झुम्पा लाहिड़ी
झुम्पा लाहिड़ी | |
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जन्म | साँचा:br separated entries |
मृत्यु | साँचा:br separated entries |
मृत्यु स्थान/समाधि | साँचा:br separated entries |
विधा | उपन्यास, लघु कथा, उत्तर औपनिवेशिक |
विषय | भारतीय अमेरिकी जीवन |
उल्लेखनीय कार्यs | इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ (1999)द नेमसेक (2003)अनएकसटम्ड अर्थ (2008) |
उल्लेखनीय सम्मान | 1999 ओ० हेनरी पुरस्कार2000 पुलित्ज़र पुरस्कार |
जालस्थल | |
http://www.randomhouse.com/kvpa/jhumpalahiri/ |
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झुम्पा लाहिड़ी (बंगाली: ঝুম্পা লাহিড়ী, 11 जुलाई 1967, को जन्म) एक भारतीय अमेरिकी लेखिका हैं। भारतीय अमेरिकी लेखक झुम्पा लाहिड़ी को लघु कथा में उत्कृष्टता के लिए 2017 पीएएन / मालामुद अवॉर्ड के प्राप्तकर्ता के रूप में घोषित किया गया है।[१] लाहिड़ी के प्रथम लघु कथा संग्रह, इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ (1999) को 2000 में उपन्यास के पुलित्जर पुरस्कार सम्मानित किया गया और उनके पहले उपन्यास द नेमसेक (2003) पर आधारित उसी नाम की एक फिल्म बनाई गयी।[२] जन्म से उनका नाम नीलांजना सुदेश्ना है और उनके अनुसार यह दोनों ही उनके "अच्छे नाम" है, लेकिन वे अपने उपनाम झुम्पा के नाम से ही जानी जाती हैं।[३] लाहिड़ी, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा कला और मानवीयता पर राष्ट्रपति की समिति की सदस्या नियुक्त की गयी हैं।[४]
जीवनी
लाहिड़ी का जन्म लंदन में हुआ था, वे एक आप्रवासी बंगाली भारतीय परिवार की बेटी हैं। जब वे तीन वर्ष की थीं तो उनका परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित हो गया; लाहिड़ी खुद को अमेरिकी मानती हैं और उनका कहना है, "मैं यहां पैदा नहीं हुई लेकिन ऐसा हो भी सकता था ."[३] लाहिड़ी किंग्सटन, रोड आइलैंड, में बड़ी हुई, जहां उनके पिता अमर लाहिड़ी रोड आइलैंड विश्वविद्यालय में एक लाइब्रेरियन के रूप में कार्यरत है;[३] वे इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ की अंतिम कथा "दी थर्ड एंड फाइनल कोंटीनेंट," के नायक का आधार हैं।[५] लाहिड़ी की मां चाहती थी कि उनके बच्चे बंगाली विरासत को जानते हुए बड़े हों और उनका परिवार प्रायः अपने रिश्तेदारों से मिलने कलकत्ता (अब कोलकाता) जाता था।[६]
जब उन्होंने किंग्स्टन, रोड आइलैंड में बालवाड़ी जाना शुरू किया तब उनकी शिक्षक ने उन्हें उनके उपनाम झुम्पा से बुलाने का फैसला किया, क्योंकि उनके असली नाम के मुकाबले इसका उच्चारण करना आसान था।[३] लाहिड़ी याद करती हैं, "मैं हमेशा अपने नाम से बहुत शर्मिंदा रहती थी।... आपको ऐसा लगता है कि आप जो हैं वह बने रहकर किसी और के लिए दर्द का कारण बन रहे हैं।"[७] अपनी पहचान पर लाहिड़ी की द्वैधवृत्ति उनके उपन्यास दी नेमसेक के नायक गोगोल के अपने असामान्य नाम को लेकर द्वैधवृत्ति के लिए प्रेरणा है।[३] लाहिड़ी ने साउथ किंग्सटाउन हाई स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और उन्होंने 1989 में बर्नार्ड कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में बी.ए. किया।[८]
इसके बाद लाहिड़ी ने बॉस्टन विश्वविद्यालय से कई डिग्रियां प्राप्त की: जिनमें शामिल है अंग्रेजी में एम.ए., रचनात्मक लेखन में एम.एफ.ए., तुलनात्मक साहित्य में और पुनर्जागरण अध्ययन में एक पीएच.डी.. उन्होंने प्रोविंसटाउन के फाइन आर्ट्स वर्क सेंटर की फैलोशिप ली, जो अगल दो वर्षों तक चली (1997-1998). लाहिड़ी ने बॉस्टन विश्वविद्यालय और रोड आइलैंड स्कूल ऑफ़ डिजाइन में रचनात्मक लेखन की शिक्षा दी.
