भारतीय इस्पात प्राधिकरण
चित्र:Saillogo.JPG | |
प्रकार | पी.एस.यू. (बी.एस.ई.: एस.ए.आई.एल) |
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उद्योग | इस्पात |
स्थापना | १९५४ |
मुख्यालय | भारत |
प्रमुख व्यक्ति | एस.के.रूंगटा, अध्यक्ष |
उत्पाद | इस्पात |
राजस्व | ४६१.१०७५ अरब रु. (२००८-०९)[१] |
कर्मचारी | १,३१,९१० (२००६) |
वेबसाइट | सेल.को.इन |
भारतीय इस्पात प्राधिकरण (अंग्रेज़ी:स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल)) भारत की सर्वाधिक इस्पात उत्पादन करने वाली कम्पनी है। यह पूर्णतः एकीकृत लोहे और इस्पात का सामान तैयार करती है। कम्पनी में घरेलू निर्माण, इंजीनियरी, बिजली, रेलवे, मोटरगाड़ी और सुरक्षा उद्योगों तथा निर्यात बाजार में बिक्री के लिए मूल तथा विशेष, दोनों तरह के इस्पात तैयार किए जाते हैं। यह भारत सरकार की पूर्ण-स्वामित्व प्राधिकरण है। यह भारत की सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों में से एक है। भारतीय इस्पात प्राधिकरण (स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) को महारत्न कंपनी बनने का दर्जा सन २०१०[२] में प्राप्त हुआ।
यह व्यापार के हिसाब से देश में सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी १० कम्पनियों में से एक है। सेल अनेक प्रकार के इस्पात के सामान का उत्पादन और उनकी बिक्री करती है। इनमें हॉट तथा कोल्ड रोल्ड शीटें और कॉयल, जस्ता चढ़ी शीट, वैद्युत शीट, संरचनाएँ, रेलवे उत्पाद, प्लेट बार और रॉड, स्टेनलेस स्टील तथा अन्य मिश्र धातु इस्पात शामिल हैं। सेल अपने पांच एकीकृत इस्पात कारखानों और तीन विशेष इस्पात कारखानों में लोहे और इस्पात का उत्पादन करती है। ये कारखाने देश के पूर्वी और केन्द्रीय क्षेत्र में स्थित हैं तथा इनके पास ही कच्चे माल के घरेलू स्रोत उपलब्ध हैं। इन स्रोतों में कंपनी की लौह अयस्क, चूना-पत्थर और डोलोमाइट खानें शामिल हैं। कंपनी को भारत का दूसरा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक होने का श्रेय भी प्राप्त है। इसके पास देश में दूसरा सबसे बड़ा खानों का जाल है। कम्पनी के पास अपने लौह अयस्क, चूना-पत्थर और डोलोमाइट खानें हैं जो इस्पात निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कच्चे माल हैं। इससे कम्पनी को प्रतियोगिता में लाभ मिल रहा है।
सेल का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार डिवीजन आईएसओ ९००१: २००० से प्रमाणित है। इसका कार्यालय नई दिल्ली में है और यह सेल के पांच एकीकृत इस्पात कारखानों से मृदुल इस्पात उत्पादों तथा कच्चे लोहे का निर्यात करता है।
पृष्ठभूमि और इतिहास
अग्रदूत
सेल का आरम्भ भारत की स्वतन्त्रता के साथ हुआ था। स्वतन्त्रता मिलने के पश्चात राष्ट्र निर्माताओं ने देश के तीव्र औद्योगिकीकरण के लिए आधारभूत सुविधाएँ जुटाने की परिकल्पना की। इस्पात क्षेत्र को आर्थिक विकास का साधन माना गया। इन कारणों के चलते १९ जनवरी, १९५४ को हिन्दुस्तान स्टील प्रा.लि. की स्थापना की गई।
१९५९-१९७३
आरम्भ में हिन्दुस्तान स्टील (एचएसएल) को राउरकेला में लगाए जा रहे एक इस्पात कारखाने का प्रबन्ध करने के लिए गठित किया गया था। भिलाई और दुर्गापुर इस्पात कारखानों के लिए प्राथमिक कार्य लोहे और इस्पात मन्त्रालय ने किया था। अप्रैल १९५७ में इन दो इस्पात कारखानों का नियन्त्रण व कार्य की देखरेख भी हिन्दुस्तान स्टील को सौंप दिया गया। हिन्दुस्तान स्टील का पंजीकृत कार्यालय आरम्भ में नई दिल्ली में था। १९५६ में इसे कलकत्ता और १९५९ में रांची ले जाया गया।
