भारतीय जनता पार्टी
भारतीय जनता पार्टी | |
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चित्र:Bharatiya Janata Party logo.svg.png | |
दल अध्यक्ष | |
महासचिव |
|
संसदीय दल अध्यक्ष | नरेन्द्र मोदी |
नेता लोकसभा | नरेन्द्र मोदी (प्रधानमन्त्री) |
नेता राज्यसभा | थावरचन्द गहलोत |
गठन | 6 अप्रैल 1980 |
मुख्यालय |
6A, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली - 110002 |
गठबंधन | राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन |
लोकसभा मे सीटों की संख्या |
३०३ / ५४५ |
राज्यसभा मे सीटों की संख्या |
९३ / २४५ |
विचारधारा |
हिन्दू राष्ट्र राष्ट्रवाद आर्थिक उदारीकरण अखण्ड मानवतावाद |
प्रकाशन | कमल संदेश |
रंग | भगवा व हरा |
युवा शाखा | भारतीय जनता युवा मोर्चा |
महिला शाखा | भाजपा महिला मोर्चा |
किसान शाखा | भाजपा किसान मोर्चा |
जालस्थल |
bjp |
भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव |
भारतीय जनता पार्टी (संक्षिप्त में, भाजपा) भारत का एक प्रमुख राजनीतिक दल है। As of 2016[update] भारतीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामले में यह भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा दल है।[१][२]
परिचय
भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा १९५१(1951) में निर्मित भारतीय जनसंघ है। १९७७(1977) में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे १९७७ में पदस्थ कांग्रेस पार्टी को १९७७ के आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद १९८०(1980) में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और 1984 के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही।( इसका बड़ा कारण १९८४ में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उनके बेटे राजीव गांधी को सहानुभूति की लहर थी) इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये १९९६ में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो १३ दिन चली।
१९९८ में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी जो एक वर्ष तक चली। इसके बाद आम-चुनावों में राजग को पुनः पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। २००४ के आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और अगले १० वर्षों तक भाजपा ने संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। २०१४ के आम चुनावों में राजग को गुजरात के लम्बे समय से चले आ रहे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और २०१४ में सरकार बनायी। इसके अलावा दिसम्बर २०१७ के अनुसार भारतीय जनता पार्टी भारत के २९ राज्यों में से १९ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है।
भाजपा की कथित विचारधारा "एकात्म मानववाद" सर्वप्रथम १९६५ में दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी। पार्टी हिन्दुत्व के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है और नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवाद की पक्षधर रही हैं। इसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर केन्द्रित है। जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष संवैधानिक दर्जा ख़त्म करना, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना तथा सभी भारतीयों के लिए समान नागरिकता कानून का कार्यान्वयन करना भाजपा के मुख्य मुद्दे हैं। हालाँकि १९९८-२००४ की राजग सरकार ने किसी भी विवादास्पद मुद्दे को नहीं छुआ और इसके स्थान पर वैश्वीकरण पर आधारित आर्थिक नीतियों तथा सामाजिक कल्याणकारी आर्थिक वृद्धि पर केन्द्रित रही।
