इस्तिखारा की नमाज़

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
imported>Isabelle Belato द्वारा परिवर्तित १४:१८, २ सितंबर २०२० का अवतरण (Sayed amir rr (वार्ता) द्वारा किए बदलाव को InternetArchiveBot के बदलाव से पूर्ववत किया: स्पैम लिंक।)
(अन्तर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अन्तर) | नया अवतरण → (अन्तर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

इस्तिखारा की नमाज़ (इंग्लिश: Salat al Istikharah, उर्दू: استخارہ) मुसलमानों द्वारा किसी मुद्दे पर अल्लाह से मार्गदर्शन[१] के लिए पढ़ी जाने वाली नमाज़ है।
सोने से पहले नमाज़ के बाद दुआ(वंदना) पढ़ी जाती है। सुबह उठने पर जिस बात का दिल करे उसे अल्लाह का मशवरा मान लिया जाता है।
हदीस में बताया गया तरीक़ा:
" जब तुम में से कोई एक शख़्स काम करना चाहे तो वो फ़र्ज़ के इलावा दो रकात अदा कर के ये दुआ पढ़े:
अनुवाद: ए अल्लाह में मैं तेरे इलम की मदद से ख़ैर मांगता हूँ और तुझसे ही तेरी क़ुदरत के ज़रीया क़ुदरत तलब करता हूँ और मैं तुझसे तेरा फ़ज़ल अज़ीम मांगता हूँ, यक़ीनन तो हर चीज़ पर क़ादिर है और में किसी चीज़ पर क़ादिर नहीं, तू जानता है और में नहीं जानता और तू तमाम ग़ैबों का इलम रखने वाला है, अल्लाह अगर तू जानता है कि ये काम जिसका मैं इरादा रखता हूँ मेरे लिए मेरे दीन और मेरी ज़िंदगी और मेरे अंजाम-कार के लिहाज़ से बेहतर है तो उसे मेरे मुक़द्दर में कर और आसान कर दे, फिर इस में मेरे लिए बरकत अता फ़र्मा और अगर तेरे इलम में ये काम मेरे लिए और मेरे दीन और मेरी ज़िंदगी और मेरे अंजाम-कार के लिहाज़ से बुरा है तो इस काम को मुझसे और मुझे इस से फेर दे और मेरे लिए भलाई मुहय्या कर जहां भी हो, फिर मुझे उस के साथ राज़ी कर दे।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