निर्भय क्रूज मिसाइल
निर्भय Nirbhay | |
---|---|
निर्भय परीक्षण प्रक्षेपण के दौरान | |
प्रकार | लंबी दूरी, सभी मौसम, सबसोनिक क्रूज मिसाइल |
उत्पत्ति का मूल स्थान | साँचा:flag/core |
उत्पादन इतिहास | |
निर्माता | रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | साँचा:convert |
लंबाई | साँचा:convert |
व्यास | साँचा:convert |
वारहेड | पारंपरिक या परमाणु |
इंजन | टर्बोफैन |
पंख सीमा | साँचा:convert |
परिचालन सीमा | साँचा:convert - साँचा:convert |
गति | मैक 0.8– मैक 0.9 |
मार्गदर्शन प्रणाली | जड़त्वीय मार्गदर्शन प्रणाली भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली |
निर्भय (अर्थात बिना भय) एक लंबी दूरी की सबसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे भारत में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित किया गया है।[१]
विवरण
निर्भय सभी मौसम में काम करने वाली, कम लागत, लंबी दूरी की परंपरागत और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम क्रूज मिसाइल है। मिसाइल 6 मीटर लंबी है व वज़न लगभग 1500 किलो है।[२] इसकी सीमा 1000 किलोमीटर से अधिक है। मिसाइल को टेक ऑफ के लिए ठोस रॉकेट बूस्टर द्वारा संचालित किया जाता है। जिसे उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला (एएसएल) द्वारा विकसित किया गया है। आवश्यक वेग और ऊंचाई तक पहुँचने पर, मिसाइल में टर्बोफैन इंजन प्रणोदन (इग्निशन) के रूप में प्रयोग किया जाता है। मिसाइल को स्वदेशी अनुसंधान केंद्र (आरसीआई) द्वारा विकसित एक अति उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और ऊंचाई निर्धारण के लिए रेडियो तुंगतामापी (ऑलटीमीटर) द्वारा निर्देशित किया जाता है।[३]
निर्भय कई लक्ष्यों के बीच हमला करने में सक्षम है। मिसाइल में मंडराने की क्षमता है। जिससे यह कई पैंतरेबाज़ी प्रदर्शन कर सकती है।[४] दो पंख के साथ, मिसाइल विभिन्न ऊंचाई 500 मीटर से लेकर 4 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। यह दुश्मन के रडार द्वारा पता लगाने से बचने के लिए नीची ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है।[५][६] यह मिशन की आवश्यकताओं के आधार पर अलग-अलग प्रकार के 24 हथियारो को वितरित करने में सक्षम है और यह मार्गदर्शन के लिए जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करती है।[७] यह मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल की कमी को पूरा करती है क्योंकि ब्रह्मोस मिसाइल की सीमा 290 किलोमीटर है और यह उससे अधिक दूर तक जा सकती है।[८]
विकास और परीक्षण
मिसाइल, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई), बेंगलुरू द्वारा विकसित की गई है। वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला है।[५][९] डिजाइन को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, मिसाइल के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी को विकसित किया गया था। इसको अनुसंधान एवं विकास (R&D) इंजीनियर, पुणे, डीआरडीओ की एक विशेष शाखा द्वारा एकीकृत किया गया।[६] भारत के निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा वाहन ने निर्भय प्रणाली के लिए कैरियर/लांचर बनाया और यह "स्वदेशी हाई मोबिलिटी, ऑल टरेन और ऑल व्हील ड्राइव टाटा LPTA 5252-12 X 12 वाहन" पर आधारित है। इसे डीआरडीओ के साथ भागीदारी में विकसित किया गया है।[१०]
मिसाइल की पहली परीक्षण उड़ान के लिए अक्टूबर 2012 में योजना बनाई गई थी।[११][१२] लेकिन प्रक्षेपण लांचर के परिवर्तन के कारण दिसंबर तक स्थगित कर दिया गया। विजय कुमार सारस्वत, डीआरडीओ के महानिदेशक ने बाद में कहा कि मिसाइल का परीक्षण फरवरी 2013 में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देरी विकास की कुछ प्रक्रियाओं के वजह से हुई है। डीआरडीओ ने उम्मीद की कि मिसाइल फ़रवरी में परीक्षण के बाद 12 से 18 महीनों के भीतर उत्पादन करने के लिए तैयार हो जायेगी।[५][९][१३] मीडिया में आई खबरों के मुतबिक मिसाइल कई परीक्षण विफलताओं के कारण रद्द की गई। लेकिन बाद में खबर मिली कि परियोजना को 18 महीने (जून 2018 तक) का एक्सटेंशन सभी बकाया मुद्दों को ठीक करने के लिए दिया गया है।[१४][१५][१६]
प्रथम परीक्षण