मुखपत्र
'कमल सन्देश' भारतीय जनता पार्टी का मुखपत्र है। प्रभात झा इसके सम्पादक हैं और संजीव कुमार सिन्हा सहायक सम्पादक।
इतिहास
भारतीय जनसंघ
साँचा:main जनसंघ के नाम से प्रसिद्ध भारतीय जनसंघ की स्थापना डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने प्रबल कांग्रेस के पार्टी के धर्मनिरपेक्ष राजनीति के प्रत्युत्तर में राष्ट्रवाद के समर्थन में १९५१ में की थी। इसे व्यापक रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर॰एस॰एस॰) की राजनीतिक शाखा के रूप में जाना जाता था,साँचा:sfn जो स्वैच्छिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवादी संघटन है और जिसका उद्देश्य भारतीय की "हिन्दू" सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना और कांग्रेस तथा प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के मुस्लिम और पाकिस्तान को लेकर तुष्टीकरण को रोकना था।साँचा:sfn
जनसंघ का प्रथम अभियान जम्मू और कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय के लिए आंदोलन था। मुखर्जी को कश्मीर में प्रतिवाद का नेतृत्व नहीं करने के आदेश मिले थे। आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जिनका कुछ माह बाद दिल का दौरा पड़ने से जेल में ही निधन हो गया। संघटन का नेतृत्व दीनदयाल उपाध्याय को मिला और अंततः अगली पीढ़ी के नेताओं जैसे अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को मिला। हालाँकि, उपाध्याय सहित बड़े पैमाने पर पार्टी कार्यकर्ता आर॰एस॰एस॰ के समर्थक थे। कश्मीर आंदोलन के विरोध के बावजूद १९५२ में पहले लोकसभा चुनावों में जनसंघ को लोकसभा में तीन सीटें प्राप्त हुई। वो १९६७ तक संसद में अल्पमत में रहे। इस समय तक पार्टी कार्यसूची के मुख्य विषय सभी भारतीयों के लिए समान नागरिकता कानून, गोहत्या पर प्रतिबंध लगाना और जम्मू एवं कश्मीर के लिए दिया विशेष दर्जा खत्म करना थे।साँचा:sfnसाँचा:sfnसाँचा:sfn
१९६७ में देशभर के विधानसभा चुनावों में पार्टी, स्वतंत्र पार्टी और समाजवादियों सहित अन्य पार्टियों के साथ मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न हिन्दी भाषी राज्यों में गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही। इससे बाद जनसंघ ने पहली बार राजनीतिक कार्यालय चिह्नित किया, यद्यपि यह गठबंधन में था। राजनीतिक गठबंधन के गुणधर्मों के कारण संघ के अधिक कट्टरपंथी कार्यसूची को ठण्डे बस्ते में डालना पड़ा।साँचा:sfn
जनता पार्टी (१९७७-८०)
साँचा:main १९७५ में प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया। जनसंघ ने इसके विरूद्ध व्यापक विरोध आरम्भ कर दिया जिससे देशभर में इसके हज़ारों कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। १९७७ में आपातकाल ख़त्म हुआ और इसके बाद आम चुनाव हुये। इस चुनाव में जनसंघ का भारतीय लोक दल, कांग्रेस (ओ) और समाजवादी पार्टी के साथ विलय करके जनता पार्टी का निर्माण किया गया और इसका प्रमुख उद्देश्य चुनावों में इंदिरा गांधी को हराना था।साँचा:sfn
