एक था राजा एक थी रानी
लुआ त्रुटि: expandTemplate: template "italic title" does not exist।साँचा:template other एक था राजा एक थी रानी एक भारतीय हिन्दी धारावाहिक है, जिसका प्रसारण ज़ी टीवी पर 27 जुलाई 2015 से सोमवार से शुक्रवार रात 9:30 बजे होता है। इस धारावाहिक ने हैलो प्रतिभा धारावाहिक की जगह ली। लेकिन इसके समय को क़ुबूल है के साथ बदल दिया गया। इस कारण हैलो प्रतिभा के समय पर क़ुबूल है और क़ुबूल है के समय पर यह धारावाहिक प्रसारित होगा।[१] इसमें सिद्धान्त कर्णिक और दृष्टि धामी मुख्य किरदार में हैं।[२][३] इनके अलावा इसमें अनिता राज, दर्शन जरीवाला, सुरेखा सीकरी, अक्षय आनन्द, मून बेनर्जी और पवन महेंद्रु भी हैं।[४]
कहानी
यह कहानी एक राजा सिंह देव (सिद्धान्त कर्णिक) और एक रानी गायत्री सेठ (दृष्टि धामी) की प्रेम कहानी है। इंद्रवदन सिंह देव राजकोट के एक शाही खानदान में पैदा हुए एक राजकुमार हैं और गायत्री एक अमीर साहूकार गोविंद दास (दर्शन जरीवाला) की बेटी रहती है। जिसे पढ़ना बहुत पसंद है, लेकिन घर में इसके दो भाभी इससे घर का सारा कार्य करवाते हैं। इंद्रवदन सिंह देव अपनी पहली पत्नी सुलोचना से बहुत प्यार करते रहते हैं, लेकिन उसकी मृत्यु हो जाती है। शाही खजाने में कमी के कारण राजमाता प्रियंवदा (अनिता राज) राणाजी का पुनः शादी करवाना चाहती है, जिससे गोविंद सेठ द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाया जा सके। वहीं चंद्रवर्थन सिंह देव (अक्षय आनन्द) और कोकिला (पारुल चौधरी) नहीं चाहते रहते हैं कि यह कर्ज चुकाया जाये। वह इसके सहारे गद्दी पर अपना आधिपत्य जमाना चाहते हैं।
गोविंद सेठ अपने दिये कर्ज को वापस लेने के लिए राज माता को चिट्ठी लिखता है। जिसके बाद एक समारोह में राजमाता उसे सपरिवार बुलाती है। जहाँ गायत्री शराब पी लेती है और उस कारण घर में बहुत डांट खाती और उसकी शादी नहीं होने के कारण उसकी माँ एक बूढ़े व्यक्ति जिसका बेटा भी गायत्री से बड़ा है, उससे शादी करवाने का सोचती है। वहीं राणाजी अपने एक महल को बेचकर कर्ज चुकाने का सोचते हैं, लेकिन उससे पहले ही अंग्रेजों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया।
- विवाह
गायत्री राणाजी को एक प्रेम पत्र लिखती है। लेकिन वह पत्र राजमाता पढ़ लेती है और उस दिन जब गोविन्द सेठ महल अपने पैसे लेने आते हैं, तो राजमाता उसके सामने अपनी बेटी की शादी राणाजी से करवाने को कहती है और उसके स्थान पर कर्ज माफ करने को कहती है। इस पर गोविंद सेठ मना कर देता है, लेकिन उसकी बेटी द्वारा लिखे पत्र को देखने के बाद वह उससे कहता है कि शाम 6 बजे से पहले यदि वह उसके घर उसकी बेटी का रिश्ता मांगने आ जाते हैं तो वह शादी हेतु तैयार है, लेकिन नहीं आने पर वह उसकी शादी कहीं ओर करा देगा।
