खजुराहो स्मारक समूह

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युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
खजुराहो स्मारक समूह
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम
Kandariya mahadev.jpg
स्थान छतरपुर, मध्य प्रदेश, भारत
प्रकार सांस्कृतिक
मानदंड i, iii
सन्दर्भ २४०
युनेस्को क्षेत्र विश्व के धरोहर स्थल ,दक्षिण एशिया प्रांत
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख १९८६ (१०वाँ सत्र)

खजुराहो स्मारक समूह जो कि एक हिन्दू और जैन धर्म के स्मारकों का एक समूह है जिसके स्मारक भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर क्षेत्र में देखने को मिलते है। ये स्मारक दक्षिण-पूर्व झांसी से लगभग १७५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्मारक समूह यूनेस्को विश्व धरोहर में भारत का एक धरोहर क्षेत्र गिना जाता है।[१][२] यहाँ के मन्दिर जो कि नगारा वास्तुकला से स्थापित किये गए जिसमें ज्यादातर मूर्तियाँ कामुक कला की है अर्थात् अधिकतर मूर्तियाँ नग्न अवस्था में स्थापित है।[३]

खहुराहो के ज्यादातर मन्दिर चन्देल राजवंश के समय ९५० और १०५० ईस्वी के मध्य बनाए गए थे।[४] एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार खजुराहो में कुल ८५ मन्दिर है जो कि १२वीं शताब्दी में स्थापित किये गए जो २० वर्ग किलोमीटर के घेराव में फैले हुए है। वर्तमान में इनमें से, केवल २५ मन्दिर ही बच हैं जो ६वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं।[२] विभिन्न जीवित मन्दिरों में से, कन्दारिया महादेव मंदिर जो प्राचीन भारतीय कला के जटिल विवरण, प्रतीकवाद और अभिव्यक्ति के साथ प्रचुरता से सजाया गया है।[५]

खजुराहो स्मारक समूह के मन्दिरों को एक साथ बनाया गया था, लेकिन इस क्षेत्र में हिन्दू और जैन के बीच विभिन्न धार्मिक विचारों के लिए स्वीकृति और सम्मान की परंपरा का सुझाव देते हुए, दो धर्मों, हिन्दू धर्म और जैन धर्म को समर्पित किया गया था।[६]

स्थिति

खजुराहो स्मारक समूह के मन्दिर भारतीय राज्य मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित है छतरपुर जो कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से तकरीबन ६२० किलोमीटर दूर है। छतरपुर में ये मन्दिर एक छोटे कस्बे जो कि खजुराहो कस्बे के नाम से ही जाना जाता है ,[७] जिसकी २००१ की जनगणना के अनुसार जनसंख्या तकरीबन २०,००० है।

खजुराहो में हवाई अड्डा भी है जिसका (आईएटीए कोड :HJR/एचजेआर) है जो दिल्ली ,आगरा ,वाराणसी और मुम्बई के लिए आने - जाने की सेवा देता है।[८] यह धरोहर स्थल भारतीय रेलवे से भी जुड़ा हुआ है अर्थात यहाँ नजदीक ही रेलवे जंक्शन है जो कि मन्दिर से लगभग ६ किलोमीटर की दूरी पर है।

समूह के स्मारक राष्ट्रीय राजमार्ग ७५ से पूरब-पश्चिम से १० किलोमीटर दूर है और मुख्य छतरपुर शहर से लगभग ५० किलोमीटर की दूरी पर ये स्मारक स्थापित है ,जबकि यह राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग ८६ से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जोड़ता है। लगभग १०वीं शताब्दी में राजस्थान राज्य के बारां ज़िले में एक मन्दिर बनाया जो भांड देव मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। इसका निर्माण लगभग खजुराहो स्मारक जैसी शैली का है इस कारण बाद में इसे छोटा खजुराहो कहा गया।