2001 में, लाहिड़ी ने अल्बर्टो वॉरवोऊलिअस-बुश से शादी की, जो एक पत्रकार हैं और उस समय टाइम लैटिन अमेरिका के डिप्टी एडीटर थे (और अब न्यूयॉर्क की सबसे बड़ी स्पेनिश दैनिक और अमेरिका के सबसे तेज़ी से बढ़ रहे समाचार पत्र El Diario/La Prensa, के कार्यकारी संपादक हैं). लाहिड़ी, ब्रुकलीन न्यूयॉर्क में अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती है, जिनका नाम है ओक्टेवियो (ज.2002) और नूर (ज. 2005).[७]
साहित्यिक कैरियर
लाहिड़ी की पूर्व लघु कथाओं को प्रकाशकों से "वर्षों तक" अस्वीकृति का सामना करना पड़ा.[९] उनका पहला लघु कथा संग्रह, इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ अंत में 1999 में जारी हुआ। यह कहानियां भारतीय या भारतीय प्रवासियों के जीवन में संवेदनशील दुविधाओं जैसे वैवाहिक कठिनाइयों, गर्भपात और पहली और दूसरी पीढ़ी के संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रवासियों के बीच असम्पर्क जैसे विषयों को सम्बोधित करती हैं। लाहिड़ी ने बाद में लिखा, "जब मैने पहली बार लेखन शुरू किया तब मुझे यह ज्ञात नहीं था कि मेरा विषय भारतीय-अमेरिकी अनुभव था। जिस चीज़ ने मुझे इस शिल्प की ओर आकर्षित किया वह था मेरे अन्दर की दोनों दुनिया को एक ही पन्ने पर उतारने की इच्छा, जिसे वास्तविक जीवन में करने का ना तो मुझमें साहस है और ना ही परिपक्वता."[१०] यह संग्रह अमेरिकी आलोचकों द्वारा सराहा गया, लेकिन भारत में इसे मिली-जुली समीक्षाएं प्राप्त हुई, जहां वैकल्पिक रूप से समीक्षक उत्साहित भी थे और साथ ही विक्षुब्ध भी थे क्योंकि लाहिड़ी ने "भारतीयों को एक अधिक सकारात्मक भूमिका में नहीं रचा।"[११] इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ की 600,000 प्रतियां बिकी और इसे 2000 का पुलित्जर पुरस्कार फॉर फिक्शन प्राप्त हुआ (यह केवल सातवीं बार था जब किसी कहानी संग्रह ने यह पुरस्कार जीता था।)[३][१२]
2003 में, लाहिड़ी ने अपना पहला उपन्यास दी नेमसेक प्रकाशित कराया.[११] यह कहानी गांगुली परिवार के जीवन के तीस वर्षों से भी अधिक समय में बुनी गयी है। कलकत्ता में जन्मे माता-पिता, युवा वयस्कों के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका में बस जाते हैं, जहां उनके बच्चे, गोगोल और सोनिया, अपने माता-पिता के साथ निरंतर पीढ़ी और सांस्कृतिक अंतर का अनुभव करते हुए बड़े होते हैं। मार्च 2007 में, दी नेमसेक का एक फिल्म रूपांतरण जारी किया गया, जिसका निर्देशन मीरा नायर ने किया और इसमें काल पेन ने गोगोल के रूप में और बॉलीवुड सितारे तब्बू और इरफान खान ने माता पिता के रूप में मुख्य भूमिकाए निभाई हैं।
लाहिड़ी की लघु कथाओं का दूसरा संग्रह, अनएकसटम्ड अर्थ 1 अप्रैल 2008 को जारी हुआ। प्रकाशित होने पर अनएकस्टम्ड अर्थ ने दी न्यूयॉर्क टाइम्स की सर्वश्रेष्ठ विक्रेता सूची पर नंबर 1 पर शुरुआत की.[१३] न्यूयॉर्क टाइम्स के पुस्तक समीक्षा संपादक, ड्वाइट गार्नर ने कहा, "यह याद करना मुश्किल है कि आखिरी बार कब कोई वास्तव में गंभीर, अच्छी तरह से लिखित कथा - विशेष रूप से कहानियों की किताब आई थी - जो सीधे नंबर 1 पर पहुंच गयी; यह लाहिड़ी के नए वाणिज्यिक प्रभाव का प्रदर्शन है।"[१३]
लाहिड़ी का दी न्यू यॉर्कर पत्रिका के साथ भी विशिष्ठ सम्बंध था जिसमें उनकी कई लघु कथाएं प्रकाशित हुई, जिनमे से अधिकांश काल्पनिक और कुछ अकाल्पनिक थी जिसमें शामिल थी दी लौंग वे होम; कुकिंग लेसंस, यह कहानी लाहिड़ी और उनकी मां के बीच के सम्बंध में खाने के महत्व के विषय में थी।