१९७७ के आम चुनाव में जनता पार्टी को विशाल सफलता मिली और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार बनी। उपाध्याय के 1979 में निधन के बाद जनसंघ के अध्यक्ष अटल बिहारी बाजपेयी बने थे अतः उन्हें इस सरकार में विदेश मंत्रालय कार्यभार मिला। हालाँकि, विभिन्न दलों में शक्ति साझा करने को लेकर विवाद बढ़ने लगे और ढ़ाई वर्ष बाद देसाई को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। गठबंधन के एक कार्यकाल के बाद १९८० में आम चुनाव करवाये गये।साँचा:sfn
भाजपा (१९८० से अबतक)
स्थापना और आरम्भिक काल
भारतीय जनता पार्टी 1980 में जनता पार्टी के विघटन के बाद नवनिर्मित पार्टियों में से एक थी। यद्यपि तकनीकी रूप से यह जनसंघ का ही दूसरा रूप था, इसके अधिकतर कार्यकर्ता इसके पूर्ववर्ती थे और वाजपेयी को इसका प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। इतिहासकार रामचंद्र गुहा लिखते हैं कि जनता सरकार के भीतर गुटीय युद्धों के बावजूद, इसके कार्यकाल में आर॰एस॰एस॰ के प्रभाव को बढ़ते हुये देखा गया जिसे १९८० के पूर्वार्द्ध की सांप्रदायिक हिंसा की एक लहर द्वारा चिह्नित किया जाता है।साँचा:sfn इस समर्थन के बावजूद, भाजपा ने शुरूआत में अपने पूर्ववर्ती हिन्दू राष्ट्रवाद का रुख किया इसका व्यापक प्रसार किया। उनकी यह रणनीति असफल रही और १९८४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को केवल दो लोकसभा सीटों से संतोष करना पड़ा।साँचा:sfn चुनावों से कुछ समय पहले ही इंदिरा गांधी की हत्या होने के बाद भी काफी सुधार नहीं देखा गया और कांग्रेस रिकार्ड सीटों के साथ जीत गई।साँचा:sfn
बाबरी ढाँचा विध्वंस और हिन्दुत्व आन्दोलन
स्क्रिप्ट त्रुटि: "labelled list hatnote" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। वाजपेयी के नेतृत्व वाली उदारवादी रणनीति अभियान के असफल होने के बाद पार्टी ने हिन्दुत्व और हिन्दू कट्टरवाद का पूर्ण कट्टरता के साथ पालन करने का निर्णय लिया।साँचा:sfnसाँचा:sfn १९८४ में आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया गया और उनके नेतृत्व में भाजपा राम जन्मभूमि आंदोलन की राजनीतिक आवाज़ बनी। १९८० के दशक के पूर्वार्द्ध में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने अयोध्या में बाबरी ढांचा के स्थान पर हिन्दू देवता राम का मन्दिर निर्माण के उद्देश्य से एक अभियान की शुरूआत की थी। यहाँ मस्जिद का निर्माण मुग़ल बादशाह बाबर ने करवाया था और इसपर विवाद है कि पहले यहाँ मन्दिर था।साँचा:sfn आंदोलन का आधार यह था कि यह क्षेत्र रामजन्मभूमि है और यहाँ पर मस्जिद निर्माण के उद्देश्य से बाबर ने मन्दिर को ध्वस्त करवाया।साँचा:sfn भाजपा ने इस अभियान का समर्थन आरम्भ कर दिया और इसे अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाया। आंदोलन की ताकत के साथ भाजपा ने १९८९ के लोक सभा चुनावों ८६ सीटें प्राप्त की और समान विचारधारा वाली नेशनल फ़्रॉण्ट की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार का महत्वपूर्ण समर्थन किया।साँचा:sfn
सितम्बर १९९० में आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन के समर्थन में अयोध्या के लिए "रथ यात्रा" आरम्भ की। यात्रा के कारण होने वाले दंगो के कारण बिहार सरकार ने आडवाणी को गिरफ़तार कर लिया लेकिन कारसेवक और संघ परिवार कार्यकर्ता फिर भी अयोध्या पहुँच गये और बाबरी ढाँचे के विध्वंस के लिए हमला कर दिया।साँचा:sfn इसके परिणामस्वरूप अर्द्धसैनिक बलों के साथ घमासान लड़ाई हुई जिसमें कई कर सेवक मारे गये। भाजपा ने विश्वनाथ प्रतापसिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया और एक नये चुनाव के लिए तैयार हो गई। इन चुनावों में भाजपा ने अपनी शक्ति को और बढ़ाया और १२० सीटों पर विजय प्राप्त की तथा उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी।साँचा:sfn
