पट्टदकल्लु

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किसुवोलाल (कन्नड़:ಕಿಸುವೊಲಾಲ್)[१]
पट्टदकल्लु (ಪಟ್ಟದಕಲ್ಲು)
—  town  —
पट्टदकल्लु में स्मारक परिसर
पट्टदकल्लु में स्मारक परिसर
Map of कर्नाटक with किसुवोलाल (कन्नड़:ಕಿಸುವೊಲಾಲ್)[१] marked
भारत के मानचित्र पर कर्नाटक अंकित
Location of किसुवोलाल (कन्नड़:ಕಿಸುವೊಲಾಲ್)[१]
 किसुवोलाल (कन्नड़:ಕಿಸುವೊಲಾಲ್)[१] 
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश साँचा:flag
राज्य कर्नाटक
ज़िला बागलकोट
निकटतम नगर बादामी
जनसंख्या
घनत्व
१,४६,८०८ (साँचा:as of)
साँचा:convert
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
साँचा:km2 to mi2
साँचा:m to ft
जलवायु
वर्षा
तापमान
• ग्रीष्म
• शीत

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आधिकारिक जालस्थल: www.pattadakal.com

साँचा:coord पट्टदकल्लु (कन्नड़ - ಪಟ್ಟದಕಲ್ಲು) भारत के कर्नाटक राज्य में एक कस्बा है, जो भारतीय स्थापत्यकला की वेसर शैली के आरम्भिक प्रयोगों वाले स्मारक समूह के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर आठवीं शताब्दी में बनवाये गये थे। यहाँ द्रविड़ (दक्षिण भारतीय) तथा नागर (उत्तर भारतीय या आर्य) दोनों ही शैलियों के मंदिर हैं। पट्टदकल्लु दक्षिण भारत के चालुक्य वंश की राजधानी बादामी से २२ कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित हैं। चालुक्य वंश के राजाओं ने सातवीं और आठवीं शताब्दी में यहाँ कई मंदिर बनवाए। एहोल को स्थापत्यकला का विद्यालय माना जाता है, बादामी को महाविद्यालय तो पट्टदकल्लु को विश्वविद्यालय कहा जाता है।[२] पट्टदकल्लु शहर उत्तरी कर्नाटक राज्य में बागलकोट जिले में मलयप्रभा नदी के तट पर बसा हुआ है। यह बादामी शहर से २२ कि.मि. एवं ऐहोल शहर से मात्र १० कि॰मी॰ की दूरी पर है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन २४ कि॰मी॰ दक्षिण-पश्चिम में बादामी है।[३] इस शहर को कभी किसुवोलाल (कन्नड़:ಕಿಸುವೊಲಾಲ್) कहा जाता था, क्योंकि यहां का बलुआ पत्थर लाल आभा लिए हुए है।[१]

शिल्प स्मारक

साँचा:main चालुक्य शैली का उद्भव ४५० ई. में एहोल में हुआ था। यहाँ वास्तुकारों ने नागर एवं द्रविड़ समेत विभिन्न शैलियों के प्रयोग किए थे। इन शैलियों के संगम से एक अभिन्न शैली का उद्भव हुआ। सातवीं शताब्दी के मध्य में यहां चालुक्य राजाओं के राजतिलक होते थे। कालांतर में मंदिर निर्माण का स्थल बादामी से पट्टदकल्लु आ गया। यहाँ कुल दस मंदिर हैं, जिनमें एक जैन धर्मशाला भी शामिल है। इन्हें घेरे हुए ढेरों चैत्य, पूजा स्थल एवं कई अपूर्ण आधारशिलाएं हैं। यहाँ चार मंदिर द्रविड़ शैली के हैं, चार नागर शैली के हैं एवं पापनाथ मंदिर मिश्रित शैली का है। पट्टदकल्लु को १९८७ में युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।[४][५][६][७][८]

यहां के बहुत से शिल्प अवशेष यहां बने प्लेन्स के संग्रहालय तथा शिल्प दीर्घा में सुरक्षित रखे हैं। इन संग्रहालयों का अनुरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग करता है। ये भूतनाथ मंदिर मार्ग पर स्थित हैं। इनके अलावा अन्य महत्वपूर्ण स्मारकों में, अखण्ड एकाश्म स्तंभ, नागनाथ मंदिर, चंद्रशेखर मंदिर एवं महाकुटेश्वर मंदिर भी हैं, जिनमें अनेकों शिलालेख हैं। वर्ष के आरंभिक त्रैमास में यहां का वार्षिक नृत्योत्सव आयोजन होता है, जिसे चालुक्य उत्सव कहते हैं। इस उत्सव का आयोजन पट्टदकल्लु के अलावा बादामी एवं ऐहोल में भी होता है। यह त्रिदिवसीय संगीत एवं नृत्य का संगम कलाप्रेमियों की भीड़ जुटाता है। उत्सव के मंच की पृष्ठभूमि में मंदिर के दृश्य एवं जाने माने कलाकार इन दिनों यहां के इतिहास को जीवंत कर देते हैं।[३]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

विस्तृत पठन

बाहरी कड़ियाँ

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