लाल दानव तारा
खगोलशास्त्र में लाल दानव तारा (red giant star, रॅड जायंट स्टार) ऐसे चमकीले दानव तारे को बोलते हैं जो हमारे सूरज के द्रव्यमान का ०.५ से १० गुना द्रव्यमान (मास) रखता हो और अपने जीवनक्रम में आगे की श्रेणी का हो (यानि बूढ़ा हो रहा हो)। ऐसे तारों का बाहरी वायुमंडल फूल कर पतला हो जाता है, जिस से उस का आकार भीमकाय और उसका सतही तापमान ५,००० कैल्विन या उस से भी कम हो जाता है। ऐसे तारों का रंग पीले-नारंगी से गहरे लाल के बीच का होता है। इनकी श्रेणी आम तौर पर K या M होती है, लेकिन S भी हो सकती है। कार्बन तारे (जिनमें ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन अधिक होता है) भी ज़्यादातर लाल दानव ही होते हैं।
प्रसिद्ध लाल दानवों में रोहिणी, स्वाति तारा और गेक्रक्स शामिल हैं। लाल दानव तारों से भी बड़े लाल महादानव तारे होते हैं, जिनमें ज्येष्ठा और आर्द्रा गिने जाते हैं। आज से अरबों वर्षों बाद हमारा सूरज भी एक लाल दानव बन जाएगा।
विवरण
जब A से K श्रेणी के मुख्य अनुक्रम तारों के केन्द्र में हाइड्रोजन इंधन ख़त्म होने लगता है तो यह तारे अपने केन्द्रों के इर्द-गिर्द की एक तह में हाइड्रोजन में नाभिकीय संलयन (न्यूक्लियर फ्यूज़न) शुरू कर देते हैं। ऐसे तारे फूलना शुरू हो जाते हैं और इनका व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज के व्यास का १० से १०० गुना तक हो जाता है। इनका सतही तापमान भी ठंडा होने लगता है। भौतिकी का सिद्धान्त है कि नीले रंग के फ़ोटोनों (प्रकाश के कणों) में ऊर्जा अधिक होती है और लाल रंग के फ़ोटोनों में कम। जैसे तारा ठंडा पड़ता है उससे उत्पन्न होने वाला प्रकाश भी नारंगी और लाल रंग का होने लगता है।[१][२]
दो मुख्य प्रकार के लाल दानव तारे देखें जाते हैं:
- आर॰जी॰बी॰ - वे लाल दानव जिनमें केन्द्र का सारा हाइड्रोजन संलयन के बाद हीलियम बन चुका है और उस केन्द्र में अब संलयन नहीं हो रहा। केन्द्र के बाहर की एक परत में हाइड्रोजन से हीलियम का संलयन जारी है। ऐसे लाल दानव तारों को "लाल दानव शाखा तारे" (red giant branch stars, RGB, आर॰जी॰बी॰) बुलाया जाता है। अधिकतर लाल दानव तारे इसी प्रकार के होते हैं।
- ए॰जी॰बी॰ - वे लाल दानव तारे जिनमें हीलियम का ही नाभिकीय संलयन शुरू हो चुका है और उसे कुचलकर कार्बन बनाया जा रहा है। ऐसे लाल दानव तारों को "अनन्तस्पर्शी दानव शाखा तारे" (asymptotic giant branch stars, AGB, ए॰जी॰बी॰) बुलाया जाता है। "कार्बन तारे" इसी श्रेणी के तारे होते हैं।
लाल दानवों में जब संलयन ख़त्म हो जाता है तो वह ठंडे पड़कर सिकुड़ने लगते हैं और सफ़ेद बौने तारे बनकर अपना जीवन अन्त करते हैं।
सूरज का लाल दानव भविष्य
आज से ५ अरब सालों बाद हमारा सूरज फूलकर लाल दानव बन जाएगा। पहले बुध ग्रह (मरक्युरी) इसमें समा जाएगा और फिर शुक्र (वीनस)। फैलते हुए यह पृथ्वी को भी निग़ल जाएगा और सम्भावना है कि मंगल भी इसकी चपेट में आ जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका आकार (व्यास) आज से २०० गुना या उस से भी अधिक होगा। इसका पृथ्वी के जीवन पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पृथ्वी अगले १ अरब वर्षों में ही जीवन के लिए कठिन बन जाएगी। सूरज की रोशनी इसी समय में बढ़कर पृथ्वी के सारे सागरों-महासागरों के पानी को उबाल देगी और यह अन्तरिक्ष में खो जाएगा। उसके बाद पृथ्वी शुक्र की तरह का एक शुष्क और वीरान ग्रह होगा। वर्तमान से २ अरब साल बाद पृथ्वी का अधिकतर वायुमंडल सूरज के बढ़ते विकिरण (रेडियेशन) से उत्तेजित होकर अन्तरिक्ष के व्योम में खोया जाएगा। पृथ्वी की ज़मीन एक पिघले पत्थरों का क्षेत्र बन जाएगी।[३][४]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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