मालती बेडेकर

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मालती बेडेकर (अन्य नाम: विभावरी शिरूरकर, मालती विश्राम बेडेकर) (18 मार्च 1905 - 7 मई 2001) एक भारतीय मराठी लेखिका थीं।[१] वह मराठी साहित्य में पहली प्रमुख नारीवादी लेखिका के रूप में जानी जाती हैं। बालुताई खरे (मराठी: बाळुताई खरे) उनके मायके का नाम था। वे अनंतराव और इंदिराबाई खरे की बेटी थी। उनकी 1938 में विश्राम बेडेकर से मुलाकात हुई और शादी भी, तत्पश्चात उन्होने अपना नाम मालती विश्राम बेडेकर रख लिया।[२]

कृतियाँ

  • कळ्यांचे निःश्वास (1933)
  • हिंदोळ्यावर (1933)
  • बळी (1950)
  • विरलेले स्वप्न
  • खरेमास्तर (1953).
  • शबरी (1956)
  • पारध (नाटक)
  • वहिनी आली (नाटक)
  • घराला मुकलेल्या स्त्रिया
  • अलंकार-मंजूषा
  • हिंदुव्यवहार धर्मशास्त्र (के॰ एन॰ केलकर के साथ सह लेखन)
  • साखरपुडा(पटकथा)
  • खरेमास्तर (बाद में अनूदित अँग्रेजी भाषा में)।

सन्दर्भ