उस दिन राजमाता समय पर आकार सगाई रोक देती है। इसके बाद वह शादी की बात कहती है। शादी तय हो जाती है। उसके बाद राणाजी को उनके शादी तय होने की बात पता चलती है। इस पर वह क्रोधित हो जाते हैं। लेकिन बाद में वह राजमाता की बात को मान लेते हैं। इसके बाद दोनों की शादी हो जाती है। शादी के बाद दोनों के ऊपर कोई न कोई मुसीबत आती रहती है। राणाजी अपनी यादाश्त गंवा देते हैं और उनका विवाह रगेश्वरी से हो जाता है। गायत्री इसके बाद सावित्री के नाम से मिलती है और काफी संघर्ष के बाद उन्हें सब याद आ जाता है और वो अपना प्यार पुनः प्राप्त कर लेती है। राणाजी को मारने के लिए बड़ी रानी माँ किसी को भेजती है और वह राणाजी को मार देता है। गायत्री इसका बदला लेने का सोचती है, पर उसके एक बच्ची को जन्म देने के बाद बड़ी रानी माँ उसे भी मार देती है। राजमाता उस बच्ची को वहाँ से दूर ले जाती है।
गायत्री की बेटी अब राजमाता और लखन के देख रेख में पलती है। वह राजमहल में काम करने के लिए जाती है, जहाँ राजा, जीवन और बिन्दु उसके दोस्त बन जाते हैं। राजा और जीवन दोनों काल के बेटे और लखन की बेटी बिन्दु होती है। काल अब वहाँ का राजा बन जाता है। राजा और रानी दोनों अपने बचपन में अलग अलग रहते हैं।
- बारह वर्ष बाद
बारह वर्षों के बाद राजा और रानी फिर कॉलेज में मिलते हैं। इस बार राजा मिलने के साथ ही रानी को परेशान करने लगता है, क्योंकि उसे लगता है कि उसे पढ़ाई करने हेतु दूर भेजने का कारण वही है। लेकिन इस बार भी उसकी नफरत ज्यादा देर नहीं रहती और वो दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। शादी के दिन राजा को पता चलता है कि रानी के माता-पिता राणाजी और गायत्री हैं और उन दोनों की हत्या काल और बड़ी रानी माँ ने किया है। दोनों शादी कर लेते हैं। शादी के बाद वे दोनों प्रेम से रहते हैं और जीवन, बिन्दु और बड़ी रानी माँ आदि उनके जीवन में परेशानियाँ डालने की कोशिश करते रहते हैं। काल को राजा कैद में डाल देता है और रानी को मारते समय बड़ी रानी माँ की मौत हो जाती है। बिन्दु को भी कैद में डाल दिया जाता है। अब इकबाल खान उनके जीवन में आता है। वह रानी से प्यार करने लगता है और उन दोनों को अलग करने की कोशिश करता है। वह राजा को गोली मार देता है। इसके बाद चार महीनों बाद राजा फिर से आता है। उसे बिन्दु बचा लेती है, लेकिन जब राजा वापस आता है तो वह रानी और इकबाल को एक साथ देखता है। वह बदला लेने के लिए अंगद बन जाता है, लेकिन रानी कुछ ही समय बाद उसे पहचान लेती है। इकबाल उन दोनों के मध्य नफरत फैलाने का काम करता है, जिससे राजा उससे नफरत करने लगता है। राजा बुरे रास्ते में चलने लगता है। रानी और इकबाल दोनों सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं।
कलाकार
- 1946
- सिद्धान्त कर्णिक - राणाजी इंद्रवदन सिंह देव[५]
- दृष्टि धामी - गायत्री सेठ[६]
- अनिता राज - राजमाता प्रियंवदा[७]
- दर्शन जरीवाला - सेठ गोविंद दास (व्यापारी व गायत्री के पिता)
- सुरेखा सीकरी - राणा जी की दादी
- अक्षय आनन्द - चंद्रवर्थन सिंह देव
- पारुल चौधरी - कोकिला (चंद्रवर्थन सिंह की पत्नी)
- मून बेनर्जी - दमयंती (गायत्री की माँ)
- पवन महेंद्रु
- विकास त्रिपाठी - मुकुन्द
