भारत–मेडागास्कर सम्बन्ध
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साँचा:template otherसाँचा:main other भारत-मेडागास्कर संबंध का तात्पर्य भारत और मेडागास्कर के बीच वर्तमान और ऐतिहासिक संबंधों से है।
इतिहास
मेडागास्कर और पश्चिमी भारत के बीच संबंध 18 वीं शताब्दी में शुरू हुए और कम से कम 19 वीं शताब्दी के अंत तक दोनों देश नियमित रूप से व्यापार करते रहे। 1954 में अंतरराज्यीय संबंध तब शुरू हुए जब स्वतंत्र भारत ने फ्रांसीसी-नियंत्रित मेडागास्कर में अपने वाणिज्य दूतावास (consulate) की स्थापना की। जब 1960 में मेडागास्कर स्वतंत्र हो गया, तो वाणिज्य दूतावास को दूतावास (embassy) का दर्जा दिया गया।
फरवरी 2011 में, संबंधों को सौहार्दपूर्ण माना गया, कई उच्च-स्तरीय अधिकारियों ने संबंधों के दौरान यात्राओं का आदान-प्रदान हुआ। भारतीय मूल के लगभग 20,000 लोग मेडागास्कर में रहते थे, जिनमें 2,500 भारतीय नागरिक शामिल थे।[१]
मार्च 2018 में, राम नाथ कोविन्द मेडागास्कर जाने वाले पहले भारत के पहले राष्ट्रपति बने। कोविंद को मेडागास्कर के प्रधानमंत्री ओलिवियर सोलोनांड्रसन ने द्वितीय श्रेणी का ग्रैंड क्रॉस, गैर-नागरिकों के लिए मेडागास्कर का सर्वोच्च सम्मान दिया।[२]
व्यापार और वित्त
नवंबर 2008 में, एक्जिम बैंक ने मेडागास्कर को कृषि सुधार के लिए 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया। 2011 तक, 61 मालागासी लोगों ने भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) में भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया था। मार्च 2018 में, अपने वित्तीय सहायता कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाने के लिए, भारत ने मेडागास्कर को कृषि और मशीनीकरण के लिए 80.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण देने का निर्णय लिया।[३]
सैन्य
भारत की नौसेना मेडागास्कर में एक तटीय निगरानी रडार (CSR- Coastal Surveillance Radar) स्टेशन का संचालन करती है। [४]
भूवैज्ञानिक इतिहास
2013 में, वैज्ञानिकों ने पाया कि मेडागास्कर और भारत लगभग 85 मिलियन साल पहले एक ही महाद्वीप का हिस्सा थे। उन्हें साथ जुड़ने वाली भूमि-पट्टी को मौरिशिया कहा जाता है। [५]