक्त अन्य हिस्सों में भी निजी विद्यालयों की अच्छी संख्या है।
- डिग्री महाविद्यालय
1. राजनारायण महाविद्यालय, देवचंद महाविद्यालय, जमुनीलाल महाविद्यालय, वैशाली महिला महाविद्यालय (सभी हाजीपुर में)
2. अक्षयवट महाविद्यालय, महुआ
3. समता महाविद्यालय अरनिया, जन्दाहा
4. डिग्री महाविद्यालय भगवानपुर
5. बीरचंद पटेल महाविद्यालय देसरी
6. राम प्रसाद सिंह महाविद्यालय चकेयाज, महनार
7. अवध बिहारी सिंह महाविद्यालय लालगंज
जिले के सभी महाविद्यालय बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर बिहार विश्वविद्यालय मुज़फ्फरपुर की अंगीभूत इकाई है।
- व्यवसायिक शिक्षण संस्थान
- जिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान हाजीपुर, शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान- दिग्घीकलां एवं सोरहथा, होटल प्रबंधन एवं पोषाहार संस्थान हाजीपुर, केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग एवं तकनीकि संस्थान हाजीपुर, केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान औद्योगिक क्षेत्र हाजीपुर, कृषि विज्ञान केंद्र हरिहरपुर, रुडसेट संस्थान जढुआ हाजीपुर
- जन शिक्षण संस्थान
- शहीद महेश्वर स्मारक संस्थान समता कालोनी, हाजीपुर
दर्शनीय स्थल
- वैशाली तथा आसपास
- अशोक स्तम्भ:- वैशाली में हुए महात्मा बुद्ध के अंतिम उपदेश की याद में सम्राट अशोक ने नगर के समीप कोल्हुआ में लाल बलुआ पत्थर के एकाश्म सिंह-स्तंभ की स्थापना की थी। लगभग 18.3 मीटर ऊँचे इस स्तम्भ के ऊपर घंटी के आकार की बनावट है जो इसको आकर्षक बनाता है।
- बौद्ध स्तूप:- दूसरे बौद्ध परिषद की याद में यहाँ पर दो बौद्ध स्तूपों का निर्माण किया गया था। पहले तथा दूसरे स्तूप में भगवान बुद्ध की अस्थियाँ मिली है। यह स्थान बौद्ध अनुयायियों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है।
- अभिषेक पुष्करणी:- वैशाली में नव निर्वाचित शासक को इस सरोवर में स्नान के पश्चात अपने पद, गोपनीयता और गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ दिलायी जाती थी। इसी के नजदीक लिच्छवी स्तूप तथा विश्व शांति स्तूप स्थित है।
- राजा विशाल का गढ़:-लगभग एक किलोमीटर परिधि के चारों तरफ दो मीटर ऊँची दीवार है जिसके चारों तरफ 43 मीटर चौड़ी खाई थी। समझा जाता है कि राजा विशाल का राजमहल या लिच्छ्वी काल का संसद है।
- कुण्डलपुर:- यह जगह जैन धर्म के २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मस्थान होने के कारण काफी पवित्र माना जाता है। वैशाली से इसकी दूरी 4 किलोमीटर के आसपास है। यहीं बसाढ गाँव में प्राकृत जैन शास्त्र एवं अहिंसा संस्थान भी स्थित है।
- वैशाली महोत्सव:- प्रतिवर्ष वैशाली महोत्सव का आयोजन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म दिवस पर बैसाख पूर्णिमा को किया जाता है। अप्रैल के मध्य में आयोजित होनेवाले इस राजकीय उत्सव में देशभर के संगीत और कलाप्रेमी हिस्सा लेते हैं।
- विश्व शांति स्तूप:- जापान के निप्पोणजी समुदाय द्वारा बनवाया गया विश्व शांतिस्तूप
- चौमुखी महादेव मंदिर
- बावन पोखर मंदिर
- वैशाली संग्रहालय
- हसनपुर काली मंदिर:- हसनपुर काली मंदिर वैशाली जिला के पूर्वी भाग पर स्थित है,
- बाबा गणीनाथ धर्मस्थली (पलवैया धाम):- विश्व पसिद्ध बाबा गणीनाथ धाम वैशाली के पावन भूमि पर ही स्थित है, यहा हर साल भारत के कोने कोने से लोग आते है साथ ही विदेशी भक्त भी आते है
- कौनहारा घाट: भागवत पुराण में वर्णित गज-ग्राह की लड़ाई में स्वयं भगवान विष्णु ने यहाँ आकर अपने भक्त गजराज को जीवनदान और शापग्रस्त ग्राह को मुक्ति दी थी। गंगा और गंडक के पवित्र संगम पर बसे कौनहारा घाट की महिमा हिन्दू धर्म में अन्यतम है।
- नेपाली छावनी मंदिर: १८वीं सदी में पैगोडा शैली में निर्मित अद्वितीय शिवमंदिर नेपाली वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
- रामचौरा मंदिर: अयोध्या से जनकपुर जाने के क्रम में भगवान श्रीराम ने यहाँ विश्राम किया था। उनके चरण चिह्न प्रतीक रूप में यहाँ मौजूद है।
- महात्मा गाँधी सेतु:- प्रबलित कंक्रीट से गंगा नदी पर बना महात्मा गाँधी सेतु दुनिया में एक ही नदी पर बना सबसे बड़ा पुल है। 46 पाये वाले इस कंक्रीट पुल से गंगा को पार करने पर वैशाली में आम और केले की खेती तथा पटना महानगर के विभिन्न घाटों तथा लैंडमार्क का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
