हिमालय के हिमनद

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

हिमालय के हिमनद से तात्पर्य उन हिमनदों से है जो हिमालय पर्वत श्रेणी पर पाए जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद हिमालय पर सबसे ज्यादा बर्फ़ पायी जाती है और हिमालय के हिमनद लगभग ४०,००० वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र पर फैले हैं और इनकी संख्या लगभग १०,००० है।[१] इनमें से ज्यादातर हिमनद सर्क हिमनद हैं।[२]

हिमालय की श्रेणी में ही ध्रुवीय क्षेत्रों के आलावा अन्य कई बड़े हिमनद पाए जाते हैं। बाल्तोरो, बियाफो, सियाचिन, गंगोत्री और जेमू इत्यादि ऐसे ही हिमनद हैं। बियाफो हिमनद हिस्पर के साथ संयुक्त रूप से विश्व का सबसे लम्बा हिमनद तंत्र (ध्रुवीय क्षेत्र के बाहर) बनाता है।[३] इन हिमनदों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ये वर्ष भर बहने वाली हिमालयी नदियों के स्रोत हैं। इसके आलावा ये हिमनद पर्यावरणीय-पर्यटन (इको-टूरिज्म) और ट्रेकिंग के लिये विश्व-विख्यात हैं।

चूँकि हिमालय का जलवायु के नियंत्रण में काफी महत्व है और हिमनद जलवायु परिवर्तन के सूचक के तौर पर माने जाते हैं, हिमालय के हिमनदों का जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से काफ़ी अध्ययन हुआ है।[४][५] इन अध्ययनों के निष्कर्ष मिश्रित हैं[६][७]और अभी भी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि जलवायु परिवर्तन का हिमालय के हिमनदों पर क्या प्रभाव पड़ा है।[८]