- जयना टिडा - सुलोचना (राणाजी इंद्रवदन सिंह देव की पहली पत्नी)
- 1954
- महिमा जोशी - कुंवारी रानी इंद्रवदन सिंह देव (गायत्री और राणा इंद्रवदन सिंह देव की बेटी)
- सागर हिंगोनिया - राजा बाजा
- पुनीत शर्मा - लखन (जिसे बड़ी रानी माँ ने मार दिया)
- 1966
- ईशा सिंह - कुंवारी रानी इंदरवदन सिंह देव
- सरताज गिल - राजा (महाराजा काल और रानी अंबिका के पुत्र)
- जान खान - जीवन (महाराजा काल और रानी राजेश्वरी के पुत्र)
- पूनम प्रीत - राजकुमारी बिन्दु (स्वर्णलेखा और लखन की पुत्री)
निर्माण
इसका निर्माण सुंजोय वाधवा और नीलांजना पुरकायसस्था ने किया है। 1940 के दशक का रूप देने के लिए इसका निर्माण राजस्थान में किया गया है। इसके अलावा मुंबई में इसके लिए एक बहुत महंगे जगह का उपयोग किया गया है।[८][९] इसके लिए सिद्धान्त कर्णिक को राणाजी इंद्रवदन सिंह देव का किरदार और दृष्टि धामी को गायत्री सेठ का किरदार दिया गया। इसमें अनिता राज को राजमाता प्रियंवदा का किरदार दिया गया। वह इससे पहले प्रेम गीत, नौकर बीवी का, अब आएगा मज़ा, गुलामी और साजिस आदि में इससे पहले कार्य कर चुकीं हैं।[१०]
सिद्धान्त कर्णिक ने बताया की वे एक आदर्श राजा की भूमिका में हैं, जो उथल-पुथल भरे अतीत के बाद एक गंभीर व्यक्ति बन जाते हैं। इसके बाद दृष्टि धामी ने बताया की 'एक था राजा एक थी रानी' 21 वर्षीय युवती गायत्री के बारे में है, जो एक छोटे से परिवार से है, लेकिन बाद में उसकी शादी एक राजा (सिद्धांत कार्णिक) से हो जाती है। वह एक शाही परिवार का हिस्सा बनने के बाद अपनी जिंदगी में अचानक से बदलाव देखती है।'[११] लेकिन दृष्टि धामी के अन्य कामों में व्यस्त होने के कारण इस धारावाहिक के निर्माण में बहुत समय लग रहा था। जब उनका कार्य हो गया तो इस धारावाहिक का पुनः निर्माण कार्य शुरू हो गया।[१२]
इस धारावाहिक के प्रचार के लिए अक्षय आनन्द और पारुल चौधरी भोपाल पहुँचे। जहाँ उन्होंने अपने पात्रों के बारे में बताया। पहले अक्षय आनन्द ने बताया की इस धारावाहिक में राजघरानों के करी राज सामने आएँगे। में भीड़ से हटकर इस धारावाहिक से वापसी करते हुए काफी खुशी महसूस कर रहा हूँ। में इसमें चंद्रवर्थन सिंह देव की भूमिका निभा रहा हूँ। इसके बाद पारुल चौधरी ने बताया की वे कोकिला, जो चंद्रवर्थन सिंह की पत्नी हैं। के भूमिका में दिखेंगी।[१३]
समीक्षा
इंडिया टूड़े के 28 जुलाई 2015 के समीक्षा के अनुसार उनका कहना है कि इसमें पहले दिखाये गए प्रचार के दौरान के दृश्य से जो अपेक्षाएं थी, वह पहले दिन के प्रकरण के दौरान ही मिट गए। इसमें पहले दिन में राणाजी इंद्रवदन सिंह देव केवल घोड़े पर बैठे हुए ही मुख्यतः दिखाये गए। इसके अलावा राजमाता के सारी आदि को दिखाया गया है वह 1940 के समय का नहीं हो सकता। साथ ही इसके पहले दिन में किरदारों का परिचय में बम के धमाके आदि कि घटना में ही चला गया। उम्मीद है कि आगे के दिनों में यह रोमांचक और मनोरंजक होगा।[१४]
सन्दर्भ
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