गुणनिधि
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गुणनिधि शिवपुराण में वर्णित एक पात्र है जिसका वर्णन शिवपुराण के रुद्रसंहिता के सत्रहवें अध्याय आता है।
कथा
इनके पिता का नाम यज्ञदत्त था। जो काम्पिल्य नगर में रहते थे। वे सदाचारी ब्राह्मण थे। गुणनिधि बचपन मे ही गलत संगत के कारण दुराचारी व जुआरी हो गए। एक बार नेवैद्य चुराने के लिए उसने शिवमंदिर में रात को प्रवेश किया। अंधेरा दूर करने के लिए उसने अपने कमीज में आग लगाकर रोशनी की। इसे शिवजी ने अपने लिए किया हुआ दीपदान माना। वह चोरी के आरोप में पकड़ा गया व उसे प्राण दंड मिला। मरने पर यमदूत उसे लेकर जाने लगे तो शिवगण आ गए और उसे अपने साथ ले गए। शिवगणों के संग से उसका हृदय शुद्ध हो गया।
शिवलोक में उसने कई वर्षों तक सुख भोगा। कालान्तर में वह कलिंग राजा अरिंदम का पुत्र हुआ।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने गुणनिधि को दिया कुबेर नामसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!
सन्दर्भ
1. "संक्षिप्त शिवपुराण" गीता प्रेस गोरखपुर