इतिहास

खजुराहो स्मारक समूह के मन्दिरों का निर्माण निर्माण चन्देल राजवंश के समय हुआ था। उस समय यह चन्देल राजवंश अपने पैर जमा रहा था जो बाद में बुंदेलखंड के नाम से विश्व विख्यात हुआ।[९] इनमें अधिकतर मन्दिरों का निर्माण भारतीय हिन्दू राजा यशोवर्मन और धंग के शासन काल में हुआ था ,यशोवर्मन जो कि एक चन्देल राजवंश का हिन्दू शासक था। यशोवर्मन की विरासत का उत्कृष्ट नमूना लक्ष्मण मन्दिर है जबकि धंग विश्वनाथ मन्दिर के लिए प्रसिद्ध हुए।[१०]साँचा:rp वर्तमान में सबसे लोकप्रिय मन्दिर कन्दारिया महादेव मन्दिर है जिसका निर्माण चन्देल राजवंश के शासक विद्याधर ने करवाया था।साँचा:sfn इन मन्दिरों के अभिलेखों पर कुछ तथ्य मिले है जिससे पता चलता है कि इन मन्दिरों का निर्माण पूरा ९७० से १०३० ईसा पूर्व में हुआ था।[६]

खजुराहो के मन्दिर मध्यकालीन महोबा शहर से लगभग ३५ मील दूर बनाये गए है ,[११] महोबा जो कि उस समय कालिंजर क्षेत्र में चन्देल राजवंश की राजधानी थी। प्राचीन और मध्ययुगीन साहित्य में, उनके राज्य को जिझाति, जेजाहोटी, चिह-ची-टू और जेजवक्कती भी कहा जाता था।[१२]

पारसी इतिहासकार अल बेरुनी का कहना है कि महमूद गज़नवी ने १०२२ ईसा पूर्व में कालिंजरखजुराहो जेजाहुती की राजधानी थी पर आक्रमण किया था ।[१३] यह हमला असफल रहा था क्योंकि उस समय एक हिन्दू शासक महमूद गज़नवी के पास पहुँचा और फिरौती देकर समझौता कर लिया।[१२]

एक शताब्दी बाद मोरोकन यात्री इब्नबतूता के अनुसार वो यहाँ भारत में १३३५ से १३४२ ईस्वी तक रुका था और इन्होंने खजुराहो के मन्दिरों की भी यात्रा की थी और उनके अनुसार उस समय खजुराहो को "कजरा" कहते थे। [१४][१५]

[[File:A ruin, pillars at Khajuraho, India.jpg|thumb|left|१२वीं शताब्दी तक खजुराहो हिन्दू शासकों के हाथ में था उस समय ८५ मन्दिर थे। बाद में १३वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक ने हमला कर दिया था इस कारण उस समय कई मन्दिरों का विनाश कर दिया था ,जो खण्डहर बन गए थे जिसमें घंटाई मन्दिर भी है जो अभी भी देखने को मिलता है लेकिन उजड़ा हुआ

मध्य भारतीय क्षेत्र में अवस्थित खजुराहो के मन्दिर जिन पर १३वीं से १८वीं शताब्दी तक भिन्न-भिन्न मुस्लिम शासकों ने शासन किया था इस दौरान में कई मन्दिरों के साथ अपवित्र व्यवहार भी किया था।[६][९] १४९५ ईसा पूर्व में सिकन्दर लोदी ने एक अभियान चला दिया था जिसमें खजुराहो के मन्दिरों का विनाश किया गया था।[१६] खजुराहो के दूर-दूर और अलगाव लोगों ने मुसलमानों द्वारा निरंतर विनाश से हिन्दू मन्दिर और जैन मन्दिरों को सुरक्षित रखा।[१७][१८] सदियों से, वनस्पति और जंगलों ने अधिक से अधिक खजुराहो के मन्दिरों का अधिग्रहण किया।

१९३० के दशक में यहाँ के स्थानीय हिन्दुओं ने ब्रितानी सर्वेक्षक टी एस बर्ट की मदद की जिससे बर्ट ने खजुराहो के मन्दिरों की पुनः खोज की। इसके कुछ समय तत्पश्चात अंग्रेज पुरात्त्वशास्त्री अलेक्ज़ैंडर कन्निघम ने [१९] बर्ट की खोज का पुनरीक्षण किया था। उनकी रिपोर्ट से पता चलता है कि यहाँ मन्दिरों में हिन्दू योगी और हज़ारों की संख्या में हिन्दू लोग चुपके से यहाँ मार्च और फ़रवरी माह के शिवरात्रि उत्सव मनाया करते थे। १८५२ में मेसे ने खजुराहो के मन्दिरों की छायाचित्र तैयार किया था।[२०]

