अर्जुनदेव चारण
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अर्जुनदेव चारण | |
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अर्जुनदेव चारण | |
जन्म |
10 May 1954 मथानिया |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय |
नाटककार, थियेटर निर्देशक संस्थापक रमात थियेटर समूह" |
कार्यकाल | 1974-वर्तमान |
प्रसिद्धि कारण | राजस्थानी लोकनाट्यों पर विशेष शोध कार्य, प्रतिष्ठित नाट्य निर्देशक, नाटककार, राजस्थानी साहित्य के आलोचक |
बच्चे | आशीष देव चरण |
पुरस्कार | संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार नाटककार, 1992 में |
अर्जुनदेव चारण एक प्रसिद्ध राजस्थानी कवि, आलोचक, नाटककार, थियेटर निर्देशक और अनुवादक है।
जीवन परिचय
डॉ. चारण का जन्म 10 मई 1954 को जोथपुर के मथानीया गांव में हुआ था। उनके पिता रेंवत दान चारण भी एक प्रख्यात राजस्थानी कवि और समाजवादी थे। अर्जुनदेव चारण, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में राजस्थानी भाषा विभाग के प्रमुख रहे हैं। उन्हें 26 नवंबर 2011 को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के अध्यक्ष के रूप में तीन साल के लिए चुना गया है। जोधपुर के डॉ. अर्जुनदेव चारण को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली का अध्यक्ष , उपाध्यक्ष चुना गया है।[१] राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के इतिहास में पहली बार किसी राजस्थानी लेखक और नाट्य निर्देशक को यह पद मिला है।[२] डॉ. चारण केन्द्रीय साहित्य अकादमी के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक भी है।
पुरस्कार
- बिहारी पुरस्कार 2011: 'घर तो एक एक नाम है भोसै राऊ' (कविता संग्रह) के लिए (के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा) [३]
- साहित्य अकादमी पुरस्कार 1992: 'धरमजुद्ध' (नाटक–संग्रह) के लिए। [४]
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 1999: राजस्थानी भाषा थियेटर में उनके योगदान के लिए।
- सूर्यमल्ल मिश्रण शिखर पुरस्कार 1997: 'धरमजुद्ध' (नाटक–संग्रह) के लिए।[५]
- अर्जुनदेव चारण को 2011 के के.के.बिड़ला फाउंडेशन ने इनके राजस्थानी कविता संग्रह "घर तो एक नाम है भरोसे रो " के लिए बिहार पुरस्कार से सम्मानित किया गया है [६]।
रचनाये
राजस्थानी कविता-संग्रह
- रिंधरोही ..
- घर तौ एक नाम है भरोसै रौ
राजस्थानी कविताएँ
- मांगत ..
- पाखी ..
- केइ वार ..
- पद्मणी ..
- कृष्णाकुमारी ..
राजस्थानी से हिन्दी में अनूदित कविताएँ
- गौरी ..
- तुम्हारी गाथा ..
- वह भेजता है तुम्हें ..
- दु:ख ..
- गहरे तहखाने ..
- उसका विलाप ..
- अर्गला ..
- ये पोथियां ..
- तुम्हारे हौसलों के मार्ग ..
- मेहंदी का अर्थ ..
- आसरा ..
- उसके पास ..
- मन.. ..