६ दिसम्बर १९९२ को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और इससे जुड़े संगठनों की रैली ने, जिसमें हजारों भाजपा और विहिप कार्यकर्ता भी शामिल थे ने मस्जिद क्षेत्र पर हमला कर दिया।साँचा:sfn पूर्णतः अस्पष्ट हालात में यह रैली एक उन्मादी हमले के रूप में विकसित हुई और बाबरी मस्जिद विध्वंस के साथ इसका अंत हुआ।साँचा:sfn इसके कई सप्ताह बाद देशभर में हिन्दू एवं मुस्लिमों में हिंसा भड़क उठी जिसमें २,००० से अधिक लोग मारे गये।साँचा:sfn विहिप को कुछ समय के लिए सरकार द्वारा प्रतिबन्धित कर दिया गया और लालकृष्ण आडवाणी सहित विभिन्न भाजपा नेताओं को विध्वंस उत्तेजक भड़काऊ भाषण देने के कारण गिरफ़्तार किया गया।साँचा:sfnसाँचा:sfn कई प्रमुख इतिहासकारों के अनुसार विध्वंस संघ परिवार के षडयंत्र का परिणाम था और यह महज एक स्फूर्त घटना नहीं थी।साँचा:sfn
न्यायमूर्ति मनमोहन सिंह लिब्रहान द्वारा लिखित २००९ की एक रपट के अनुसार बाबरी मस्जिद विध्वंस में मुख्यतः भाजपा नेताओं सहित ६८ लोग जिम्मेदार पाये गये।साँचा:sfn इनमें वाजपेयी, आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी शामिल हैं। मस्जिद विध्वंस के समय उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की रपट में कठोर आलोचना की गई है।साँचा:sfn उनपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ऐसे नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को अयोध्या में नियुक्त किया जो मस्जिद विध्वंस के समय चुप रहें।साँचा:sfn भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी और विध्वंस के दिन आडवाणी की तत्कालीन सचिव अंजु गुप्ता आयोग के सामने प्रमुख गवाह के रूप में आयी। उनके अनुसार आडवाणी और जोशी ने उत्तेजक भाषण दिये जिससे भीड़ के व्यवहार पर प्रबल प्रभाव पड़ा।साँचा:sfn
१९९६ के संसदीय चुनावों में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर केन्द्रित रही जिससे लोकसभा में १६१ सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी।साँचा:sfn वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ दिलाई गई लेकिन वो लोकसभा में बहुमत पाने में असफल रहे और केवल १३ दिन बाद ही उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा।साँचा:sfn
राजग सरकार (१९९८-२००४)
साँचा:main १९९६ में कुछ क्षेत्रिय दलों ने मिलकर सरकार गठित की लेकिन यह सामूहीकरण लघुकालिक रहा और अर्धकाल में ही १९९८ में चुनाव करवाने पड़े। भाजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नामक गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरी जिसमें इसके पूर्ववरीत सहायक जैसे समता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल और शिव सेना शामिल थे और इसके साथ ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और बीजू जनता दल भी इसमें शामिल थी। इन क्षेत्रिय दलों में शिव सेना को छोड़कर भाजपा की विचारधारा किसी भी दल से नहीं मिलती थी; उदाहरण के लिए अमर्त्य सेन ने इसे "अनौपचारिक" (एड-हॉक) सामूहिकरण कहा था।साँचा:sfnसाँचा:sfn बहरहाल, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के बाहर से समर्थन के साथ राजग ने बहुमत प्राप्त किया और वाजपेयी पुनः प्रधानमन्त्री बने।साँचा:sfn हालाँकि, गठबंधन १९९९ में उस समय टूट गया जब अन्ना द्रमुक नेता जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया और इसके परिणामस्वरूप पुनः आम चुनाव हुये।