भिलाई और राउरकेला इस्पात कारखानों की दस लाख टन क्षमता का चरण दिसम्बर, १९६१ में पूरा किया गया। दुर्गापुर इस्पात कारखाने की दस लाख टन क्षमता का चरण व्हील एवं एक्सल संयंत्र के चालू होने के बाद जनवरी, १९६२ में पूरा हुआ। इसके साथ ही हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड की कच्चा इस्पात उत्पादन क्षमता १ लाख ५८ हजार टन (१९५९-६०) से बढ़कर १६ लाख टन हो गई। बोकारो इस्पात कारखाने के निर्माण और परिचालन के लिए जनवरी, १९६४ में बोकारो स्टील लिमिटेड के नाम से एक नई कम्पनी का निगमन किया गया। भिलाई इस्पात कारखाने का दूसरा चरण वायर रॉड मिल चालू होने के साथ ही सितम्बर, १९६७ में पूरा किया गया। राउरकेला की १८ लाख टन क्षमता की अन्तिम यूनिट-टेण्डम मिल, फरवरी, १९६८ में चालू हुई तथा दुर्गापुर इस्पात कारखाने का १६ लाख टन क्षमता का चरण स्टील मेल्टिंग षाप में भट्टी चालू होने के बाद अगस्त, १९६९ में पूरा किया गया। भिलाई में २५ लाख टन, राउरकेला में १८ लाख टन तथा दुर्गापुर में १६ लाख टन के चरण पूरे होने के साथ ही हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड की कुल कच्चा इस्पात उत्पादन क्षमता १९६८-६९ में बढ़कर ३७ लाख टन और १९७२-७३ में ४० लाख टन हो गई।
धारक कम्पनी
इस्पात तथा खान मंत्रालय ने उद्योग के प्रबन्धन के लिए एक नया मॉडल तैयार करने के वास्ते नीतिगत वक्तव्य तैयार किया। २ दिसम्बर १९७२ को यह नीति वक्तव्य संसद में पेश किया गया। इसके आधार पर कच्चे माल और उत्पादन का कार्य एक ही के अधीन लाने के लिए धारक कम्पनी के सिद्धान्त को आधार बनाया गया। परिणामस्वरूप, स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड का गठन किया गया। २४ जनवरी १९७३ को निगमित इस कम्पनी की अधिकृत पूंजी २० अरब रु. थी तथा इसे भिलाई, बोकारो, दुर्गापुर, राउरकेला और बर्नपुर में पांच एकीकृत इस्पात कारखाने तथा दुर्गापुर स्थित मिश्र इस्पात कारखाना और सेलम इस्पात कारखाने के लिए उत्तरदायी बनाया गया। १९७८ में सेल का पुनर्गठन किया गया और इसे एक परिचालन कम्पनी बनाया गया।
अपने गठन के बाद से ही सेल देश में औद्योगिक विकास के लिए एक सुदृढ़ आधार तैयार करने में सहायक सिद्ध हुई है। इसके अतिरिक्त इसने तकनीकी तथा प्रबन्धकीय विशेषज्ञता के विकास में भी महत्वपूर्ण योग दिया है। सेल ने उपभोग करने वाले उद्योगों को निरन्तर कच्चा माल उपलब्ध करा कर आर्थिक विकास की अनेक प्रक्रियाएं प्रारम्भ की हैं।
दूरदर्शिता
एक सम्मानित विश्व स्तरीय प्रतिष्ठान बनने के साथ-साथ भारतीय इस्पात व्यवसाय में गुणवत्ता, उत्पादकता, लाभप्रदता और उपभोक्ता सन्तुष्टि के क्षेत्र में अग्रणी रहना।
- मूल मत
- हम उपभोक्ताओं के साथ विश्वास एवँ पारस्परिक हित पर आधारित चिरस्थअई सम्बन्ध बनाते हैं।
- हम अपने व्यवसाय के संचालन में सर्वोच्च नैतिक मानकों को बनाए रखते हैं।
- हम एक ऐसी संस्कृति का सृजन और पोषण करते हैं जो नम्य एवँ ज्ञानार्जन की समर्थक हो और परिवर्तन के प्रति सहक्रियात्मक हो।
- हम कर्मचारियों को प्रगति एवँ पुरस्कार के अवसरों से युक्त चुनौतीपूर्ण रोज़गार प्रस्तुत करते हैं।
- हम लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के अवसर और दायित्व क महत्व समझते हैं।
समझौता ज्ञापन
- पोस्को- विस्तृत कारोबार तथा वाणिज्यिक हित-क्षेत्रों में आपसी सहयोग के लिए।
- राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल)- संयुक्त रूप से ओमान में कम सिलिका वाले चूना-पत्थर की खानों की खोज तथा उनके विकास के लिए।
