बाई चाली सासरिए
बाई चाली सासरिए | |
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निर्देशक | मोहनसिंह राठोड़[१] |
निर्माता | भरत नाहटा (सुन्दर फ़िल्म्स)[२][१] |
अभिनेता |
जगदीप ललिता पवार नीलू वघेला अलंकार |
संगीतकार | ओ पी व्यास |
प्रदर्शन साँचा:nowrap |
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समय सीमा | 151 मिनट[१] |
देश | भारत |
भाषा | राजस्थानी |
बाई चाली सासरिए 1988 में प्रदर्शित राजस्थानी भाषा फ़िल्म है।[१] फ़िल्म १०० दिनों तक चली और राजस्थानी सिनेमा में इतिहास लिख दिया।[३]
2004 में यह प्रतिवेदित हुआ कि इस फ़िल्म ने राजस्थानी भाषा को पुनर्जिवित करने की अभिरूचि में सहायक है,[४] लेकिन 2005 के एक लेख के अनुसार, जिसमें राजस्थानी फ़िल्म इंडस्ट्री के गिरते स्तर के बारे में चर्चा है में लिखा है कि राजस्थानी सिनेमा में पिछले 15 वर्षों में बाई चाली सासरिए एकमात्र सफल राजस्थानी फ़िल्म है।[५] फ़िल्म को हिन्दी पुनर्निर्माण के रूप में जुही चावला और ऋषि कपूर अभिनीत फ़िल्म में साजन का घर (1994) है।[६] इस फ़िल्म का निर्देशन भरत नाहटा ने किया है।[२]
पटकथा
टिकट खिड़की
यह १९९०-२००५ के समय की सर्वाधिक सफलता प्राप्त करने वाली राजस्थानी फ़िल्म है।[५] इसका श्री मोहनसिंह राठोड़ द्वारा निर्देशन भी सर्वश्रेष्ट रहा। यह पहली क्षेत्रीय फ़िल्म है जो भारत भर में ब्लॉकबस्टर रही। इसकी पुनर्निर्माण फ़िल्म माहेर ची सारी एक मराठी भाषा फ़िल्म है।
गाने
इस फ़िल्म के सभी गाने बहुत प्रचलित हुए थे और इसका शीर्षक गीत "बाई चाली सासरिए" लोकप्रिय टेलीविजन धारावाहिक बालिका वधु जो कलर्स चैनल पर प्रस्तुत किया गया का शीर्षक गीत भी बना। फ़िल्म के कुछ निम्न हैं:
- बाई चाली सासरिए
- बना रे
- भोमली आयी
- हिवड़े रो हार
- रुपियो तो ले म्हें
- तलरिया मगरिया
- वीरा रे