ब्यास नदी

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चेनाब नदी

ब्यास नदी
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हिमाचल प्रदेश में ब्यास नदी
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ब्यास नदी का मानचित्र
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स्थानीय नाम साँचा:native name
स्थान
देश भारत
भौतिक लक्षण
लम्बाई 460 साँचा:error
जलसम्भर लक्षण
नगर हिमाचल प्रदेश परिक्षेत्र

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ब्यास (साँचा:lang-en, साँचा:lang-pa, साँचा:lang-sa) पंजाब (भारत) हिमाचल में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। नदी की लम्बाई 460 किलोमीटर है। पंजाब (भारत) की पांच प्रमुख नदियों में से एक है। इसका उल्लेख ऋग्वेद में केवल एक बार है।[२] बृहद्देवता[३] में शतुद्री या सतलुज और विपाशा का एक साथ उल्लेख है।

इतिहास

हिमाचल प्रदेशमें ब्यास नदी की स्थिति

ब्यास नदी का पुराना नाम ‘अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’ था। यह कुल्लू में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में है। यह कुल्लू, मंडी, हमीरपुर और कांगड़ा में बहती है। कांगड़ा से मुरथल के पास पंजाब में चली जाती है। मनाली, कुल्लू, बजौरा, औट, पंडोह, मंडी, सुजानपुर टीहरा, नादौन और देहरा गोपीपुर इसके प्रमुख तटीय स्थान हैं। इसकी कुल लंबाई 460 कि॰मी॰ है। हिमाचल में इसकी लंबाई 256 कि॰मी॰ है। कुल्लू में पतलीकूहल, पार्वती, पिन, मलाणा-नाला, फोजल, सर्वरी और सैज इसकी सहायक नदियां हैं। कांगड़ा में सहायक नदियां बिनवा न्यूगल, गज और चक्की हैं। इस नदी का नाम महर्षि ब्यास के नाम पर रखा गया है। यह प्रदेश की जीवनदायिनी नदियों में से एक है।

स्थिति

इस नदी का उद्गम मध्य हिमाचल प्रदेश में, वृहद हिमालय की जासकर पर्वतमाला के रोहतांग दर्रे पर 4,361 मीटर की ऊंचाई से होता है। यहाँ से यह कुल्लू घाटी से होते हुये दक्षिण की ओर बहती है। जहां पर सहायक नदियों को अपने में मिलाती है। फिर यह पश्चिम की ओर बहती हुई मंडी नगर से होकर कांगड़ा घाटी में आ जाती है। घाटी पार करने के बाद ब्यास पंजाब (भारत) में प्रवेश करती है व दक्षिण दिशा में घूम जाती है और फिर दक्षिण-पश्चिम में यह 470 कि॰मी॰ बहाने के बाद आर्की में सतलुज नदी में जा मिलती है। व्यास नदी 326 ई. पू. में सिकंदर महान के भारत आक्रमण की अनुमानित पूर्वी सीमा थी।[४]

नामोल्लेख

वाल्मीकि रामायण में अयोध्या के दूतों की केकय देश की यात्रा के प्रसंग में विपाशा (वैदिक नाम विपाश) को पार करने का उल्लेख है[५]महाभारत में भी विपाशा के तट पर विष्णुपद तीर्थ का वर्णन है।[६] विपाशा के नामकरण का कारण पौराणिक कथा के अनुसार इस प्रकार वर्णित है,[७] कि वसिष्ठ पुत्र शोक से पीड़ित हो अपने शरीर को पाश से बांधकर इस नदी में कूद पड़े थे किन्तु विपाशा या पाशमुक्त होकर जल से बाहर निकल आए। महाभारत में भी इसी कथा की आवृत्ति की गई है[८]। दि मिहरान ऑव सिंध एंड इट्ज़ ट्रिव्यूटेरीज़ के लेखक रेवर्टी का मत है कि व्यास का प्राचीन मार्ग 1790 ई. में बदल कर पूर्व की ओर हट गया था और सतलुज का पश्चिम की ओर और ये दोनों नदियाँ संयुक्त रूप से बहने लगी थीं। रेवर्टी का विचार है कि प्राचीन काल में सतलुज व्यास में नहीं मिलती थी। किन्तु वाल्मीकि रामायण[९] में वर्णित है कि शतुद्रु या सतलुज पश्चिमी की ओर बहने वाली नदी थी।[१०] अत: रेवर्टी का मत संदिग्ध जान पड़ता है।
ब्यास को ग्रीक लेखकों ने हाइफेसिस कहा है।

पर्यटन स्थल

पठानकोट में ब्यास नदी
हिमाचल प्रदेश, ब्यास नदी में नौका विहार
ब्यास नदी के तट पर बसा एक खूबसूरत शहर मंडी

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  • मनाली कुल्लू घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है। गर्मियों से निजात पाने के लिए इस हिल स्टेशन पर हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं। सर्दियों में यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। आप यहां के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के अलावा मनाली में हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायकिंग जैसे खेलों का भी आनंद उठा सकते है। यहां के जंगली फूलों और सेब के बगीचों से छनकर आती सुंगंधित हवाएं दिलो दिमाग को ताजगी से भर देती हैं।

