बरनवाल
विशेष निवासक्षेत्र | |
---|---|
भारत | |
भाषाएँ | |
हिन्दी, पंजाबी | |
धर्म | |
हिन्दू, जैन |
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बरनवाल (वरनवाल, वर्नवाल, बर्णवाल के रूप में भी प्रतिष्ठित) एक हिन्दू समुदाय है जो राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित पूरे उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भारत में पाया जाता है।[१] बरनवाल जाति अग्रवाल जाति की तरह उच्च बनिया समुदाय का मना जाता है।[२]
बरनवाल समुदाय के सदस्य अपने व्यावसायिक कौशल के लिए जाने जाते हैं और कई वर्षों से भारत में प्रभावशाली और समृद्ध रहे हैं।[३] आधुनिक तकनीक और ई-कॉमर्स कंपनियों में भी बरनवाल व अग्रवाल जाती दबदबा कायम है।[३] बरनवाल जाती के लोग व्यावसाय मे बहुत समय से अलग-अलग उपनाम पर सामिल है, बहुत बरनवालों ने अपने गोत्र को अपना नाम बना लिया है।[४]
किंवदंती
साँचा:main article बरनवाल पौराणिक सूर्यवंश के राजपूत राजा अहिबरन से वंश होने का दावा करते हैं।[४] वस्तुतः, बरनवाल का अर्थ है "अहिबरन के बच्चे" या "बरन के लोग", उत्तर प्रदेश का बरन जिला जो वर्तमान समय मे बुलंदशहर के नाम से जाना जाता है,[५] जिसे महाराजा अहिबरन ने स्थापित किया था। बरनवाल समाज में बिधायक, राज नेता, प्रशासनिक पदाधिकारी,चिकित्सक ,अभियंता, समाजसेवी,पत्रकार, ब्यापारी है जैसे विधायक बिशवनाथ मोदी,बद्री नारायण लाल, मुना बरनवाल,सोमनाथ,बिरंची लाल,I.A.S डा0सुनील बरनवाल,अशोक बरनवाल,मृत्युजंय बरनवाल,बरून बरनवाल, एकयुप़ेशर काउंसिल संस्थापक डा0 श्रीप्रकाश बरनवाल, जातिरत्न डा0 त्रिवेणी प्रसाद बरनवाल, जातिरत्न भुवनेशवर बरनवाल, जाति संगठन सभापति बिंधाचंल बरनवाल,युवा खाद्य वैज्ञानिक दिव्यांशु बरनवाल,प्यारे लाल बरनवाल, कैलाश नारायण बरनवाल,पत्रकार तन्मय बरनवाल,आर्यन शानिध्या बरनवाल,आदि .[६]
इतिहास
राजा अहिबरन सूर्यवंशी राजपूत क्षत्रिय थे जिन्हें राजा अग्रसेन का वंशज भी माना जाता है।[७][२]
गोत्र
एतिहासिक तौर पर कोई प्रमाण नही है कि बरनवालों के कितने और कोन-कोन से गोत्र है। बरनवाल समाज में ३६ गोत्र होते हैं। इस समुदाय मे मित्तल गोत्र भी है।[८] कौशिक और कश्यप गोत्र राजपुत गोत्र होने का दावा करते है।[९]
- गर्ग
- वत्सिल
- गोयल
- गोहिल
- करव
- देवल
- कश्यप
- वत्स
- अत्रि
- वामदेव
- कपिल
- गालब
- सिंघल
- आरण्य
- काशील
- उपमन्यु
- यामिनी
- पाराशर
- कौशिक
- मुनास
- कत्यापन
- कौन्डिल्य
- पुलिश
- भृगु
- सर्वे
- अंगीरा
- क्रिश्नाभी
- उद्धालक
- आश्वलायन
- भारद्वाज
- कनखल
- मुद्गल
- यमद्गिरी
- च्यवण
- वेदप्रमिति
- सान्स्कृत्तायन
सन्दर्भ
इन्हे भी देंखे
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- ↑ Smith, V. (1897). Art. XXIX.—The Conquests of Samudra Gupta. Journal of the Royal Asiatic Society, 29(4), 859-910. doi:10.1017/S0035869X0002503X
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