१३ अक्टूबर १९९९ को भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को बिना अन्ना द्रमुक के पूर्ण समर्थन मिला और संसद में ३०३ सीटों के साथ पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। भाजपा ने अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुये १८३ सीटों पर विजय प्राप्त की। वाजपेयी तीसरी बर प्रधानमन्त्री बने और आडवाणी उप-प्रधानमन्त्री तथा गृहमंत्री बने। इस भाजपा सरकार ने अपना पाँच वर्ष का कार्यकाल पूर्ण किया। यह सरकार वैश्वीकरण पर आधारित आर्थिक नीतियों तथा सामाजिक कल्याणकारी आर्थिक वृद्धि पर केन्द्रित रही।साँचा:sfn
२००१ में बंगारू लक्ष्मण भाजपा अध्यक्ष बने जिन्हें ₹१,००,००० (US$१,३१२.३४) की घूस स्वीकार करते हुये दिखाया गयासाँचा:sfn जिसमें उन्हें रक्षा मंत्रालय से सम्बंधित कुछ खरीददारी समझौतों की तहलका पत्रकार ने चित्रित किया।साँचा:sfnसाँचा:sfn भाजपा ने उन्हें पद छोड़ने को मजबूर किया और उसके बाद उनपर मुकदमा भी चला। अप्रैल २०१२ में उन्हें चार वर्ष जेल की सजा सुनाई गई जिनका १ मार्च २०१४ को निधन हो गया।साँचा:sfn
२००२ के गुजरात दंगे
साँचा:main २७ फ़रवरी २००२ को हिन्दू तीर्थयात्रियों [कारसेवकों] को ले जा रही एक रेलगाडी को गोधरा कस्बे के बाहर मुस्लिमों द्वारा [[,आग लगा दी गयी। यह रेलगाड़ी अयोध्या से आ रही थी और इस बीभत्स कृत्य में ५९ लोग मारे गये। इस घटना को हिन्दुओं पर हमले के रूप में देखा गया और इसने गुजरात राज्य में भारी मात्रा में मुस्लिम-विरोधी हिंसा को जन्म दिया जो कई सप्ताह तक चली।साँचा:sfn कुछ अनुमानों के अनुसार इसमें मरने वालों की संख्या २००० तक पहुँच गई जबकि १५०,००० लोग विस्थापित हो गये।साँचा:sfn बलात्कार, अंगभंग और यातना के घटनायें बड़े पैमाने पर हुई।साँचा:sfnसाँचा:sfn गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य सरकार के उच्च-पदस्थ अधिकारियों पर हिंसा आरम्भ करने और इसे जारी रखने के आरोप लगे क्योंकि कुछ अधिकारियों ने कथित तौर पर दंगाइयों का निर्देशन किया और उन्हें मुस्लिम स्वामित्व वाली संपत्तियों की सूची दी।साँचा:sfn अप्रैल २००९ में सर्वोच्य न्यायालय ने गुजरात दंगे मामले की जाँच करने और उसमें तेजी लाने के लिए एक विशेष जाँच दल (एस॰आई॰टी॰) घटित किया। सन् २०१२ में मोदी एस॰आई॰टी॰ ने मोदी को दंगों में लिप्त नहीं पाया लेकिन भाजपा विधायक माया कोडनानी दोषी पाया जो मोदी मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं। कोडनानी को इसके लिए २८ वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई।साँचा:sfnसाँचा:sfn पॉल ब्रास, मरथा नुस्सबौम और दीपांकर गुप्ता जैसे शोधार्थियों के अनुसार इन घटनाओं में राज्य सरकार की उच्च स्तर की मिलीभगत थी।साँचा:sfnसाँचा:sfnसाँचा:sfn
२००४, २००९ के आम चुनावों में हार
वाजपेयी ने २००४ में चुनाव समय से छः माह पहले ही करवाये। राजग का अभियान "इंडिया शाइनिंग" (उदय भारत) के नारे के साथ शुरू हुआ जिसमें राजग सरकार को देश में तेजी से आर्थिक बदलाव का श्रेय दिया गया।साँचा:sfn हालाँकि, राजग को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा और लोकसभा में कांग्रेस के गठबंधन के २२२ सीटों के सामने केवल १८६ सीटों पर ही जीत मिली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के मुखिया के रूप में मनमोहन सिंह ने वाजपेयी का स्थान ग्रहण किया। राजग की असफलता का कारण भारत के ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचने में असफल होना और विभाजनकारी रणनीति को बताया गया।साँचा:sfnसाँचा:sfn