निर्भय मिसाइल के सतह संस्करण (ग्राउंड वर्ज़न) का परीक्षण पहली बार ओडिशा के बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 12 मार्च 2013 को किया गया। अपनी पहली उड़ान में मिसाइल बंगाल की खाड़ी में 1000 किमी की दूरी पर स्थित एक स्थिर लक्ष्य को भेदने वाली थी। मिसाइल ने सफलतापूर्वक लांच पैड से उड़ान भरी और प्रणोदन (इग्निशन) के दूसरे चरण में पहुंच, 0.7 मैक की रफ्तार से अपनी 15 मिनट के परिकल्पित पथ की यात्रा की। उसके बाद यह अपनी प्रक्षेपवक्र (ट्रजेकट्री) से दूर मुड़ गई। जिसने इंजन को मिसाइल के उड़ान के मध्य रास्ते में मिसाइल में ही अलग करने के लिए कमांड सेंटर मजबूर कर दिया। यह मिसाइल को तटीय क्षेत्रों से टकराने के जोखिम से बचने के लिए किया गया था। मिसाइल को जानबूझकर उड़ान के मध्य में नष्ट कर दिया गया था।[१७]
परीक्षण को एक आंशिक सफलता के रूप देखा गया क्योंकि मिसाइल ने सफलतापूर्वक लांच पैड से उड़ान भरी, प्रणोदन के दूसरे चरण में पहुंची और अपनी सीमा की 30% यात्रा की। अपनी राह से हटने से पहले मिशन के ज्यादातर उद्देश्यों को प्राप्त कर लिया गया था। डीआरडीओ ने समस्या का पता लगाया। जो दोषपूर्ण जड़त्वीय (इनरशिअल) नेविगेशन प्रणाली में थी। जिसे बाद में परीक्षण द्वारा सही कर लिया था।
दूसरा परीक्षण
निर्भय मिसाइल का दूसरा लांच फरवरी-मई 2014 के लिए निर्धारित किया गया था।[१८] लेकिन बाद में यह अक्टूबर 2014 तक स्थगित हो गया। अक्टूबर में कुछ देरी हुदहुद चक्रवात के कारण भी हुई। 17 अक्टूबर 2014 को, मिसाइल के सतह संस्करण का परीक्षण फिर से एक बार ओडिशा के बालासोर जिले में चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से किया गया और इस बार परीक्षण सफल रहा था। मिसाइल ने परीक्षण के सभी 15 मापदंडों पूरा किया। मिसाइल 1000 किलोमीटर से अधिक और 1 घंटे, 10 मिनट की अवधि के लिए चली। मिसाइल को जमीन आधारित रडार की मदद से ट्रैक किया गया और मिसाइल के स्वास्थ्य मानकों पर डीआरडीओ के आईटीआर और एलआरडीई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार विकास स्थापना) के टेलीमेटरी स्टेशनों द्वारा निगरानी की गई।[१९] भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जेट जगुआर ने मिसाइल की उड़ान के दौरान उसका पीछा करके उसकी उड़ान की वीडियो बनायीं।
तीसरा परीक्षण
मिसाइल का तीसरा टेस्ट 16 अक्टूबर 2015 को हुआ।[२०] मिसाइल का नीची उड़ान क्षमता के लिए परीक्षण किया जा रहा था। उड़ान में मिसाइल को 4800 मी से धीरे-धीरे 20 मीटर की दूरी पर लाना था। एसयू -30 एमकेआई विमान ने उड़ान को वीडियो टेप किया।[२१] रक्षा मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि मिसाइल को 11:38 IST पर लांच किया गया और इसके सभी शुरुआती आवश्यक ऑपरेशन सफल रहे।[२२] मिसाइल बंगाल की खाड़ी में अपनी 1000 किमी रेंज में से केवल 128 किमी कवर करने के बाद 11 मिनट की उड़ान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।[२३]
चौथा परीक्षण
मिसाइल का चौथा टेस्ट 21 दिसंबर 2016 को एकीकृत परीक्षण रेंज के प्रक्षेपण परिसर-III (आईटीआर) बालासोर,ओडिशा में 11:56 IST पर किया गया।[२४][२५] वहाँ परीक्षण के परिणाम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया, हालांकि समाचार रिपोर्टों के अनुसार परीक्षण सफल नहीं था। पहले चरण में बूस्टर इंजन ने काम शुरू किया और इसके लांचर ने मिसाइल को ऊपर उठाया लेकिन मिसाइल ने लिफ्ट बंद होने के दो मिनट बाद एक एक ओर को खतरनाक तरीके से मुड़ना शुरू कर दिया और अपने सुरक्षा गलियारे के बाहर मुड़ गई। इसके कारण, मिसाइल परीक्षण को निरस्त करना पड़ा और इसे दूर से नष्ट कर दिया गया। मिसाइल की विफलता के लिए एक संभावित कारण एक हार्डवेयर की समस्या को बताया गया।[२६][२७]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite webसाँचा:category handlerसाँचा:main otherसाँचा:main other[dead link]
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ अ आ इ साँचा:cite news
- ↑ अ आ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ अ आ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ India Extends Homemade Missile Program Despite Failed Test
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite news
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ साँचा:cite web
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।
- ↑ स्क्रिप्ट त्रुटि: "citation/CS1" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।