नामकरण

खजुराहो नाम जो पहले कभी खर्जुरवाहक के नाम से भी जाना जाता था , सबसे पहले इसे संस्कृत में (खर्जुर ,Kharjura जिसे खजूर कहते है) कहा जाता था, और (वाहक ,vahak) जिसे[२१] सन्देशवाहक या धारक कहते थे।[२२]) स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार कहा गया है कि मन्दिर के आगे दो स्वर्ण-खजूर के पेड़ थे लेकिन पुनः जब खोज की तो तब ये खजूर के पेड़ नहीं थे।

कनिंघम ने १८५० और १८६० के दशक में अपने कार्य के अंतर्गत बताया था कि[२३] मन्दिरों लक्ष्मण के आसपास पश्चिमी समूह, जवेरी के पूर्वी समूह और दल्देव के दक्षिणी समूह में समूहीकृत था।[२०]

खजुराहो देवता से संबंधित चार पवित्र स्थलों में से एक है जिसमें शिव (अन्य तीन हैं केदारनाथ, वाराणसी और गया)। इसका मूल और डिजाइन विद्वानों के अध्ययन का विषय है [२४]।शोभाता पुंज का कहना है कि मन्दिर की उत्पत्ति हिन्दू पौराणिक कथाओं को दर्शाती है जिसमें खजुराहो वह जगह है जहाँ शिव का विवाह सम्पन्न हुआ था यही उल्लेख रघुवंश के श्लोक ५.५३ में मिलता है।

चित्र दीर्घा

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. Khajuraho Group of Monuments स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। UNESCO World Heritage Site
  3. Philip Wilkinson (2008), India: People, Place, Culture and History, ISBN 978-1405329040, pp 352-353
  4. साँचा:cite book
  5. Devangana Desai (2005), Khajuraho, Oxford University Press, Sixth Print, ISBN 978-0-19-565643-5
  6. James Fergusson, Norther or Indo-Aryan Style - Khajuraho स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। History of Indian and Eastern Architecture,  Updated by James Burgess and R. Phene Spiers (1910), Volume II, John Murray, London
  7. साँचा:cite web
  8. Khajuraho airport स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। AAI, Govt of India
  9. G.S. Ghurye, Rajput Architecture, ISBN 978-8171544462, Reprint Year: 2005, pp 19-24
  10. स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
  11. also called Erakana
  12. Mitra (1977), The early rulers of Khajuraho, ISBN 978-8120819979
  13. J. Banerjea (1960), Khajuraho, Journal of the Asiatic Society, Vol. 2-3, pp 43-47
  14. phonetically translated from Arabic sometimes as “Kajwara”
  15. Director General of Archaeology in India (1959), Archaeological Survey of India, Ancient India, Issues 15-19, pp 45-46 (Archived: University of Michigan)
  16. Michael D. Willis, An Introduction to the Historical Geography of Gopakṣetra, Daśārṇa, and Jejākadeśa, Bulletin of the School of Oriental and African Studies, University of London, Vol. 51, No. 2 (1988), pp. 271-278; See also K.R. Qanungo (1965), Sher Shah and his times, Orient Longmans, साँचा:oclc, pp 423-427
  17. Trudy King et al., Asia and Oceania: International Dictionary of Historic Places, ISBN 978-1884964046, Routledge, pp 468-470
  18. Alain Daniélou (2011), A Brief History of India, ISBN 978-1594770296, pp 221-227
  19. Louise Nicholson (2007), India, National Geographic Society, ISBN 978-1426201448, see Chapter on Khajuraho
  20. Krishna Deva (1990), Temples of Khajuraho, 2 Volumes, Archaelogical Survey of India, New Delhi
  21. kharjUra स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Sanskrit English Dictionary, Koeln University, Germany
  22. vAhaka स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। Sanskrit English Dictionary, Koeln University, Germany
  23. Rana Singh (2007), Landscape of sacred territory of Khajuraho, in City Society and Planning (Editors: Thakur, Pomeroy, et al), Volume 2, ISBN 978-8180694585, Chapter 18
  24. Shobita Punja (1992), Divine Ecstasy - The Story of Khajuraho, Viking, New Delhi, ISBN 978-0670840274