वर्गीकरण

पश्चिमी हिमालय के हिमनद

गिलगित बलिस्तान में बियाफो हिमनद

कुमायूँ/गढ़वाल हिमालय के हिमनद

गोमुख - गंगोत्री हिमनद का निचला हिस्सा
  • बनकुण्ड- यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल में स्थित है तथा इससे अमृत गंगा नदी बनती है। बरमा- यह गढ़वाल में चमोली जिले के उत्तर में तथा कालापानी हिमखण्ड के पश्चिम में 0.75 कि॰मी॰ लम्बा हिमखण्ड है।
  • भगीरथी खरक- यह केदारनाथ के पूर्व में स्थित हिमखण्ड है जहाँ से मंदाकिनी नदी निकलती है। भृगुपंथ- यह गढ़वाल में उत्तरकाशी के उत्तर में गंगोत्री हिमखण्ड को बनाता है।
  • बूढ़- यह 3 कि॰मी॰ लम्बा हिमखण्ड है जो गढ़वाल व कुमाऊँ की सीमा पर नन्दा देवी के निचले ढाल पर स्थित है।
  • बर्ला- यह पिंडारी हिमखण्ड के चारों ओर पश्चिमी ढाल पर झूलती घाटी में स्थित है।
  • चंगा बंग- यह नन्दा देवी पर्वत पर स्थित है तथा इससे ऋषि गंगा नदी निकलती है।
  • चतुरंगी - यह चौखम्भा पर्वत के निचले ढाल पर स्थित है।
  • चोर बामक - चमोली जिले के उत्तर पश्चिम में केदारनाथ के निचले ढाल पर स्थित है, जिसका पानी मंदाकिनी में मिलता है।
  • गंगोत्री - यह 26 कि॰मी॰ लम्बा तथा 4 किमी0 चौड़ा हिमखण्ड उत्तरकाशी के उत्तर में स्थित है।
  • कफनी - यह 5 कि॰मी॰ लम्बा व 2.5 कि॰मी॰ चौड़ा हिमखण्ड गढ़वाल व कुमाऊँ की सीमा पर नन्दादेवी के दक्षिण पश्चिमी ढाल पर स्थित है।
  • कागभुसंड - यह 4 कि॰मी॰ लम्बा हिमखण्ड चमोली जिले के उत्तर में स्थित है।
  • कालापानी - यह 5 कि॰मी॰ लम्बा तथा 1 कि॰मी॰ चौड़ा हिमखण्ड चमोली के उत्तर में स्थित है।
  • कामत - यह उत्तर पश्चिमी गढ़वाल में कामत पर्वत के मध्य स्थित है।
  • कंकुल खाल - यह चमोली के उत्तर-पश्चिम में स्थित हिमखण्ड है।
  • खत्लिंग - यह 1.5 कि॰मी॰ लम्बा हिमखण्ड टिहरी के उत्तरी भाग में स्थित है।
  • कीर्ति बामक - यह उत्तर-मध्य गढ़वाल में स्थित है।
  • लाल माटी - यह 0.7 कि॰मी॰ लम्बा हिमखण्ड मण्डल घाटी के ऊपरी भाग में स्थित है।
  • मांडा - यह उत्तरी-मध्य गढ़वाल में स्थित है।
  • मेरू - यह उत्तरकाशी के उत्तर में निचली पहाड़ियों पर स्थित है।
  • मिलाम- यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के दक्षिणी ढाल पर स्थित है।
  • मृगथुनी - यह 6 कि॰मी॰ लम्बा हिमखण्ड नन्दा देवी पर्वतमाला के निचले भाग में स्थित है।
  • नन्दा देवी (उत्तर)- यह नन्दा देवी पर्वतमाला पर स्थित छोटा हिमखण्ड है।
  • नीति - यह गढ़वाल में नीति-पास के दक्षिणी ढाल पर छोटा हिमखण्ड है।
  • पनवाली - यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के दक्षिणी ढाल पर स्थित हिमखण्ड है।
  • पिण्डारी - यह गढ़वाल-कुमाऊँ सीमा के उत्तरी भाग पर स्थित विशाल हिमखण्ड है।
  • पुरबी-कामत - यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के उश हिमालय पर स्थित है।
  • रायकाना - यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल के दक्षिणी ढाल पर स्थित है।
  • रक्त्रवर्ण - यह उत्तर-मध्य गढ़वाल के चौखम्भा पर्वतमाला पर स्थित है।
  • रमानी - यह चमोली के ऊपरी ऋषि-गंगा जलागम में स्थित छोटा हिमखण्ड है।
  • रतबन - यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल में रतबन चोटी के आधार पर स्थित हिमखण्ड है।
  • ऋषि - यह नन्दादेवी पर्वत माला के ढाल पर स्थित छोटा हिमखण्ड है।
  • सतोपंथ - यह गढ़वाल में केदारनाथ क्षेत्र में स्थित हिमखण्ड है।
  • सुखराम - यह उत्तर-पश्चिमी गढ़वाल में मुख्य हिमालय के दक्षिणी भाग पर स्थित हिमखण्ड है।
नेपाल के खुम्बू हिमनद में बर्फ़बारी
  • त्रिषूल - यह गढ़वाल में ऊपरी ऋषि गंगा की घाटी में स्थित छोटा हिमखण्ड है।
  • उत्तरी पैकाना - यह उत्तरी गढ़वाल के कामत पर्वतमाला पर स्थित हिमखण्ड है।
  • वासुकी - यह गढ़वाल में मंदाकिनी नदी के स्रोत के पास स्थित एक छोटा हिमखण्ड है।

पूर्वी हिमालय (नेपाल/सिक्किम हिमालय) के हिमनद


पर्यटन

हिमनदों का अदभुत प्राकृतिक सौंदर्य, उन तक पहुँचने में उनकी दुर्गम्यता और उनके साथ जुड़े खतरे लोगों को एडवेंचर पर्यटन के लिये आकर्षित करते हैं और पूरे विश्व से लोग इन हिमनदों पर ट्रेकिंग के लिये पहुचते हैं।[९] हिमालय के हिमनद भी इस मामले में पूरे विश्व में प्रसिद्द हैं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में काराकोरम पर्वत और काराकोरम हिमनद के पास एक पूरा उद्योग स्थापित है जो पर्वतारोहियों और ट्रेकिंग करने वालों को सुविधाएँ उपलब्ध कराता है [१०] गिलगित-बालिस्तान, स्वात घाटी और सियाचिन हिमनद पूरे विश्व से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।[११] [१२] अंतर्राष्ट्रीय संस्था IUCN ने पर्यटन के दुष्प्रभावों से काराकोरम के पर्यावरण की सुरक्षा हेतु प्लान भी निर्मित किया हुआ है।[१३]

