चमार
![]() चमड़ा-बोतल बनाने वाले (संभवतः 'चमार' जाति के सदस्य) तशरीह अल-अववम (1825) | |
विशेष निवासक्षेत्र | |
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भारत • पाकिस्तान • नेपालहरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, सिंध, नेपाल | |
भाषाएँ | |
हिन्दी, ब्रज भाषा, पंजाबी भाषा, सिंधी भाषा,उर्दू | |
धर्म | |
हिन्दू • इस्लाम • सिख धर्म • रविदासिया धर्म • ईसाई धर्म | |
सम्बन्धित सजातीय समूह | |
जाटव • चंबर • धुसिया • भांबली • जुलाहा चमार • कबीरपंथी जुलाहा • अहिरवार • मेघवाल • बलाई • बैरवा • बुनकर • सुत्रकार चमार • साँचा:main other |
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चमार(च म अ र) big> एक दलित समुदाय है, जिसका अर्थ चमड़ी/चर्म, मांस,अस्थि,रक्त होता है जिससे बना है संपूर्ण मानव अर्थात प्रत्येक मानव शरीर । इस समाज के जगतगुरु रविदास"रैदास" जी के विचार पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। आधुनिक भारत की सकारात्मक कार्रवाई प्रणाली के तहत अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ऐतिहासिक रूप से अस्पृश्यता के अधीन, वे परंपरागत रूप से वर्ण के रूप में जानी जाने वाली जातियों की हिंदू अनुष्ठान रैंकिंग प्रणाली से बाहर थे। वे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं, मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यो तथा पाकिस्तान और नेपाल आदि देशों में निवास करते हैं। चमार अनेक उपजातियों का समूह है। इस समाज के आदर्श भीमराव आम्बेडकर,रविदास(रैदास),गौतम बुद्ध एवं विभिन्न बहुजन नायक हैं। चमार शब्द से प्रतीत होता है, कि वे सिर्फ चर्म से संबंधित व्यवसाय करते थे। परन्तु इसके विपरित समुदाय की अनेक उपजातियों में कृषि व बुनाई का कार्य भी प्रचलित था। आज के आधुनिक समय में इस मेहनती समुदाय ने काफी प्रगति की है।
किन्तु 'चमार' शब्द को एक अपशब्द के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। अतः इसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जातिवादी गाली और अपमानजनक शब्द के रूप में वर्णित किया गया है। इस समुदाय के साथ होने वाले दुराचारों को रोकने के लिए कानून द्वारा उन्हें कई विशेष अधिकार दिये गए हैं, जैसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 ।[१][२][३]
पेशा
'चमार' शब्द को संस्कृत भाषा के 'चर्मकार' का अपभ्रंश मान जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ 'चमड़े से सम्बन्धित काम करने वाला' होता है। चमार जाति का मुख्य पेशा चमड़े की जीवन उपयोगी वस्तुएं बनाना था जैसे कि जूते, मशक, नगाड़ा, बेल्ट, बख्तर, लेकिन कुछ चमारों ने कपड़ा बुनने का धंधा भी अपना लिया एवं ख़ुद को जुलाहा चमार बुलाने लगे। चमारों का मानना है कि कपड़ा बुनने का काम चमड़े के काम से काफी उच्च दर्जे का काम है।[४]
चमार रेजिमेंट
प्रथम चमार रेजिमेंट द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों द्वारा गठित एक पैदल सेना रेजिमेंट थी। आधिकारिक तौर पर, यह 1 मार्च 1943 को बनाई गई थी, क्योंकि 27वीं बटालियन दूसरी पंजाब रेजिमेंट को परिवर्तित किया गया था।[५] चमार रेजिमेंट उन सेना इकाइयों में से एक थी, जिन्हें कोहिमा की लड़ाई में अपनी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया था।[६] 1946 में रेजिमेंट को भंग कर दिया गया था। 2011 में, कई राजनेताओं ने मांग की कि इसे पुनर्जीवित किया जाए।[७]
प्रमुख व्यक्ति
- संत रविदास
- भीमराव आम्बेडकर, भारतीय बहुज्ञ, संविधानशिल्पी, समाजसुधारक, प्रथम कानून एवं न्यायमन्त्री ( 1891-1956 )
- जगजीवन राम, भारत के भूतपूर्व उप-प्रधानमंत्री
- कांशी राम (1934–2006), बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक
- मीरा कुमार, जगजीवन राम की सुपुत्री एवं लोकसभा की भूतपूर्व अध्यक्ष
- मायावती, बहुजन समाज पार्टी की नेत्री एवं उत्तर प्रदेश की भूतपूर्व मुख्यमंत्री
- चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब राज्य के मुख्यमंत्री हैं व चमकौर साहिब सीट से कांग्रेस के विधायक हैं।
- बेबी रानी मौर्य"जाटव", भारतीय राजनीतिज्ञ एवं उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
- मान्यवर अनिल कुमार दास * ,(1971-2017) बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक मान्यवर कांशी राम साहब के नेतृत्व में बिहार प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की नींव रखने वाले एक सामाजिक एवं प्रतिष्ठित कार्यकर्ता रहे हैं ।
- चंद्रशेखर आज़ाद रावण एक सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिज्ञ और भीम आर्मी के संस्थापक हैं।
उपकार बावरा सामाजिक कार्यकर्ता बहुजन एकता संघर्ष समिति के संस्थापक है
सन्दर्भ
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