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  • व्‍यास नदी के किनारे बसा हिमाचल प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल मंडी लंबे समय से व्‍यवसायिक गतिविधियों का केन्‍द्र रहा है। समुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। कहा जाता है महान संत मांडव ने यहां तपस्‍या की और उनके पास अलौकिक शक्तियां थी। साथ ही उन्‍हें अनेक ग्रन्‍थों का ज्ञान था। माना जाता है कि वे कोल्‍सरा नामक पत्‍थर पर बैठकर व्‍यास नदी के पश्चिमी तट पर बैठकर तपस्‍या किया करते थे। यह नगर अपने 81 ओल्‍ड स्‍टोन मंदिरों और उनमें की गई शानदार नक्‍कासियों के लिए के प्रसिद्ध है। मंदिरों की बहुलता के कारण ही इसे पहाड़ों के वाराणसी नाम से भी जाना जाता है। मंडी नाम संस्‍कृत शब्‍द मंडोइका से बना है जिसका अर्थ होता है खुला क्षेत्र।

विद्युत परियोजनाएँ

ब्यास नदी और सतलुज नदी के लिंक से एक विद्युत परियोजना बिकसित की गयी है। प्रथम यूनिट के अंतर्गत यह पंडोह में 4711 मिलियन क्‍यूमेक (3.82 एम.ए.एफ.) ब्‍यास जल को 1000 फीट नीचे सतलुज में अपवर्तित करती है। इस बिंदु पर देहर विद्युत गृह की अधिष्‍ठापित क्षमता 990 मेगावाट है, इसके बाद टेल रेस जल सतलुज से बहता हुआ भाखडा के गोबिन्‍दसागर जलशाय में एकत्रित हो जाता है। पंडोह से देहर तक अपवर्तन 38 कि॰मी॰ लम्‍बी जल संवाहक प्रणाली द्वारा होता है जिसमें संयुक्‍त रूप से 25 कि॰मी॰ लम्‍बी एक खुली चैनल तथा दो सुंरगें सम्मिलित हैं। ब्‍यास तथा सतलुज का कुल जलग्रहण क्षेत्र क्रमश: 12560 कि॰मी॰ तथा 56860 कि॰मी॰ है।

ब्‍यास परियोजना की द्वितीय यूनिट के अंतर्गत तलवाड़ा के मैदानी भाग में प्रवेश करने से ठीक पहले ब्‍यास नदी पर पौंग बांध है, जिसका सकल भण्‍डारण 435 फुट अर्थ कोर ग्रैवल शैल डैम के पीछे 8572 मिलियन क्‍यूमेक (6.95 एम.ए.एफ.) है। बांध के आधार पर स्थित विद्युत संयंत्र की अधिष्‍ठापित क्षमता 360 मेगावाट है।[११]

विवाद

देश में रावी और ब्यास नदी जल विवाद काफी पुराना है। यह भारत के दो राज्यों पंजाब (भारत) और हरियाणा के बीच रावी और ब्यास नदियों के अतरिक्त पानी के बंटवारे को लेकर हैं। मुकदमे सालों से अदालतों में हैं।[१२]

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. ’अच्छासिंधु मातृतमामयांस विपाशमुर्वीं सुभगामगन्मवत्समिवमातरासंरिहाणे समानं योनिमनुसंचरंती’, ऋग्वेद 3,33,3
  3. बृहद्देवता 1,114
  4. भारत ज्ञानकोश, खंड-5, पॉप्युलर प्रकाशन मुंबई, पृष्ठ संख्या-247, आ ई एस बी एन 81-7154-993-4
  5. ’विष्णु:पदं प्रेक्षमाणा विपाशां चापि शाल्मलीम्, नदीर्वापीताटाकानि पल्वलानी सरांसि च’, अयोध्याकाण्ड 68,19
  6. एतद् विष्णुपदं नाम दृश्यते तीर्थमुत्तमम्, एषा रम्या विपाशा च नदी परमपावनी’, वनपर्व
  7. ’अत्र वै पुत्रशोकेन वसिष्ठो भगवानृषि:, बद्ध्वात्मानं निपतितो विपाश: पुनरुत्थित:’, महाभारत-वनपर्व 130,9
  8. ’तथैवास्यभयाद् बद्ध्वा वसिष्ठ: सलिले पुरा, आत्मानं मज्जयंश्रीमान् विपाश: पुनरुत्थित:। तदाप्रभृति पुण्य, ही विपाशान् भून्महानदी, विख्याता कर्मणातेन वसिष्ठस्य महात्मन:’, महाभारत अनुशासन 3,12,13
  9. अयोध्याकाण्ड 71,2
  10. प्रत्यक् स्तोत्रस्तरंगिणी, दे. शतुद्र
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बाहरी कड़ियाँ