2005 के बाद से, लाहिड़ी पेन (PEN) अमेरिकी केंद्र की उपाध्यक्ष बनी, यह एक ऐसा संगठन है जिसे लेखकों के बीच में दोस्ती और बौद्धिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
फरवरी 2010 में, पांच अन्य लोगो के साथ उन्हें मानवता और कला संबंधी समिति का सदस्य नियुक्त किया गया।[४]
साहित्यिक केंद्र
लाहिड़ी के लेखन की विशेषता होती है उनकी "सरल" भाषा और उनके पात्र, जो अक्सर अमेरिका में रह रहे भारतीय आप्रवासी होते हैं जिन्हें अपने जन्मस्थान और अपने अपनाये गए घर के सांस्कृतिक मूल्यों के बीच तालमेल बिठाना होता है।[२][१०] लाहिड़ी के उपन्यास आत्मकथात्मक होते हैं और यह अक्सर उनके अपने और साथ ही साथ उनके माता पिता, मित्रों, परिचितों और बंगाली समुदाय के अन्य लोगों के तजुर्बों पर आधारित होता है जिनसे वे परिचित हैं। लाहिड़ी अपने पात्रों के संघर्ष, चिंताओं और पूर्वाग्रहों को जांचती हैं ताकि आप्रवासी मनोविज्ञान और व्यवहार की बारीकियों और विवरण का वृत्तांत तैयार कर सके.
अनएकसटम्ड अर्थ तक उन्होंने अधिकतर पहली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी आप्रवासियों पर और अपने देश से भिन्न एक देश में अपने परिवार को पालने के लिए उनके संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी कहानियों में वे उनके बच्चों को भारतीय संस्कृति और परम्पराओं से अवगत कराने और संयुक्त परिवार की भारतीय परंपरा, जिसमें माता-पिता, उनके बच्चे और बच्चों का परिवार एक ही छत के नीचे रहता है, से उनका जुड़ाव बनाये रखने के लिए उनके बड़े होने के बाद भी उन्हें अपने पास रखने के उनके प्रयासों का वर्णन करती हैं।
अनएकसटम्ड अर्थ, पूर्व की इस मूल प्रकृति से दूर है क्योंकि इसमें लाहिड़ी के पात्र विकास के नए दौर में कदम रखते हैं। ये कहानियां दूसरी और तीसरी पीढ़ियों का भाग्य तलाशती है। जैसे-जैसे बाद की पीढ़ियां अमेरिकी संस्कृति को बढ़ते पैमाने पर आत्मसात करने लगती हैं और आराम से अपने मूल देश से बाहर अपना दृष्टिकोण बनाने लगती हैं, लाहिड़ी की कहानियां उन लीगों के व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर स्थानांतरित हो जाती है। वे दिखाती हैं कि कैसे बाद की पीढ़ियां अपने आप्रवासी अभिभावकों के बन्धनों से दूर हो गईं, जो अक्सर अपने समुदाय के प्रति और अन्य आप्रवासियों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी के लिए समर्पित थे।[१४]
ग्रन्थ सूची
लघु कथा संग्रह
- इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़ (1999)
- अनएकसटम्ड अर्थ (2008)
उपन्यास
- दी नेमसेक (2003)
लघु कथाएं
- "नोबोडीज़ बिजनेस" (12 मार्च 2001, न्यू यॉर्कर) ("सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघु कहानियां 2002")
- "हेल हेवेन" (24 मई 2004, न्यू यॉर्कर)
- "वंस इन ए लाइफ टाइम" (1 मई 2006 न्यू यॉर्कर)
- "यर्स एंड" (24 दिसम्बर 2007, न्यू यॉर्कर)
पुरस्कार
- 1993 - हेंफील्ड फाउंडेशन की ओर से ट्रान्साटलांटिक पुरस्कार
- 1999 - लघु कथा "इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़" के लिए ओ हेनरी पुरस्कार
- 1999 - पेन (PEN)/हेमिंग्वे पुरस्कार (वर्ष का सर्वश्रेष्ठ फिक्शन डेब्यू) इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़ के लिए
