बायोपिक
आत्मकथात्मक फ़िल्म, या बायोपिक एक फिल्म है जो किसी वास्तविक या ऐतिहातिक व्यक्ति के जीवन को दर्शाती है। ऐसी फिल्में एक ऐतिहासिक व्यक्ति के जीवन को दर्शाया जाता है और केंद्रीय चरित्र के वास्तविक नाम का उपयोग किया जाता है। [१] वे डाक्यूमेंट्री और ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म से इस मायने में अलग होती हैं कि वे एक व्यक्ति के जीवन की कहानी या कम से कम उनके जीवन के सबसे ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण वर्षों को व्यापक रूप से बताने का प्रयास करते हैं।
प्रसंग
बायोपिक विद्वानों में कॉलेज ऑफ स्टेटन आइलैंड के जॉर्ज एफ कस्टेन और परड्यू यूनिवर्सिटी इंडियाना के डेनिस पी बिंग़म शामिल हैं। कस्टेन, बायो/पिक्स: हाउ हॉलीवुड कंस्ट्रक्टेड पब्लिक हिस्ट्री (1992) में कस्टेन ने कहा है कि बायोपिक शैली हॉलीवुड स्टूडियो युग और विशेष रूप से डैरिल एफ ज़ैनक की मृत्यु के साथ खत्म हो गया।[२] वहीं बिंग़म का 2010 का अध्ययन हूज़ लाईव्स आर दे एनीवै?[३] दर्शाता है कि स्टूडियो युग में उपयोग किए जाने वाले कई नुस्खे का उपयोग करके यह एक संहिताबद्ध शैली के रूप में कैसे कायम रहता है, जो एक समान प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करता है जैसा कि रिक आल्टमैन ने अपने अध्ययन, फिल्म/शैली में दिखाया है।[४] बिंग़म पुरुष बायोपिक और महिला बायोपिक को एक-दूसरे से अलग शैलियों के रूप में भी संबोधित करते हैं, जिसमें पुरुष आम तौर पर महान उपलब्धियों से निपटते हैं, और महिला आम तौर पर महिला उत्पीड़न से निपटते हैं। एलेन चेशायर की बायो-पिक्स: ए लाइफ इन पिक्चर्स (2014) 1990 से 2000 के दशक की अंग्रेज/अमेरिकी फिल्मों की जांच करती है। प्रत्येक अध्याय पेशे से जुड़ी प्रमुख फिल्मों की समीक्षा करता है और आगे देखने की सूची के साथ समाप्त होता है।[५] क्रिस्टोफर रोबे ने सिनेमा जर्नल के 2009 के अंक में अपने लेख "टेकिंग हॉलीवुड बैक" में लिंग मानदंडों पर भी लिखा है। [६] रोजर एबर्ट ने फ़िल्म द हरीकेन और अन्य बायोपिकों में बातें बदलने का बचाव करते हुए कहा, "जो लोग अपने जीवन की फिल्म से एक आदमी के बारे में सच्चाई की तलाश करते हैं, वे इसे अपनी दादी से भी सुन सकते हैं। द हरीकेन एक वृत्तचित्र नहीं बल्कि एक दृष्टांत है।"[७]
किरदार
बायोपिकों के लिए किरदार निभाना विवादास्पद हो सकती है। किरदारी अक्सर दिखने में समानता और व्यक्ति की विशेषताओं को चित्रित करने की क्षमता के बीच संतुलन होती है। एंथनी हॉपकिंस ने महसूस किया कि उन्हें रिचर्ड निक्सन का किरदार नहीं निभाना चाहिए था क्योंकि वे दोनों एक जैसे नहीं दिखते। द कॉन्करर में चंगेज खान के रूप में जॉन वेन की किरदारी का विरोध किया गया था क्योंकि एक अमेरिकी कलाकार को मंगोल योद्धा के रूप में दर्शाया गया था। मिस्र के आलोचकों ने 1982 के कार्यक्रम सादात में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल-सदात के रूप में एक अफ्रीकी अमेरिकी अभिनेता लुई गॉसेट जूनियर की कास्टिंग की आलोचना की।[८] इसके अलावा कुछ लोगों ने सेलेना फ़िल्म में जेनिफर लोपेज की कास्टिंग पर आपत्ति जताई क्योंकि वो पोर्टो रीको से न्यूयॉर्क शहर की मूल निवासी हैं जबकि सेलेना मैक्सिकन-अमेरिकी थीं।[९]
फिल्म प्रतिनिधित्व
चुकी चित्रित किए गए लोग वास्तविक हैं, जिनके कार्यों और विशेषताओं के बारे में आम जनता जानती है (या कम से कम ऐतिहासिक रूप से उनके बारे में लिखा गया है), बायोपिक भूमिकाओं के चुनाव को अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की सबसे अधिक मांग के चुनाव में गिना जाता है। बेन किंग्सले, जॉनी डेप, जिम कैरी, रॉबर्ट डाउनी जूनियर, जेमी फॉक्स और एडी रेडमेयन जैसे अभिनेताओं ने बायोपिक में अभिनय करने के बाद सफलता प्राप्त की: गांधी (1982) में महात्मा गांधी के रूप में किंग्सले, एड वुड (1994) में एड वुड के किरदार में जॉनी डेप, मैन ऑन द मून (1999) में एंडी काउफमान के रूप में जिम कैरी, चैपलिन (1992) में चार्ली चैपलिन के रूप में रॉबर्ट डाउनी जूनियर, रे (2004) में फॉक्स रे चार्ल्स के रूप में में जेमी फॉक्स, द थ्योरी ऑफ एवरीथिंग (2014) में स्टीफन हॉकिंग के रूप में एडी रेडमेयन आए थे।
