एक्सकैलिबर राइफल
एक्सकैलिबर राइफल Excalibur rifle | |
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अमोघ कार्बाइन और एक्सक्लिबिर एक्सकैलिबर (नीचे) | |
प्रकार | आक्रमण राइफल |
उत्पत्ति का मूल स्थान | भारत |
सेवा इतिहास | |
सेवा में | 2017-18 (अपेक्षित) |
उत्पादन इतिहास | |
डिज़ाइनर | आर्ममेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (एआरडीई) |
निर्माता | आयुध कारखाने बोर्ड (ओएफबी) |
निर्माणित संख्या | 15[१] |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | 3.81 किग्रा (बिना मैगजीन) 4.03 किलो (पूर्ण मैगजीन के साथ)[२] |
लंबाई | साँचा:convert[२] |
बैरल लंबाई | साँचा:convert[२] |
कारतूस | 5.56×45मिमी नाटो |
कार्रवाई | गैस संचालित, घूर्णन बोल्ट |
आग की दर | 650-700 राउंड/मिनट[२] |
थूथन वेग | साँचा:convert |
दूरी जहाँ तक अस्त्र मार कर सके | 450 मीटर[३] |
फ़ीड करने के लिए प्रणाली | 20/30-राउंड वियोज्य बॉक्स मैगजीन[२] |
आकर्षण | इनबिल्ट आयरन दृष्टि |
एक्सकैलिबर राइफल (Excalibur rifle) एक आक्रमण राइफल है जो भारतीय सेना के मानक राइफल इंसास राइफल पर आधारित है। इस राइफल में इंसास राइफल के कई सुधार हुए हैं और भारतीय सेना के मानक आक्रमण राइफल इंसास राइफल को एक्सकैलिबर राइफल से बदलने की उम्मीद है। हालांकि, भारतीय सेना ने सितंबर 2016 में प्रतिस्थापन के लिए टेंडर डालवाये।[४] एक्सकैलिबर राइफल ऑर्डनेंस फॅक्टरी तिरुचिरापल्ली, छोटे हथियार फैक्टरी, कानपुर और इचलपुर शस्त्रागार में आयुध कारखाने बोर्ड द्वारा निर्मित किया जाएगा।
इतिहास
भारतीय सेना ने 1990 के दशक के अंत से इंसास राइफल का इस्तेमाल किया और कारगिल युद्ध के दौरान इंसास राइफल से कार्रवाई की। इंसास राइफल को कई विश्वसनीयता मुद्दों खरा नहीं उतरा था जैसे कि ठंडे मौसम के कारण मैगजीन की क्रैकिंग, उपयोगकर्ता की आंखों में गोली छोडते समय तेल आना और 3 राउंड पर सेट होने पर राइफल स्वचालित मोड में चली जा रही थी इंसास राइफल में स्वचालित मोड था भी नही।
नवंबर 2011 में, भारतीय सेना ने करीब 2,600 करोड़ रुपये (यूएस$400 मिलियन) में 65,678 बहु-कैलिबर राइफलों के लिए 34 विक्रेताओं के प्रस्ताव के लिए अनुरोध (Request for proposal) भेजा।[५][६] टेंडर में भारत में करीब 100,000 राइफलों का निर्माण करने के लिए एक लाइसेंस भी शामिल था, जिसमें कुल 5,500 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था।[७] कार्बाइन और एलएमजी के लिए भी इसी प्रकार के टेंडर जारी किए गए।[८] हालांकि, सेना ने निर्माताओं को 15 जून 2015 को एक पत्र भेजा, ताकि उन्हें सूचित किया जा सके कि टेंडर वापस ले लिया गया है।
टेंडर को रद्द करने के बाद, सेना ने इंसास राइफल की जगह लेने के लिए आर्ममेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट द्वारा विकसित नई एक्सकैलिबर राइफल को चुनने का फैसला किया।
3 जुलाई 2016 को, भारतीय मीडिया ने बताया कि भारतीय सेना ने एक्सकैलिबर राइफल को अपने मानक आक्रमण राइफल के लिए खारिज कर दिया है क्योंकि यह सेना की आवश्यकताओं के मानको से मेल नहीं खाती थी।[९][१०]
सितंबर 2016 में भारतीय सेना ने घोषणा की कि वह 1,85,000 7.62x51मिमी-कैलिबर आक्रमण राइफलों के लिए एक टेंडर शुरू कर रही है। अक्टूबर 2016 में भारतीय सेना ने घोषणा की है कि जब तक उपयुक्त प्रतिस्थापन नहीं मिल पाता है, तब तक एक्सकैलिबर राइफल्स को अंतरिम आक्रमण राइफल के रूप में अपनाया जाएगा।[११][१२]
परीक्षण
सेना ने 2014-15 में एक्सकैलिबर का परीक्षण किया। कुछ परीक्षणों में यह शामिल थे:
- पानी और मिट्टी में लगभग आधे घंटे के लिए इसे डुबकी के बाद राइफल फायरिंग।
- उपयोगकर्ता विश्वसनीयता परीक्षण।
- 24,000 राउंड फायर करने के बाद स्टॉपपेज की संख्या की जांच
इंसास और एक्सकैलिबर के बीच अंतर
- एक स्वचालित फायर मोड है।
- एक छोटे हैंडगार्ड के साथ है।
- तह (foldable) हो जाने वाला बट-स्टॉक है।
उपयोगकर्ता
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ अ आ इ ई उ साँचा:cite web
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- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
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- ↑ साँचा:cite web
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