बोधिसत्व
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बौद्ध धर्म में, बोधिसत्व (साँचा:lang-sa; साँचा:lang-pi) सत्त्व के लिए प्रबुद्ध (शिक्षित) को कहते हैं। पारम्परिक रूप से अत्यंत दयावान, बोधिचित्त जनित, सभी संवेदनशील प्राणियों की भलाई हेतु सहज प्रेरणा से बुद्धत्व की प्राप्ति करने वाले को बोधिसत्व माना जाता है।[१] तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुसार, बोधिसत्व मानव द्वारा जीवन में प्राप्य चार उत्कृष्ठ अवस्थाओं में से एक है।[२]
बोधिसत्व शब्द का उपयोग समय के साथ विकसित हुआ। प्राचीन भारतीय बौद्ध धर्म के अनुसार, गौतम बुद्ध के जीवन का प्रारंभिक काल इसका विशिष्ट उदाहरण है।[३][४]
दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करने वाला बोधिसत्व कहलाता है। बोधिसत्व जब दस बलों या भूमियों (मुदिता, विमला, दीप्ति, अर्चिष्मती, सुदुर्जया, अभिमुखी, दूरंगमा, अचल, साधुमती, धम्म-मेघा) को प्राप्त कर लेते हैं तब " गौतम बुद्ध " कहलाते हैं, बुद्ध बनना ही बोधिसत्व के जीवन की सर्वोच्च अवस्था है। इस पहचान को बोधि (ज्ञान) नाम दिया गया है। कहा जाता है कि बुद्ध शाक्यमुनि केवल एक बुद्ध हैं - उनके पहले बहुत सारे थे और भविष्य में और भी होंगे। उनका कहना था कि कोई भी व्यक्ति यदि दस पारमिताओं का पूर्ण पालन करते हुए बोधिसत्व को प्राप्त हो और बोधिसत्व के बाद दस बलों या भूमियों को प्राप्त कर ले तो वह निश्चित ही बुद्ध बन सकता है। बौद्ध धर्म का अन्तिम लक्ष्य है सम्पूर्ण मानव समाज से दुःख का अंत। "मैं केवल एक ही नियम सिखाता हूँ - संसार में दुःख सर्वव्यापी है, दुःख के कारण हैं, दुःख का निरोध है, और दुःख के निरोध का मार्ग है" (बुद्ध)। बौद्ध धर्म के अनुयायी; अष्टांगिक मार्ग पर चलकर निषेध के अनुसार जीकर अज्ञानता और दुःख से मुक्त होने और निर्वाण को पाने की कोशिश करते हैं।
बोधित्तव
एशिया के कुछ बौद्ध राष्ट्रों में नीचे अति सम्माननीय कुछ बोधिसत्त्व है। बौद्ध राष्ट्रों में तीन बोधिसत्व सितारों की तरह चमकते है।
1) बोधिसत्व क्वान ऑम : ये बुद्ध की दया दर्शाती है और उनके हाथ में जलपात्र (jar) है।
2) बोधिसत्व पद्मपाणि : ये बुद्ध की करुणा दर्शाते हैं और उनके हाथ में कमल का फुल है।
3) बोधिसत्व वज्रपाणि : ये बुद्ध की शक्ति दर्शाते हैं और उनके हाथ में वज्र है।
सन्दर्भ
- ↑ The Bodhisattva Vow: A Practical Guide to Helping Others (बोधिसत्व शपथ: औरों की सहायता के लिए एक व्यवहारिक दिशानिर्देश) (अंग्रेज़ी में), पृष्ठ १, थरपा पब्लिकेशन्स (दूसरा संस्करण, १९९५) ISBN 978-0-948006-50-0
- ↑ P. 313 Brilliant Moon: The Autobiography of Dilgo Khyentse by Dilgo Khyentse
- ↑ साँचा:cite book
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
बाहरी कड़ियाँ
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