विजयवाड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन
विजयवाड़ा जंक्शन | |
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स्टेशन आंकड़े | |
पता | साँचा:br separated entries |
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ऊँचाई | साँचा:convert |
लाइनें | हावड़ा-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग, नई दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग |
संरचना प्रकार | मानक (भू-तल पर) |
पटरियां | 22 |
वाहन-स्थल | उपलब्ध |
साइकिल सुविधायें | हाँ |
अन्य जानकारियां | |
आरंभ | 1888 |
स्टेशन कूट | BZA |
ज़ोन | पूर्व तटीय रेलवे |
मण्डल | विजयवाड़ा रेलवे मंडल |
संचालक | भारतीय रेलवे |
यातायात | |
Passengers | 5.1 करोड़ लगभग। |
सेवायें | |
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स्थान | |
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विजयवाड़ा जंक्शन (स्टेशन कोड: BZA)[१] आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में स्थित एक भारतीय रेलवे स्टेशन है, जिसे विजयवाड़ा रेलवे मंडल के अन्तर्गत एक गैर-उपनगरीय ग्रेड -2 (NSG-2) स्टेशन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।[२] यहहावड़ा-चेन्नई और नई दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलमार्ग में स्थित एक महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन है।[३][४] यह हावड़ा जंक्शन, कानपुर सेंट्रल और नई दिल्ली के बाद देश का चौथा सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है।[५] यह स्टेशन लगभग 180 से अधिक एक्सप्रेस और 150 मालगाड़ियों के माध्यम से 1.40 लाख यात्रियों को सेवा प्रदान करता है। यह भारतीय रेलवे के शीर्ष सौ सबसे ज्यादा बुकिंग किये जाने वाले रेलवे स्टेशनों में से एक है, और राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण पड़ाव है।
इतिहास
विजयवाड़ा सिटी जंक्शन रेलवे स्टेशन का निर्माण 1888 में किया गया था, जब दक्षिणी महाराटा रेलवे का मुख्य पूर्वी मार्ग विजयवाड़ा से होकर अन्य रेलमार्गों से जोड़ा गया। 1889 में, निजाम के गारंटीकृत राजकीय रेलवे ने सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन और विजयवाड़ा के बीच बेजाडा के लिए एक विस्तार रेलवे के रूप में एक रेलमार्ग का निर्माण किया; जिसके बाद स्टेशन विभिन्न दिशाओं से तीन लाइनों का जंक्शन बन गया।
1 नवंबर 1899 को, विजयवाड़ा और चेन्नई के बीच ब्रॉड गेज रेलमार्ग का निर्माण किया गया, जिससे चेन्नई, मुंबई, हावड़ा, नई दिल्ली और हैदराबाद के बीच रेल यात्रा संभव हुआ। बाद के दशकों में विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन को एक जंक्शन के रूप में विकसित किया गया। जब तक कि भारत में सभी स्वतंत्र रेलवे का राष्ट्रीयकरण नहीं हुआ; राष्ट्रीयकरण के बाद, भारत सरकार द्वारा 1950 में भारतीय रेल मंत्रालय का गठन किया गया। विजयवाड़ा मंडल के मुख्यालय के रूप में विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन, दक्षिणी रेलवे को सौंपा गया। 1966 में, एक नया ज़ोन, दक्षिण मध्य रेलवे, का गठन किया गया, जिसका मुख्यालय सिकंदराबाद था; विजयवाड़ा मंडल और विजयवाड़ा जंक्शन को इस नए रेलवे में मिला दिया गया।
1969 में, गोलकुंडा एक्सप्रेस को विजयवाड़ा और सिकंदराबाद के बीच देश में एक्सप्रेस भाप-ईंजन ट्रेन के रूप में पेश किया गया था, जिसकी औसत गति 58 किमी / घंटा थी। 2012 तक, विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन भारत के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है।[६]
अभिन्यास और बुनियादी ढाँचा
विजयवाड़ा स्टेशन में स्टेशन के अंदर एक आदर्श कर्षण के साथ मानक स्टेशन अभिन्यास है। स्टेशन के सभी ट्रैक ब्रॉड गेज और विद्युतीकृत हैं। स्टेशन में 10 प्लेटफार्म हैं और सभी ट्रैक ब्रॉड गेज हैं। स्टेशन का सातवां प्लेटफॉर्म सबसे बड़ा है।[७][८] विजयवाड़ा स्टेशन हावड़ा-चेन्नई और नई दिल्ली-चेन्नई मुख्य लाइनों की दो मुख्य रेलमार्गो के लिए एक जंक्शन स्टेशन है।[९][१०]
संचालन और कमाई
यह स्टेशन प्रतिदिन औसतन 1.40 लाख और 5 करोड़ सालाना यात्रियों को सेवा प्रदान करता है। प्रतिदिन 250 से अधिक यात्री ट्रेनें और 150 मालगाड़ियां स्टेशन से होकर गुजरती है, प्रत्येक ट्रेन में कम से कम 15 से 20 मिनट तक स्टेशन में रुकती हैं।[४][११]
प्लेटफार्मों की संख्या | 10 | |
ट्रेनें | यात्री | 258 |
भाड़ा | 150 | |
यात्रियों | हर दिन | 1.40 लाख |
वार्षिक | 5 करोड़ |
यह भी देखें
सन्दर्भ
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