नीला महादानव तारा

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गामा ओरायनिस (एक नीला महादानव), ऐल्गौल ए और सूरज

नीले महादानव तारे वह महादानव तारे होते हैं जो 'O' या 'B' श्रेणी के तारे हों। इनमें आम तौर पर 10 से 50 सौर द्रव्यमान का द्रव्यमान होता है और इनका अर्धव्यास 25 सौर अर्धव्यास तक हो सकता है। यह ब्रह्माण्ड के सबसे गरम और सबे रोशन तारे होते हैं और कम तादाद में ही मिलते हैं। नीले माहादानव लाल महादानवों से छोटे अकार के होते हैं। क्योंकि इनका जीवनकाल बहुत छोटा होता है यह कम उम्र के खगोलीय समूहों में ही मिलते हैं, जैसे सर्पिल गैलेक्सियों की भुजाओं में, बेढंगी गैलेक्सियों में और खुले तारागुच्छों में. सर्पिल गैलेक्सियों के केन्द्रों, अंडाकार गैलेक्सियों और गोल तारागुच्छों में यह कम ही नज़र आते हैं क्योंकि वह ढाँचे बहुत लम्बे अरसे के निर्माण क्रम के बाद ही तैयार होते हैं और उतने अरसे में नीले महादानव खप जाते हैं।

नीले महादानव का एक बड़ा मश्हूर उदहारण शिकारी तारामंडल में स्थित राइजॅल (राजन्य तारा) है जिसमें सूरज से 20 गुना द्रव्यमान और 60,000 गुना चमक है। नीले महादानावों की संख्या भले ही कम हो, लेकिन उनकी चमक ऐसी तीख़ी होती है की बहुत से तो बिना दूरबीन के पृथ्वी से देखे जा सकते हैं।

बहुत बड़े आकार के तारे अक्सर अपनी मृत्यु के क़रीब आकर नीले माहादानव बन जाते हैं। ऐसे तारों में नाभिकीय अभिक्रिया (न्युक्लेयर रीऐकशन) धीरे हो जाती हैं और तारा सिकुड़ जाता है। इसका नतीजा यह होता है के अब एक पहले से कई छोटी अकार की सतह से पहले के लगभग बराबर ऊर्जा निकल रही होती है जिस से उस सतह का तापमान बहुत बढ़ जाता है। जिन लाल महादानवों की नाभिकीय अभिक्रियाएँ धीमी हो जाती हैं उनके साथ ऐसा ही होता है। लाल महादानवों से हर समय एक घनी गैस की आंधी निकलती रहती है जो अपने घनेपन की वजह से बहुत धीमी रफ़्तार रखती है। इसके विपरीत नीले महादानावों से एक कम घनी लेकिन बहुत तेज़ आंधी निकलती है। जब कोई लाल महादानव नीला महादानव बनता है तो नीले महादानव की तेज़ अंधी पुराने लाल महादानव की धीमी आंधी से जा टकराती है और एक गैस का जमावड़ा तारे के इर्द-गिर्द एक महीन गोले के रूप में बन जाता है। लगभग सारे ही नीले महादानवों के इर्द-गिर्द ऐसे गोले देखे गए हैं जो इस बात का सबूत है के वे सारे कभी लाल महादानव थे।

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