- शिपिंग कारपोरेशन ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (एससीआई)- एक संयुक्त उद्यम स्थापित करना जो सेल को आयातित कोकिंग कोयले से सम्बद्ध सेवाओं के लिए जहाजरानी सेवाएं उपलब्ध कराएगा तथा विश्व भर में बड़ी मात्रा में जहाजरानी कारोबार में भाग लेगा।
- गवर्नमेंट ऑफ़ केरल (जीओके) - राज्य सरकार के स्वामित्व में कालीकट में उपलब्ध इस्पात कारखाने की सुविधाओं को पुनः चालू करना तथा ६५ हजार मीट्रिक टन क्षमता की टीएमटी रोलिंग मिल की स्थापना, विकास और प्रबन्धन। साथ ही सह-सुविधाओं की स्थापना।
- लार्सन एण्ड टर्बो लिमिटेड (एल एण्ड टी)- संयुक्त रूप से उपयुक्त स्थानों पर सेल की भावी बिजली की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निजी/स्वाधीन बिजलीघरों की स्थापना, विकास और प्रबन्धन। साथ ही बिजलीघरों की आवश्यकता पूर्ति के लिए निजी ताप कोयला ब्लॉक खरीदने के अवसर तलाशना।
- मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल)- सेल की खानों में ब्लॉक खोज कार्य करना। ५ वर्षों की अवधि में एक १ लाख मीटर से अधिक क्षेत्र में लौह अयस्क और फ्लक्स खानों की खोज।
- मैसर्स हैवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन (एचईसी)- आधुनिकीकरण/विकास के लिए आवश्यक उपस्कर/कल-पुर्जे प्राप्त करने के लिए।
- मैसर्स बिसरा स्टोन लाइम कंपनी लिमिटेड (बीएसएलसी) - डोलोमाइट के लिए।
- भारतीय रेलवे - उच्च शक्ति इंजनों की खरीद के लिए।
- बंगलौर स्थित भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल)- महत्वपूर्ण उपस्करों की सप्लाई के लिए।
- राजस्थान स्टेट माइन्स एण्ड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल)- लम्बे समय तक कम्पनी सिलिका वाले चूना-पत्थर की सप्लाई के लिए।
- आईआईएम, अहमदाबाद और मेनेजमेन्ट डवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एमडीआई), गुड़गांव - ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए।
- मैसर्स सीमेन्स लिमिटेड - जनशक्ति प्रशिक्षण के लिए।
- रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज (एमईएस) और मैरिड एकोमोडेशन प्रोजेक्ट (एमएपी) लंबे समय तक विनिर्माण इस्पात की आपूर्ति के लिए
संयुक्त उद्यम
एनटीपीसी-सेल पावर कंपनी प्रा.लि. (एनएसपीसीएल)
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इण्डिया लिमिटेड (सेल) और नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन लिमिटेड (एनटीपीसी लि.) के बीच ५०:५० का यह संयुक्त उद्यम राउरकेला, दुर्गापुर और भिलाई निजी बिजलीघरों का प्रबन्धन करता है। इसकी संयुक्त क्षमता ३१४ मेगावाट की है। इसने ५०० मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता (२×२५० मेगावाट यूनिट) का भिलाई में एक बिजलीघर स्थापित किया है। पहली यूनिट से बिजली का उत्पादन अपै्रल, २००९ में शुरू हो गया और दूसरी यूनिट से २००९ तक वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की आशा है।
बोकारो पावर सप्लाई कंपनी प्रा.लि. (बीपीएससीएल)
सेल और दामोदर वैली कारपोरशन के इस ५०:५० संयुक्त उद्यम की स्थापना जनवरी, २००२ में हुई थी। यह बोकारो इस्पात कारखाने में ३०२ मेगावाट विद्युत उत्पादन और १८८० टन प्रति घण्टे स्टीम उत्पादन सुविधाओं का प्रबन्धन कर रहा है। बीपीएससीएल ने बोकारो में २×२५० मेगावाट क्षमता का कोयला आधारित ताप बिजलीघर स्थापित करने का प्रस्ताव किया है। इसके अतिरिक्त बोकारो में ९वें बॉयलर (३०० टन/घण्टे) और ३६ मेगावाट बैक प्रेशर टर्बो जेनरेटर (बीपीटीजी) परियोजना की स्थापना का कार्य किया जा रहा है।
एमजंक्शन सर्विसेस लि.