मई २००८ में भाजपा ने कर्नाटक राज्य चुनावों में जीत दर्ज की। यह प्रथम समय था जब पार्टी ने किसी दक्षिण भारतीय राज्य में चुनावी जीत दर्ज की हो।[३] हालाँकि, इसने २०१३ में अगले विधानसभा चुनावों में इसे खो दिया। २००९ के आम चुनावों में इसकी लोकसभा में क्षमता घटते हुये ११६ सीटों तक सीमित रह गई।साँचा:sfn
२०१४ के आम चुनावों में जीत
२०१४ के आम चुनावों में भाजपा ने २८२ सीटों पर जीत प्राप्त की और इसके नेतृत्व वाले राजग को ५४३ लोकसभा सीटों में से ३३६ सीटों पर जीत प्राप्त हुई।साँचा:sfn यह १९८४ के बाद पहली बार था कि भारतीय संसद में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत मिला।साँचा:sfn भाजपा संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी को २६ मई २०१४ को भारत के १५वें प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ दिलाई गयी।साँचा:sfnसाँचा:sfn
२०१९ के आम चुनावों में प्रचण्ड जीत
२०१९ के आम चुनावों में भाजपा ने ३०३ सीटों पर प्रचण्द जीत प्राप्त की और इसके नेतृत्व वाले राजग को ५४३ लोकसभा सीटों में से ३५२ सीटों पर जीत प्राप्त हुई।
आम चुनावों में
भारतीय जनाता पार्टी का निर्माण आधिकारिक रूप से १९८० में हुआ और इसके बाद प्रथम आम चुनाव १९८४ में हुये जिसमें पार्टी केवल दो लोकसभा सीटे जीत सकी। इसके बाद १९९६ के चुनावों तक आते-आते पार्टी पहली बार लोकसभा में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी लेकिन इसके द्वारा बनायी गई सरकार कुछ ही समय तक चली।साँचा:sfn १९९८ और १९९९ के चुनावों में यह सबसे बड़े दल के रूप में रही और दोनो बार गठबंधन सरकार बनाई।साँचा:sfn २०१४ के चुनावों में संसद में अकेले पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। १९९१ के बाद भाजपा के बाद जब भी भाजपा सरकार में नहीं थी तब प्रमुख विपक्ष की भूमिका निभाई।साँचा:sfn
लोकसभा | चुनाव वर्ष | विजित सीटें | सीटों में परिवर्तन | मत % | वोट उतार-चढ़ाव | सन्दर्भ |
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आठवीं लोक सभा | १९८४ | २ | साँचा:increase २ | ७.७४ | – | साँचा:sfn |
नौंवीं लोक सभा | १९८९ | ८५ | साँचा:increase ८३ | ११.३६ | साँचा:increase ३.६२ | साँचा:sfn |
दसवीं लोक सभा | १९९१ | १२० | साँचा:increase ३७ | २०.११ | साँचा:increase ८.७५ | साँचा:sfn |
ग्यारहवीं लोक सभा | १९९६ | १६१ | साँचा:increase ४१ | २०.२९ | साँचा:increase ०.१८ | साँचा:sfn |
बारहवीं लोक सभा | १९९८ | १८२ | साँचा:increase २१ | २५.५९ | साँचा:increase ५.३० | साँचा:sfn |
तेरहवीं लोक सभा | १९९९ | १८२ | साँचा:increase 0 | २३.७५ | साँचा:decrease १.८४ | साँचा:sfn |
चौदहवीं लोकसभा | २००४ | १३८ | साँचा:decrease ४५ | २२.१६ | साँचा:decrease १.६९ | साँचा:sfn |
पंद्रहवीं लोकसभा | २००९ | ११६ | साँचा:decrease २२ | १८.८० | साँचा:decrease ३.३६ | साँचा:sfn |
सोलहवीं लोक सभा | २०१४ | २८२ | साँचा:increase १६६ | ३१.०० | साँचा:increase१२.२ | साँचा:sfn |
सत्रहवीं लोक सभा | २०१९ | ३०३ | साँचा:increase २१ | ४१.०० | साँचा:increase१० | साँचा:sfn |
विचारधारा और राजनीतिक पद
सामाजिक नीतियाँ एवं हिन्दुत्व
भाजपा की आधिकारिक विचारधारा "एकात्म मानववाद" है।साँचा:sfn
आर्थिक नीतियाँ