इसी प्रकार कुमायूँ/गढवाल क्षेत्र भी पर्यटन के लिये विख्यात है जहाँ लोग हिमनदों के सहारे ट्रेकिंग पर भी जाते हैं और धार्मिक यात्रा पर भी।[१४] बहुत से हिमनदों का यहाँ के धार्मिक तीर्थस्थलों से भी कुछ न कुछ संबध अवश्य है खास तौर से गंगा यमुना और पिण्डारी नदियों के उद्गम स्थल जो हिमनदों के ही अन्तिम छोर हैं भारतीय परंपरा में पवित्र और पूज्य माने जाते हैं। नेपाल हिमालय में कंचनजंघा और राथोंग हिमनद पर्यटन की दृष्टि से काफ़ी महत्वपूर्ण हैं।

जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण

जलवायु परिवर्तन का हिमालय के हिमनदों पर क्या प्रभाव पड़ा है इस बारे में बहुत मतभेद है। हालाँकि हिमालय के हिमनदों का जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से काफ़ी अध्ययन हुआ है।[१५][१६] इन अध्ययनों के निष्कर्ष मिश्रित हैं[१७][१८]और अभी भी ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि जलवायु परिवर्तन का हिमालय के हिमनदों पर क्या प्रभाव पड़ा है।[१९] एक अध्ययन ने तो इनके सन २०३५ तक पिघल कर समाप्त होजाने की भविष्यवाणी भी कर दी थी[२०] लेकिन बाद में इसका खंडन भी किया गया[२१]। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव निश्चित नहीं लेकिन प्रदूषण ने इनका नुकसान अवश्य किया है।[२२] हाल ही में उत्तराखण्ड सरकार ने अपने हिमनदों को संरक्षित करने के लिये विश्व का पहला हिमनद प्राधिकरण बनाने की घोषणा भी की थी।[२३]

सन्दर्भ

  1. विश्व मोहन तिवारी -गंगाचलम्, अंक-१२ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। पृष्ठ ५२-५३।
  2. हिमालयन भूविज्ञान शोध संस्थान -हिमालयन जियोलॉजी, अंक-१४ स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। १९९३।
  3. द न्यूज.कॉम -ट्रेकिंग न्यूज स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  4. भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) -हिम और हिमनद अध्ययन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  5. प्रताप सिंह, नरेश कुमार, कोटा श्री रामा शास्त्री; गढ़वाल हिमालय स्थित डोकरियानी हिमनद पर जलविज्ञानीय अध्ययन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, इंडिया वाटर पोर्टल
  6. ज़ी न्यूज -धूल प्रदूषण से पिघल रहे हैं हिमालय के हिमनद स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  7. मनोज रावत, वेब दुनिया - दीर्घायु हैं हिमालय के हिमनद स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  8. सुरेश एस डुग्गर - संकट में है एशिया का 'वाटर टावर' स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, वेब दुनिया
  9. मानसी गोपालकृष्णन - हिमनद की सैर स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।; डायेच विले (जर्मन प्रसारण सेवा)।
  10. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  11. वी सी पाण्डेय - Environment, Security and Tourism Development in South Asia: Tourism स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। पृष्ठ ८५-८८।
  12. गिलगित बलिस्तान में एडवेंचर टूरिज़्म स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  13. वक़ार ज़क़रिया - केन्द्रीय काराकोरम संरक्षण निकाय - पर्यटन प्लान स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।; IUCN की रपट।
  14. भजन सिंह खत्री - पर्यटन और तीर्थाटन का स्वर्ग-उत्तराखण्ड स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  15. भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) -हिम और हिमनद अध्ययन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  16. प्रताप सिंह, नरेश कुमार, कोटा श्री रामा शास्त्री; गढ़वाल हिमालय स्थित डोकरियानी हिमनद पर जलविज्ञानीय अध्ययन स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, इंडिया वाटर पोर्टल
  17. ज़ी न्यूज -धूल प्रदूषण से पिघल रहे हैं हिमालय के हिमनद स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  18. मनोज रावत, वेब दुनिया - दीर्घायु हैं हिमालय के हिमनद स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  19. सुरेश एस डुग्गर - संकट में है एशिया का 'वाटर टावर' स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, वेब दुनिया
  20. http://www.tribuneindia.com/2008/20081111/main5.htm स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Himalayan glaciers may disappear by 2035-द ट्रिब्यून]
  21. मनोज रावत, वेब दुनिया - दीर्घायु हैं हिमालय के हिमनद स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  22. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  23. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।