- पातालेश्वर मंदिर :
- सोनपुर मेला
साँचा:main गंगा-गंडक के संगम पर बसे हरिहरक्षेत्र में कौनहारा घाट के सामने सोनपुर में विश्वप्रसिद्ध मेला लगता है। यहाँ बाबा हरिहरनाथ (शिव मंदिर) तथा काली मंदिर के अलावे अन्य मंदिर भी हैं। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को पवित्र गंडक-स्नान से शुरु होनेवाले मेले का आयोजन पक्ष भर चलता है। सोनपुर मेला की प्रसिद्धि एशिया के सबसे बड़े पशु मेले के रूप में है। हाथी-घोड़े से लेकर रंग-बिरंगे पक्षी तक मेले में खरीदे-बेचे जाते हैं। मेला के दिनों में सोनपुर एक सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक केंद्र बन जाता है।
- अन्य महत्त्वपूर्ण स्थल
- चेचर (श्वेतपुर): हाजीपुर से लगभग 18 किलोमीटर पूरब स्थित गंगा नदी के किनारे स्थित चेचर गाँव पुरातात्विक धरोहरों से सम्पन्न गाँव है। इसका पुराना नाम श्वेतपुर है। यहाँ गुप्त एवं पालवंश के शासनकाल की मूर्त्तियाँ एवं सिक्के मिले हैं।
- भुइयाँ स्थान: हाजीपुर से 10 किलोमीटर दूर स्थित एक गाँव में बाबा भुइयाँ स्थान है, जहाँ पशुपालकों द्वारा देवता को दूध अर्पित किया जाता है। वैशाली तथा आसपास के जिले में कृषि एवं पशुपालन से जुड़े लोगों के लिए यह स्थान अति पवित्र है।
- बुढ़ीमाई का मंदिर
बाबा बटेश्वर नाथ का मेला
यातायात व्यवस्था
- सड़क परिवहन
पटना, समस्तीपुर, छपरा तथा मुजफ्फरपुर से यहाँ आने के लिए सड़क या रेल मार्ग सबसे उपयुक्त है। जिले से वर्तमान में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग तथा दो राजकीय राजमार्ग गुजरती हैं। महात्मा गाँधी सेतु पार कर पटना से जुडा़ राष्ट्रीय राजमार्ग 19 हाजीपुर, छपरा होकर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर तक जाती है। हाजीपुर से मुजफ्फरपुर तथा सीतामढी़ होकर सोनबरसा तक जानेवाली 142 किलोमीटर लम्बी सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 77 है। राष्ट्रीय राजमार्ग 103 हाजीपुर, चकसिकन्दर, जन्दाहा, चकलालशाही होते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर स्थित मुसरीघरारी से जोड़ती है। राजकीय राजमार्ग 49 द्वारा यह महुआ तथा ताजपुर से जुडा़ है। राजकीय राजमार्ग 48 के अन्तर्गत 1.80 किलोमीटर का एक छोटा-सा हिस्सा मुजफ्फरपुर - हाजीपुर सड़क का खंड है। राजमार्ग के अतिरिक्त वैशाली के सभी प्रखंड तथा पंचायत जिला उच्चपथ तथा ग्रामीण सड़कों से जुड़ा है। जिले का सार्वजनिक यातायात मुख्यतः निजी बसों, ऑटोरिक्शा और निजी वाहनों पर आश्रित है।
- रेल परिवहन
वैशाली जिले में रेल पथ (ब्रॉड गेज) की कुल लम्बाई 71 किलोमीटर है। मुख्य स्टेशन हाजीपुर है जो पूर्व मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है। वैशाली जिले में पड़ने वाले अन्य महत्त्वपूर्ण स्टेशन गोरौल, भगवानपुर, सराय, अक्षयवटराय नगर, चकसिकन्दर, देसरी तथा महनार है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, गुवाहाठी तथा अमृतसर के अतिरिक्त भारत के महत्त्वपूर्ण शहरों के लिए यहाँ से सीधी ट्रेन सेवा है। बौद्ध सर्किट के तहत एक नयी रेल लाईन पटना से हाजीपुर, वैशाली होकर प्रस्तावित है।
- हवाई परिवहन
वैशाली जिले का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा राज्य की राजधानी पटना में स्थित है। जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई क्षेत्र के लिए इंडियन, स्पाइस जेट, किंगफिसर, इंडिगो आदि विमान सेवाएँ उपलब्ध हैं। दिल्ली, कोलकाता, काठमांडु, बागडोगरा, राँची, बनारस और लखनऊ से फ्लाइट लेकर पटना पहुँच कर वैशाली के किसी भी हिस्से में आसानी से पहुँचा जा सकता है। पटना हवाई अड्डे से सड़क मार्ग द्वारा महात्मा गाँधी सेतु पार कर वैशाली जिले में प्रवेश होते हैं।
- जल परिवहन
जिले की सीमा रेखा पर बहने वाली गंगा तथा गंडक नदी नौकागम्य है। हाजीपुर, अक्षयवटराय नगर (बिदुपुर), राघोपुर तथा महनार के पास से बहनेवाली गंगा नदी का हिस्सा राष्ट्रीय जलमार्ग 1 पर पड़ता है, जिससे यह जिला पश्चिम में बनारस होते हुए इलाहाबाद से तथा पूर्व में कोलकाता होते हुए हल्दिया से जुड़ा है।