नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान

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युनेस्को विश्व धरोहर स्थल
नन्दा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
विश्व धरोहर सूची में अंकित नाम
देश भारत
प्रकार प्राकृतिक
मानदंड vii, x
सन्दर्भ युनेस्को 335
युनेस्को क्षेत्र एशिया-पॅसिफ़िक
शिलालेखित इतिहास
शिलालेख 1988 (12वीं सत्र)
विस्तार 2005

नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान अर्थात् नन्दादेवी राष्ट्रीय अभयारण्य एक विश्व धरोहर का नाम है। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य में नन्दा देवी पर्वत के आस-पास का इलाका है, जिसे नन्दादेवी राष्ट्रीय अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है।

भौगोलिक परिपेक्ष

नन्दादेवी राष्ट्रीय अभयारण्य लगभग 630.33 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ उत्तर-भारत का विशालतम अभयारण्य है। जिसे सन् 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था तथा फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान सहित सन् 1988 में विश्व संगठन युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में घोषित किया जा चुका है।[१]
यह नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान ६३०.३३ वर्ग कि॰मी॰ के क्षेत्र में फैला हुआ है और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर नन्दा देवी बायोस्फ़ियर रिज़र्व बनता है जिसका कुल क्षेत्रफल २२३६.७४ वर्ग कि॰मी॰ है और इसके चारों ओर ५१४८.५७ वर्ग कि॰मी॰ का मध्यवर्ती क्षेत्र (buffer zone) है।[२][३] यह रिज़र्व युनेस्को की विश्व के बायोस्फ़ेयर रिज़र्व की सूची में सन् 2004 से अंकित किया जा चुका है।

अभयारण्य का विस्तार

उद्यान का समोच्च रेखाओं (contours) वाला मानचित्र

इस अभयारण्य को दो भागों में बांटा जा सकता है: भीतरी और बाहरी। दोनों को उत्तर, पूर्व और दक्षिण की तरफ़ से दीवारनुमा ऊँची-ऊँची चोटियाँ घेरे हुये हैं और पश्चिम की तरफ़ उत्तर और दक्षिण की पर्वतश्रेणियाँ ऋषिगंगा दर्रे में जाकर मिल जाती हैं।[४]
भीतरी अभयारण्य लगभग पूरे क्षेत्रफल के दो तिहाई हिस्से में फैला हुआ है और इसी इलाके में नंदा देवी पर्वत के साथ-साथ उत्तरी और दक्षिणी ऋषि हिमनद भी हैं जो नंदा देवी चोटी के दोनों ओर स्थित हैं।[४] इन दोनों हिमनदों के सहायक हिमनद क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी नंदा देवी हिमनद हैं। ऍरिक शिप्टन और बिल टिल्मैन सन् 1934 में भीतरी अभयारण्य में ऋषि दर्रे के रास्ते पहुँचने वाले पहले मनुष्य माने जाते हैं।[५]
बाहरी अभयारण्य पश्चिम में कुल क्ष्रेत्रफल का एक तिहाई हिस्सा लेता है और भीतरी अभयारण्य से ऊँची पर्वतश्रेणियों से अलग होता है। इसमें ऋषिगंगा बहती है जो इसे दो भागों में बाँटती है। इसके उत्तरी भाग में रमनी हिमनद है जो दूनागिरी और चांगाबांग चोटियों की ढलानों से नीचे बहता है। इसके दक्षिणी भाग में त्रिशूल हिमनद है जो त्रिशूल पर्वत से नीचे बहता है। बाहरी अभयारण्य में पहली बार कदम सन् १९०७ में लाँगस्टाफ़ ने रखे थे जब उन्होंने त्रिशूल I पर्वतारोहण किया था।[५] साँचा:clear

अभयारण्य के अन्तर्गत पर्वत-शिखर

नन्दा देवी पर्वत शिखर का एक दृश्य
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  • नंदा देवी: 7816 मीटर
  • देवीस्थान एक: 6678 मीटर
  • देवीस्थान दो: 6529 मीटर
  • ऋषि कोट: 6236 मीटर
  • हनुमान: 6075 मीटर
  • दूनागिरी: 7066 मीटर
  • चांगाबांग: 6864 मीटर
  • कलंक: 6931 मीटर
  • ऋषि पहर: 6992 मीटर
  • मंगराओं: 6568 मीटर
  • देव दमला: 6620 मीटर
  • बमचु: 6303 मीटर
  • सकरम: 6254 मीटर
  • लाटु धुरा: 6392 मीटर
  • सुनंदा देवी: 7434 मीटर
  • नंदा खाट: 6611 मीटर
  • पनवाली द्वार: 6663 मीटर
  • मैकटोली: 6803 मीटर
  • देवटोली: 6788 मीटर
  • मृगथुनी: 6855 मीटर
  • त्रिशूली एक: 7120 मीटर
  • त्रिशूली दो: 6690 मीटर
  • त्रिशूली तीन: 6008 मीटर
  • बेथरटोली हिमल: 6352 मीटर

अभयारण्य की परिधि के पर्वत-शिखर

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  • हरदेओल: 7151 मीटर (पूर्वोत्तर किनारे में)
  • त्रिशूली: 7074 मीटर (हरदेओल के ज़रा आगे)
  • नंदा कोट: 6861 मीटर (दक्षिण-पूर्व किनारे में)
  • नंदा घुण्टी: 6309 मीटर (दक्षिण-पश्चिम किनारे में)


वन्य जीव

नंदा देवी जैव मंडल में पक्षियों की लगभग 130, तितलियों की 40 और मकड़ियों की भी लगभग 40, प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जानवरों में हिमालयी भालू, हिमालयी ताहर, भरल, कस्तूरी मृग, लंगूर, गोरल, तेंदुए, लाल लोमड़ी आदि यहाँ संरक्षित जीवों की श्रेणी में आते हैं।

थलचर

जलचर

नभचर

चित्र वीथिका

सन्दर्भ

  1. साँचा:cite web
  2. साँचा:cite web
  3. साँचा:cite book
  4. सन् १९९२ में अर्न्स्ट हूबर द्वारा गढ़वाल-हिमालय-ओस्त नामक १:१५०,००० अनुपात का भारतीय सर्वेक्षण विभाग के मानचित्रों पर आधारित स्विस ऍल्पाइन रिसर्च फ़ाउनडेशन के लिए बनाया गया स्थलाकृतिक मानचित्र (topographic map)
  5. H. W. Tilman, The Ascent of Nanda Devi, Cambridge University Press, 1937. Reprinted in The Seven Mountain-Travel Books, The Mountaineers, Seattle, 2003, ISBN 0-89886-960-9.

बाहरी कड़ियाँ