- 1999 - "इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़" सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघु कथाओं में से एक के रूप में चयनित
- 2000 - अमेरिकन अकादमी ऑफ़ आर्ट एंड लेटर्स की ओर से एडिसन मेटकाफ पुरस्कार
- 2000 - "दी थर्ड एंड फाइनल कॉन्टिनेंट" सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघु कथाओं में से एक के रूप में चयनित
- 2000 - न्यू यॉर्कर का बेस्ट डेब्यू ऑफ़ दी यर "इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़" के लिए
- 2000 - उनके प्रथम इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़ के लिए उपन्यास के लिए पुलित्जर पुरस्कार
- 2000 - जेम्स बीयर्ड फाउंडेशन एम.एफ.के. फिशर फ़ूड और वाइन पत्रिका में "इंडियन टेकाउट" के लिए विशिष्ट लेखन पुरस्कार
- 2002 - गुगेंहेइम फेलोशिप
- 2002 - "नोबोडीज़ बिजनेस" सर्वश्रेष्ठ अमेरिकी लघुकथाओं में से एक के रूप में चयनित
- 2008 - अनएकसटम्ड अर्थ के लिए फ्रैंक ओ'कोनोर अंतर्राष्ट्रीय लघुकथा पुरस्कार
- 2009 - अनएकसटम्ड अर्थ के लिए एशियाई अमेरीकी साहित्य पुरस्कार
योगदान
- (परिचय) बर्नार्ड मालामड द्वारा लिखी फारार, स्ट्राउस और गिरौक्स दी मैजिक बैरल: स्टोरीज़, जुलाई 2003.
- (परिचय) आर.के. नारायण, द्वारा लिखी मालगुडी डेज़ पेंग्विन क्लासिक्स अगस्त 2006
- "रोड आइलैंड" (निबंध), State by State: A Panoramic Portrait of America 2008, मैट वेईलैंड और शॉन विलसे, द्वारा संपादित एक्को, 16 सितंबर
सन्दर्भ
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ अ आ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ गिलियन फ्लाइं. 276075,00.html "पैसेज तो इंडिया: पहली बार लेखक झुम्पा लाहिड़ी ने पुलित्जर जीता"साँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link], मनोरंजन साप्ताहिक, 2000-04-28. 2008-04-13 को पुनः प्राप्त.
- ↑ अरुण आगुवायर. "वन ओं वन विथ झुम्पा लाहिड़ी" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, पिफमैगज़ीन.कॉम, 1999-07-28. 2008-04-13 को पुनः प्राप्त.
- ↑ अ आ बेंजामिन अनासटास. " स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।बुक्स: इंस्पायरिंग एडैपटेशन" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, मेंस वोग मार्च 2007. 2008-04-13 को पुनः प्राप्त.
- ↑ "पुलित्जर प्राइज़ अवोरडेड टू बर्नार्ड अल्युमना झुम्पा लाहिड़ी '89; कैथरीन बू '88 साईटेड इन पब्लिक सर्विस अवोर्ड तो दी वाशिंगटन पोस्ट" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, बर्नार्ड कैम्पस समाचार, 2000-04-11. 2008-04-13 को पुनः प्राप्त.
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ एलिजाबेथ फार्न्सवर्थ. "पुलित्जर पुरस्कार विजेता उपन्यास" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।, पीबीएस न्यूज़आवर, 2000-04-12. 2008-04-15 को पुनः प्राप्त.
- ↑ अ आ ड्वाइट गार्नर. "झुम्पा लाहिड़ी, विथ ए बुलेट" स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है। दी न्यूयॉर्क टाइम्स पेपर कट ब्लॉग, 2008-04-10. 2008-04-12 को पुनः प्राप्त.
- ↑ जे. लाहिड़ी. अनएकसटम्ड अर्थ.
बाहरी कड़ियाँ
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- आधिकारिक वेबसाइट: www.झुम्पालाहिड़ी.नेट
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