शंकरनारायण

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शंकरनारायण (840 – 900 ई) भारत के खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ थे। वे राजा स्थाणु रविवर्मन के दरबार में थे। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि उन्होने केरल के कोडुनगल्लुर में भारत की प्रथम एक वेधशाला स्थापित की थी। लघुभास्करीयविवरण उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है जो भास्कर प्रथम की लघुभास्करीय का भाष्य है। (लघुभास्करीय भी आर्यभट प्रथम की रचनाओं पर आधारित है।) लघुभास्करीयविवरण की रचना ७९१ शक संवत (८६९ ई) में की गयी थी।

शंकरनारायण खगोलशास्त्री एवं गणितज्ञ गोविन्दस्वामी के शिष्य थे।

लघुभास्करीयविवरण की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें संख्याओं को दशमलव आधारित स्थानीय मान पद्धति के साथ-साथ कटपयादि पद्धति में भी लिखा गया है। इसमें आर्यभट प्रथम द्वारा दी गयीं अधिकांश गणितीय विधियाँ दी गयी हैं, जैसे कि अनिर्धार्य समीकरण by = ax ± c (a, b, c पूर्णांक हैं) का पूर्णांक हल निकालकर उसका उपयोग खगोलीय समस्याओं के समाधान में किया गया है। इसमें 'कूटकार' नामक भारतीय विधि का प्रयोग किया गया है।