सेल और टाटा स्टील के ५०:५० आधार पर स्थापित यह संयुक्त उद्यम इस्पात में ई-कॉमर्स गतिविधियों और उसे जुड़े क्षेत्रों को बढ़ावा देता है। कम्पनी द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली नई सुविधाओं में ई-परिसम्पत्ति-बिक्री, आयोजन तथा सम्मेलन, कोयला बिक्री और लॉजिस्टिक्स, प्रकाशन इत्यादि शामिल हैं।
सेल-बंसल सर्विस सेंटर लि.
सेल ने बीएमडब्ल्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ ४०:६० आधार पर बोकारो में सर्विस सेंटर स्थापित करने के लिए संयुक्त उद्यम का गठन किया है। इसका उद्देश्य इस्पात में उपभोक्ता जरूरतों के अनुरूप सटीक उत्पादों के लिए गुणवत्ता में वृद्धि करना है।
भिलाई जे पी सीमेन्ट लिमिटेड
सेल ने मैसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के साथ स्लैग पर आधारित २२ लाख टन क्षमता का एक सीमेन्ट कारखाना भिलाई में स्थापित करने के लिए एक संयुक्त उद्यम बनाया है। यह कम्पनी मार्च, २०१० से भिलाई में सीमेन्ट का उत्पादन प्रारम्भ कर देगी। सतना में क्लिंकर का उत्पादन २००९ में शुरू हो जाएगा।
बोकारो जे पी सीमेन्ट लिमिटेड
सेल ने मैसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड के साथ बोकारो में स्लैग पर आधारित २१ लाख टन क्षमता का एक सीमेन्ट कारखाना स्थापित करने के लिए एक संयुक्त उद्यम बनाया है। आशा है कि निर्माण कार्य २००९ में और सीमेन्ट का उत्पादन जुलाई, २०११ तक प्रारम्भ हो जाएगा।
सेल एवँ मॉयल फेरो एलॉयज (प्रा.) लिमिटेड
सेल ने मैंगनीज ओर (इण्डिया) लिमिटेड के साथ नन्दिनी/भिलाई में १ लाख टन क्षमता का फेरो मैंगनीज और सिलिको मैंगनीज कारखाना स्थापित करने के लिए एक संयुक्त उद्यम बनाया हैं।
एस एण्ड टी माइनिंग कम्पनी प्रा. लिमिटेड
सेल ने कोयले के ब्लॉक/खानों के अधिकरण तथा विकास के लिए टाटा स्टील के साथ एक संयुक्त उद्यम कम्पनी बनाई है। संयुक्त उद्यम कम्पनी कोकिंग कोयले की सप्लाई प्राप्त करने के लिए नए स्वदेशी अवसरों की तलाश में है।
इण्टरनेशनल कोल वेन्चर्स प्रा. लिमिटेड
कोकिंग कोयले के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात उद्यमों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक संयुक्त उद्यम बनाया गया है। इस उद्यम में सेल, राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल), कोल इण्डिया लिमिटेड (सीआईएल), एनटीपीसी लिमिटेड और एनएमडीसी लिमिटेड शामिल हैं। कम्पनी ऑस्ट्रेलिया, मोजाम्बिक तथा अन्य चुने हुए देशों में उपलब्ध कोयले के गुणों की जांच कर रही है।
भारत में कारखाने
इंटीग्रेटेड कारखाने
- भिलाई इस्पात कारखाना, छत्तीसगढ़
- दुर्गापुर इस्पात कारखाना, पश्चिम बंगाल
- राउरकेला इस्पात कारखाना, ओड़िसा
- बोकारो इस्पात कारखाना, झारखंड
- इस्को इस्पात कारखाना, पश्चिम बंगाल
विशिष्ट कारखाने
- अलॉय इस्पात कारखाना, पश्चिम बंगाल
- सेलम इस्पात कारखाना, तमिल नाडु
- विश्वेश्वरैया लौह एवं इस्पात कारखाना, कर्नाटक