लक्ष्मी नारायण मंदिर, दिल्ली
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (मार्च 2012) साँचा:find sources mainspace |
लक्ष्मीनारायण मंदिर | |
---|---|
लक्ष्मी नारायण मंदिर | |
लुआ त्रुटि package.lua में पंक्ति 80 पर: module 'Module:i18n' not found। | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | साँचा:br separated entries |
देवता | लक्ष्मी नारायण (विष्णु और लक्ष्मी) |
त्यौहार | जन्माष्टमी, दीपावली |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | साँचा:if empty |
देश | भारत |
लुआ त्रुटि Module:Location_map में पंक्ति 408 पर: Malformed coordinates value। | |
भौगोलिक निर्देशांक | साँचा:coord |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | नागर शैली |
निर्माता | साँचा:if empty |
निर्माण पूर्ण | १९३९ |
ध्वंस | साँचा:ifempty |
साँचा:designation/divbox | |
साँचा:designation/divbox |
साँचा:template otherस्क्रिप्ट त्रुटि: "check for unknown parameters" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।साँचा:main other
लक्ष्मी नारायण मंदिर बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण १९३८ में हुआ था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था।[१] बिड़ला मंदिर अपने यहाँ मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी प्रसिद्ध है।
इसके अलावा यहां नवरात्रि और दीपावली के समय भी काफी आयोजन किये जाते हैं। दीपावली पर मंदिर की साज सज्जा देखने लायक होती है।[२]
स्थापत्य
इसके वास्तुशिल्प की बात की जाए तो यह मंदिर उड़ियन शैली में निर्मित है। मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआपत्थिर से बना है जो मुगल शैली की याद दिलाता है। मंदिर में तीन ओर दो मंजिला बरामदे हैं और पिछले भाग में बगीचे और फव्वारे हैं।[३]
इतिहास
यह मंदिर मूल रूप में १६२२ में वीर सिंह देव ने बनवाया था, उसके बाद पृथ्वी सिंह ने १७९३ में इसका जीर्णोद्धार कराया।[४] सन १९३८ में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार, बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरोद्धार कराया।
मन्दिर
मुख्य बरामदे में लक्ष्मी नारायण की भव्य मूर्ति स्थापित है। साथ ही मंदिर परिसर में भगवान शिव, गौतम बुद्ध और भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर भी स्थित हैं।[५]
चित्र दीर्घा
जन्माष्टमी के अवसर पर सजा हुआ मंदिर