भारत-पुर्तगाल संबंध

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{{{party1}}}–{{{party2}}} सम्बन्ध
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साँचा:template otherसाँचा:main other भारत और पुर्तगाल के बीच संबंध 1947 में मित्रतापूर्ण रूप से शुरू हुए जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। किंतु गोवा, दमन और दीव के एक्सक्लेव्ज़ का समर्पण करने में पुर्तगाल के इनकार के कारण 1950 के बाद से रिश्ते बिगड़ने शुरू हो गए। 1955 तक, दोनों राष्ट्रों ने राजनयिक संबंध रद्द कर दिए, जिससे एक संकट पैदा हो गया, जो 1961 में पुर्तगाली भारत के भारतीय उद्घोषणा में निकलकर सामने आया। 1974 में हुई कार्नेशन क्रांति तक पुर्तगाल ने गोवा को भारत का भाग मानने से इंकार किया, तब तक अनियंत्रित क्षेत्रों पर भारतीय संप्रभुता को मान्यता देने से इनकार कर दिया। क्रांति में पुर्तगाल के तत्कालीन तानाशाह का तख़्तापलट हुआ और लिस्बन में नई सरकार ने गोवा समेत अन्य पूर्व पुर्तगाली उपनिवेशों में भारतीय संप्रभुता को मान्यता दी और राजनयिक संबंधों को फिर से बहाल किया।

वर्तमान में भारत और पुर्तगाल अपने संबंधों में बहु-आयामी रूप से विस्तार कर चुके हैं और एक दूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध चाहते हैं।

जनवरी 2017 में पुर्तगाली प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा से हाथ मिलाते हुए नरेंद्र मोदी

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