स्थापना के बाद से भाजपा की आर्थिक नीतियाँ बहुत सीमा तक बदलती रहीं है। इस दल के अन्दर विभिन्न प्रकार की आर्थिक विचार देखने को मिलते हैं। १९८० के दशक में, अपने पितृ दल (भारतीय जनसंघ) की तरह इस दल के आर्थिक सोच में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों की आर्थिक सोच का प्रभाव था। भाजपा स्वदेशी तथा देशी उद्योगों को बचाने वाली व्यापार नीति की समर्थक थी। किन्तु भाजपा ने आन्तरिक उदारीकरण का समर्थन किया और राज्य द्वारा समर्थिक औद्योगीकरण का विरोध किया, जिसका कांग्रेस समर्थन करती थी।
सुरक्षा एवं आतंकवाद-विरोधी नीतियाँ
सुरक्षा एवं आतंकवाद के विरोध से सम्बन्धित भाजपा की नीतियाँ कांग्रेस की नीतियों से अधिक आक्रामक और राष्ट्रवादी हैं.साँचा:sfnसाँचा:sfn
विदेश नीति
ऐतिहासिक रूप से भाजपा की विदेश नीति, जनसंघ की ही भांति, प्रचण्ड हिन्दू राष्ट्रवाद पर आधारित रही है जिसमें आर्थिक संरक्षणवाद का भी मिश्रण है।
संगठनात्मक संरचना
भाजपा संगठन ठीक रूप से श्रेणीबद्ध है जिसमें अध्यक्ष पार्टी सर्वाधिकार रखता है।साँचा:sfn वर्ष २०१२ तक भाजपा संविधान में यह अनिवार्य किया गया कि कोई भी योग्य सदस्य तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय अथवा राज्य स्तरीय अध्यक्ष बन सकता है।साँचा:sfn वर्ष २०१२ में यह संशोधन भी किया गया कि तीन वर्ष के लगातार अधिकतम दो कार्यकाल पूर्ण किये जा सकते हैं।साँचा:sfn अध्यक्ष के बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी होगी जिसमें परिवर्तनीय मात्रा में कुछ देशभर से वरिष्ठ नेता होते हैं और यह कार्यकारिणी पार्टी की उच्च स्तर के निर्णय लेने की क्षमता रखती है। इसके सदस्यों में से कुछ उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष और सचिव होते हैं जो सीधे अध्यक्ष के साथ काम करते हैं।साँचा:sfn इसी के अनुरूप सरंचना अध्यक्ष के नेतृत्व वाली कार्यकारिणी राज्य, क्षेत्रिय, जिला और स्थानीय स्तर पर भी होगी।साँचा:sfn
भाजपा विशाल ढांचे वाला दल है। इसके समान विचारधारा वाले अन्य संगठनों के साथ सम्बंध रहते हैं जैसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद। इसका समूहों का ढ़ाँचा भाजपा का पूरक हो सकता है और इसके सामान्य कार्यकर्ता आर॰एस॰एस॰ अथवा इससे जुड़े संगठनों से व्युत्पन्न अथवा शिथिलतः कहा जाये तो संघ परिवार से सम्बंध हो सकते हैं।साँचा:sfn
भाजपा के अन्य सहयोगियों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) शामिल है जिसमें आरएसएस की छात्रा इकाई, भारतीय किसान संघ, उनकी किसान शाखा, भारतीय मजदूर संघ और आरएसएस से सम्बद्ध मज़दूर संघ भी शामिल हैं। भाजपा के अन्य सहायक संघठन भी हैं जैसे भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा इसका अल्पसंख्यक भाग है।साँचा:sfn
अटल बिहारी वाजपेई- १९९९-२००४
प्रधानमन्त्रियों की सूची
क्रम | प्रधानमन्त्री | वर्ष | कार्यकाल | चुनाव क्षेत्र |
---|---|---|---|---|
१ | अटल बिहारी वाजपेयी | १९९६, १९९८–०४ | ६ वर्ष | लखनऊ |
२ | नरेन्द्र मोदी | २६ मई २०१४ | पदस्थ | वाराणसी |
विभिन्न राज्यों में उपस्थिति
दिसंबर 2018 तक, 12 राज्यों में भाजपा के मुख्य मंत्री हैं:[४][५]
- अरुणाचल प्रदेश
- असम (असम गण परिषद और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ)
- गोवा (गोवा फॉरवर्ड पार्टी और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के साथ)
- गुजरात
- हरियाणा ( जननायक जनता पार्टी के साथ )