कुछ बायोपिक्स जानबूझकर राई का पहाड़ बनाते हैं। कन्फेशंस ऑफ़ ए डेंजरस माइंड चक बैरिस के गेम शो, जो उसी नाम के खारिज किए गए परंतु लोकप्रिय संस्मरण, पर आधारित था, जिसमें उन्होंने सीआईए एजेंट होने का दावा किया था।[१०] काफ्का में लेखक फ्रांज काफ्का के जीवन और उनके उपन्यास के अतियथार्थवादी पहलु, दोनों शामिल थे। एरोल फ्लिन फिल्म की फ़िल्म दे डाइड विथ देयर बूट्स ऑन जॉर्ज आर्मस्ट्रांग कस्टर की कहानी दर्शाती है, लेकिन उसे बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है। ओलिवर स्टोन की फिल्म द डोर्स, जो मुख्य रूप से जिम मॉरिसन के बारे में थी, की जिम मॉरिसन और अभिनेता वैल किल्मर के बीच समानता के लिए बहुत प्रशंसा की गई थी, जो देखने में वैसे ही लग रहे थे, लेकिन प्रशंसकों और बैंड के सदस्यों को वैल किल्मर ने जिम मॉरिसन को जिस तरह से चित्रित किया, वह पसंद नहीं आया।[११] और कुछ दृश्य पूरी तरह से नकली भी थे।[१२]
कुछ दुर्लभ मामलों में ऑटोबायोपिक भी बनाए जाते है,[१३] जिनमें फ़िल्म के मुख्य किरदार अपना ही रोल निभाते हैं फिल्म का विषय खुद या खुद निभाता है। सनी लियोन की ज़ी5 पर बनी वेब सीरीज करंजित कौर - दी अनटोल्ड स्टोरी ऑफ सनी लियोन इसका एक उदाहरण है।
बॉलीवुड के कुछ प्रसिद्ध बायोपिकों के उदाहरण
फ़िल्म | व्यक्ति पर आधारित | वर्ष | मुख्य किरदार |
---|---|---|---|
बैन्डिट क्वीन | फूलन देवी | 1994 | सीमा बिस्वास |
भाग मिल्खा भाग | मिलखा सिंह | 2013 | फरहान अख्तर |
मैरी कॉम | मैरी कॉम | 2014 | प्रियंका चोपड़ा |
रंग रसिया | राजा रवि वर्मा | 2014 | रणदीप हुड्डा |
बाजीराव मस्तानी | बाजीराव प्रथम | 2016 | रणवीर सिंह |
अजहर | मोहम्मद अज़हरुद्दीन | 2016 | इमरान हाशमी |
दंगल | महावीर सिंह फोगाट | 2016 | आमिर खान |
एम॰ एस॰ धोनी: द अनटॉल्ड स्टोरी | महेंद्र सिंह धोनी | 2016 | सुशांत सिंह राजपूत |
दी एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर | मनमोहन सिंह | 2018 | अनुपम खेर |
केसरी | हवलदार ईशान सिंह | 2018 | अक्षय कुमार |
सुपर 30 | आनंद कुमार | 2019 | ऋतिक रोशन |
मणिकर्णिका: झाँसी की रानी | झांसी की रानी | 2019 | कंगना रनौत |
ठाकरे | बाल ठाकरे | 2019 | नवाजुद्दीन सिद्दीकी |
छपाक | लक्ष्मी अग्रवाल | 2020 | दीपिका पादुकोण |
गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल | गुंजन सक्सेना | 2020 | जाह्नवी कपूर |
ताण्हाजी | तानाजी मालुसरे | 2020 | अजय देवगन |
शकुंतला देवी | शकुंतला देवी | 2020 | विद्या बालन |
भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया | रणछोड़ दास पागी | 2021 | संजय दत्त |
साइना | साइना नेहवाल | 2021 | परिणीति चोपड़ा |
तख्त | शाह जहान | 2021 | अनिल कपूर |
संदर्भ
- ↑ Bastin, Giselle (Summer 2009). "Filming the Ineffable: Biopics of the British Royal Family". Auto/Biography Studies. 24 (1): 34–52. doi:10.1353/abs.2009.0008. Retrieved 29 May 2013.
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- ↑ Robé, Christopher (Winter 2009). "Taking Hollywood Back: The Historical Costume Drama, the Biopic, and Popular Front U.S. Film Criticism". Cinema Journal. 48 (2): 70–87. doi:10.1353/cj.0.0082. JSTOR 20484449.
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