रामपाल (हरियाणा)
संत रामपाल जी | |
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संत रामपाल जी | |
जन्म |
रामपाल सिंह जटैन साँचा:birth date and age धनाना , पंजाब (अभी हरियाणा), भारत में |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अन्य नाम | रामपाल जी महाराज ,रामपाल दास , जगतगुरु तत्वदर्शी रामपाल जी महाराज , रामपाल , |
व्यवसाय | कबीर पंथ समुदाय के संस्थापक |
प्रसिद्धि कारण | सतलोक आश्रम संस्थापक |
वेबसाइट www |
संत रामपाल दास (अंग्रेजी :Sant Rampal Das) एक भारतीय आध्यात्मिक कबीर पंथी गुरु हैं तथा कबीर साहेब जी को भगवान (परमात्मा) बताते हैं। ये सतलोक आश्रम के संस्थापक भी हैं जो कि भारतीय राज्य हरियाणा के हिसार क्षेत्र में स्थित है।[१]
जीवन
रामपाल दास का जन्म सोनीपत के धनाणा गांव में 8 सितंबर 1951 को हुआ था।[२] अपनी शिक्षा पूर्ण करने के तत्पश्चात ये हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में अभियंता बन गए थे। इनकी आधिकारिक जीवनी के अनुसार, ये बचपन से ही सभी हिंदू देवी देवताओं के कठोर भक्त थे।[३] लेकिन इस भक्ति से इन्हें कभी आत्मिक शांति का अनुभव नहीं हुआ। एक दिन संत रामपाल जी एक गरीबदासीय कबीर पंथी गुरू स्वामी रामदेवानंद से मिलेेेे। जिन्होंने इन्हें समझाया कि उनके द्वारा की जा रही भक्ति की विधि हमारे ही धर्म ग्रंथों से मेल नहीं खाती। अतः वे इस भक्ति विधि से मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकते क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो मनुष्य शास्त्रविधिको छोड़कर अपनी इच्छासे मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को, न सुखको और न परमगतिको ही प्राप्त होता है।[३]
17 फरवरी 1988 को संत रामपाल जी ने स्वामी रामदेवानंद जी को गुरु धारण कर भक्ति का उपदेश लिया। उनके अनुयाई इस दिन को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं।[४]
रामपाल दास का कहना है कि इसके पश्चात इन्होंने भगवत गीता, कबीर सागर, गरीबदास द्वारा रचित सत ग्रंथ, पुराण, वेद तथा अन्य कई ग्रंथ पढ़े। इनका मानना है कि इन्हें इन पुस्तकों में स्वामी रामदेवानंद द्वारा बताए वचनों के प्रमाण मिले, तत्पश्चात इन्होंने स्वामी रामदेवानंदजी द्वारा बताए मंत्रों का घोर जाप किया जिसके बाद इन्हें आत्मिक शांति महसूस होने लगी।[३] 1994 में स्वामी रामदेवानंद ने इन्हें गुरू पद दे दिया। उसके बाद ये "संत रामपाल दास" बन गए।[३] सन् 1995 में उन्होंने अपने अभियंता पद से इस्तीफा दे दिया जोकि 2000 में स्वीकृत हुआ।[३] और बाद में करोंथा गांव में सतलोक आश्रम की स्थापना की थी, हालांकि 2006 में इनके गिरफ्तार होने के बाद सेे ये आश्रम सरकार के निरीक्षण में है।
शिक्षा और नियम
रामपाल दास सभी धर्म के ग्रंथों का हवाला देते हुए कबीर को सभी देवी-देवताओं सहित संपूर्ण ब्रह्मांडों का उत्पत्तिकर्ता मानते हैं और भक्ति को सभी सांसारिक कर्मों से श्रेष्ठ मानते हुए सभी बुराइयों को छोड़कर एक कबीर परमेश्वर की भक्ति हेतु प्रेरित करते हैं। बुराइयां त्यागने के लिए तथा समाज सुधार के लिए भी कुछ नियम बनाए है जिनको भक्ति मर्यादा कहते हैं। जैसे[१]
1. किसी नशीली वस्तु जैसे बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू, सुल्फी, गांजा, शराब, अंडा,मांस आदि का सेवन तो दूर किसी को लाकर भी नहीं देना।[१]
2. जुआ, ताश, चोरी, ठगी आदि नहीं करना।[१]
3. मृत्यु भोज, दहेज, दिखावे के नाम पर फिजूलखर्ची, मुंडन समाधि पूजन, पित्र पूजा, मूर्ति पूजा,आदि नहीं करना।[१]
4. एक कबीर परमात्मा के अलावा अन्य देवी देवताओं की पूजा नहीं करना, सम्मान सबका करना।[१]