- झारखंड (ऑल् झारखंड स्टुडेन्ट युनियन् (आजसू) के साथ)
- महाराष्ट्र (शिवसेना के साथ)
- मणिपुर (नागा पीपुल्स फ्रंट, नेशनल पीपल्स पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ)
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
- हिमाचल प्रदेश
- त्रिपुरा
चार अन्य राज्यों में, यह अन्य राजनीतिक दलों के साथ सत्ता में भागीदारी करता है इन सभी राज्यों में, बीजेपी सत्तारूढ़ गठबंधन में जूनियर सहयोगी है। राज्य हैं:
- बिहार (जनता दल (यूनाइटेड)(जदयू) और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ)
- नागालैंड (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ)
- मेघालय (नेशनल पीपल्स पार्टी के साथ)
- मिज़ोरम (मिज़ो नेशनल फ्रंट के साथ)
पूर्व में, बीजेपी निम्नलिखित राज्यों में सत्ता में एकमात्र पार्टी रही है-
यह निम्नलिखित राज्यों में सरकार का एक हिस्सा रहा है जैसा कि एक जूनियर सहयोगी पिछले गठबंधन सरकारों का हिस्सा है:
- ओडिशा (बीजू जनता दल के साथ)
- पुडुचेरी (अखिल भारतीय एन.आर। कांग्रेस के साथ)
- पंजाब (शिरोमणि अकाली दल के साथ)
- जम्मू और कश्मीर (जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ)
निम्नलिखित राज्यों में भाजपा सरकार का हिस्सा कभी नहीं रही है:
- केरल
- तमिलनाडु
- तेलंगाना (हालांकि, बीजेपी ने तेलंगाना क्षेत्र को आंध्र प्रदेश के रूप में शासन किया था और इसके सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी को राज्य के विभाजन के पहले)
- पश्चिम बंगाल
उत्तर-पूर्व में पूर्व-पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन नामक एक क्षेत्रीय राजनीतिक गठबंधन भी है।
पार्टी अध्यक्ष
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष दल के चुने हुए प्रमुख होते है। अध्यक्ष पद पर नियुक्ति दो सालों के लिए हुआ करती थी और लगातार दो सत्रों तक हो सकती थी। इस नियम को बदल कर अब ये तीन साल और लगातार दो सत्रोंतक हो चुकी है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के नेतृत्व में २०१४ में देश में प्रचंड विजय हासिल की और सरकार बनाने में सफल हुई। और दोबारा २०१९ में अमित शाह के नेतृत्व में सफलता पाई।[६][७]
क्र | अध्यक्ष | चित्र | जीवनकाल | अध्यक्षपद का काल |
---|---|---|---|---|
१ | अटल बिहारी वाजपेयी | १९२४-२०१८ | १९८०-८६ | |
२ | लालकृष्ण आडवाणी | १९२७- | १९८६-९१ | |
३ | मुरली मनोहर जोशी | १९३४- | १९९१-९३ | |
(२) | लालकृष्ण आडवाणी | १९२७- | १९९३-९८ | |
४ | कुशाभाऊ ठाकरे | १९२२-२००३ | १९९८-२००० | |
५ | बंगारू लक्ष्मण | १९३९-२००४ | २०००-०१ | |
६ | जन कृष्णमूर्ति | १९२८-२००७ | २००१-०२ | |
७ | वेंकैया नायडू | १९४९- | २००२-०४ | |
(२) | लालकृष्ण आडवाणी | १९२७- | २००४-०६ | |
८ | राजनाथ सिंह | १९५१- | २००६-०९ | |
९ | नितिन गडकरी | १९५७- | २००९-१३ | |
(८) | राजनाथ सिंह | १९५१- | २०१३-१४ | |
१० | अमित शाह | १९६४- | २०१४-२०२० | |
११ | जगत प्रकाश नड्डा | १९६०- | २०२०-पदस्थ |
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ एवं स्रोत
सन्दर्भ
- ↑ कैसे बनी भाजपा बनी दुनिया की 'सबसे बड़ी पार्टी' स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। (बीबीसी हिन्दी)
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- ↑ साँचा:cite web
स्रोत
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- Elst, K. (1997). Bharatiya Janata Party vis-à-vis Hindu resurgence. नई दिल्ली: Voice of India.