ऍप्सिलन ओरायोनिस तारा
ऍप्सिलन ओरायोनिस, जिसके बायर नामांकन में भी यही नाम (ε Ori या ε Orionis) दर्ज है, आकाश में कालपुरुष तारामंडल में स्थित एक नीला महादानव तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले तारों में से ३०वाँ सब से रोशन तारा है। यह हमसे १३०० प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) १.७० है।
इस तारे का वर्णक्रम बहुत शुद्ध माना जाता है और खगोलशास्त्री इस से उत्पन्न हुए प्रकाश का प्रयोग अंतरतारकीय माध्यम (उर्फ़ "इन्टरस्टॅलर मीडयम", यानि तारों के बीच का व्योम जिसमें गैस, प्लाज़्मा और खगोलीय धूल मिलती है) का अध्ययन करने के लिए करते हैं। ऍप्सिलन ओरायोनिस के चंद लाख सालों में लाल महादानव बनकर महानोवा (सुपरनोवा) धमाके में फटने की संभावना है। वर्तमान में इसके इर्द-गिर्द एक ऍन॰जी॰सी॰१९९० नामक आणविक बादल है जो इस तारे के विकिरण (रेडियेशन) से दमकता है।[१]
अन्य भाषाओं में
ऍप्सिलन ओरायोनिस को अंग्रेज़ी में "अलनिलम" (Alnilam) भी कहा जाता है। यह अरबी भाषा के "अल-निज़ाम" (النظام) से लिया गया है जिसका अर्थ "मोतियों की लड़ी" है।[२]
वर्णन
ऍप्सिलन ओरायोनिस एक B0 Iab श्रेणी का महादानव तारा है। इसकी अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की ३,७५,००० गुना है (यानि तीन लाख गुना से भी ज़्यादा)। इसका व्यास हमारे सूरज के व्यास का २६ गुना और इसका द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का ४० गुना है। इसमें नाभिकीय संलयन (न्यूक्लीयर फ्यूज़न) इतनी भयंकर तेज़ी से चल रहा है के इस से पैदा होने वाली कणों की सौर आँधी २,००० किलोमीटर प्रति सैकंड की गति से इस तारे की सतह से व्योम में फैलती रहती है।[१] इस तारे का तापमान भी बहुत अधिक है और सतह पर २५,००० कैल्विन अनुमानित किया गया है। माना जाता है कि ऍप्सिलन ओरायोनिस कि उम्र ४०,००,००० वर्ष है।