5. अश्लील गाने गाना, नाचना, व्याभिचार आदि पूर्णतया वर्जित बताते हैं।[१]
रामपाल दास के अनुयाई विशेष तौर पर उनके ज्ञान से आकर्षित होते हैं, जो सर्व धर्मो के ग्रंथों के अनुकूल होने का दावा किया है। उनके अधिकतर अनुयाइयों का कहना है कि हमने संत द्वारा बताए ज्ञान को सद्ग्रंथों में मिलाया, तब हूबहू अपने धार्मिक ग्रंथों में पाया, उसके बाद हम उनसे जुड़े। हालांकि ज्ञान ही ऐसा विषय है जिसके कारण अधिकतर समुदाय उनका विरोध करते हैं।[५]
रामपाल दास ने अपने ज्ञान से दुनिया को अवगत कराने के लिए ज्ञान गंगा, जीने की राह, गीता तेरा ज्ञान अमृत, गरीमा गीता की, गहरी नज़र गीता में आदि पुस्तकें भी लिखी है।[५]
भविष्यवाणीयां
संत के अनुयायियों का कहना है कि दुनिया भर के कई भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियां संत रामपाल दास पर सटीक बैठती हैं[६] कि वे महामानव के रूप में जाने जाएंगे। जिनमें कुछ निम्न हैं-[७]
जयगुरुदेव पंथ के तुलसी साहेब ने ७ सितंबर १९७१ को कहा कि जिस महापुरुष का हमें इंतजार है वह आज २० वर्ष का हो चुका है। उस दिन संत रामपाल दास की उम्र २० वर्ष हुई थी।[८]
नॉस्त्रेदमस ने कहा था कि २००६ में एक संत अचानक प्रकाश में आएगा जो पहले उपेक्षा का पात्र बनेगा लेकिन बाद में दुनिया सर आंखों पर बिठाएगी।[९]
इसी तरह अन्य भविष्यवक्ताओं जैसे अमेरिका की विश्व विख्यात भविष्यवक्ता फ्लोरेंस, इंग्लैंड के ज्योतिषी ‘कीरो‘, हंगरी की महिला ज्योतिषी “बोरिस्का” आदि की भविष्यवाणियों को संत रामपाल दास पर सटीक बैठने का दावा किया जाता है।[१०]
विवाद
सन् २००६ में संत रामपाल दास ने सार्वजनिक तौर पर सत्यार्थ प्रकाश के कुछ भागों पर आपत्ति जताई थी।[११] इससे गुस्साए आर्य समाज के हजारों समर्थको ने १२ जुलाई२००६ को करौथा के सतलोक आश्रम का घेराव कर लिया व हमला किया।[१२] बचाव में सतलोक आश्रम के अनुयायियों ने भी पलटवार किया। इस झड़प में सोनू नामक एक आर्य समाजी अनुयायी की हत्या हो गई।[१२] जिसमें संतरामपाल दास के विरुद्ध हत्या का केस चलाया गया व उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।[१२] कुछ महीने जेल में बिताने के बाद, २००८ में इन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। नवंबर २०१४ में पुनः कोर्ट ने इन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। लेकिन सतलोक आश्रम बरवाला में हज़ारों समर्थकों की मौजुदगी के कारण पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी।[१३] १९ नवंबर २०१४ को समर्थकों व पुलिस के बीच हुई हिंसा के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।[१३] इसमें ५ महिलाओं और १ बालक की मृत्यु हुई जिनका मुकदमा संत रामपाल दास पर बनाया गया। ये बंधक बनाने के मुकदमे में २९ अगस्त २०१७ को बरी हो गए[१४]।[१५] लेकिन हत्या व देशद्रोह के मुकदमे के कारण जेल में ही हैं।[१३] ११अक्टूबर २०१८ को हिसार कोर्ट द्वारा इन्हें तथा इनके कुछ अनुयायियों को बरवाला की घटना में हुई हत्याओं का दोषी करार कर दिया गया एवं आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।[१६] जज वेद प्रकाश सिरोही, सेशन जज हिसार द्वारा 26 जुलाई 2021 को संत रामपाल दास जी सहित 4 अनुयायियों जिनमें डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह हुड्डा, राजेंदर, बलजीत, बिजेन्दर शामिल हैं को केस नम्बर 5, ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत कोई भी साक्ष्य न होने के कारण एवं आरोपों के बेबुनियाद साबित करते हुए उन्हें बाइज्जत बरी किया है।[१७][१८]
सन्दर्भ
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