लक्ष्मी कुमारी चूड़ावत
लक्ष्मी कुमारी चूड़ावत | |
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व्यवसाय | लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | उपन्यास |
उल्लेखनीय कार्यs | मूमल (राजस्थानी कहानी संग्रह) टाबरां री बातां लेनिन री जीवनी(राजस्थानी अनुवाद) |
सन्तान | दो पुत्र व चार पुत्रियाँ [१] |
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लक्ष्मी कुमारी चूड़ावत (२४ जून १९१६ – २४ मई २०१४) भारतीय लेखिका और राजस्थान से राजनीतिज्ञ थीं।
व्यक्तिगत जीवन
उनका जन्म २४ जून १९१६ को मेवाड़ में हुआ।[२][३] वे राजस्थान में मेवाड़ राजघराने की एक बड़ी रियासत देवगढ़ के रावत विजयसिंह की पुत्री थीं।[४] उनका विवाह १९३४ में रावतसर के रावत तेज सिंह से हुआ। २४ मई २०१४ को उनका निधन हो गया।[५] उन्होंने राजस्थानी भाषा की मान्यता दिलाने के भरसक प्रयास किये।[६]
राजनीतिक जीवन
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्या थीं और उन्होने देवगढ़ विधान सभा का १९६२ से १९७१ तक प्रतिनिधित्व किया। वे १९७२ से १९७८ तक राज्यसभा की सदस्या रहीं। वे राजस्थान प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष भी रहीं।[७]
पुरस्कार
राजस्थानी साहित्य में उनके योगदान के लिए १९८४ में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। इसी तरह उन्हें साहित्य महमहोपाध्याय,हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग राजस्थान रत्न टेसिटरी गोल्ड अवार्ड, महाराना कुम्भा पुरस्कार, सोवियत लैण्ड नेहरू अवार्ड आदि से भी पुरस्कृत किया गया।
पुस्तकें
उन्होंने राजस्थानी और हिन्दी में अनेक पुस्तकों की रचना की। राजस्थानी में उनकी प्रमुख पुस्तकें मुमल, देवनारायण बगड़ावत महागाथा, राजस्थान के रीति-रिवाज, अंतरध्वनि, लेनिन री जीवनी, हिंदुकुश के उस पार हैं।[८]
सन्दर्भ