हरिदेव
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श्री श्री हरिदेव असम के वैदिक वैष्णव धर्म के प्रथम प्रचारक थे। वे भगवान की पूजा के लिये किसी प्रथा के समर्थक नहीं थे। इसके विपरीत वेद, गीता, भागवत आदि में उल्लिखित एक ही ईश्वर की उपासना में वे विश्वास करते थे। अतः श्रीकृष्ण को सभी देवों का मूल मानकर कृष्ण की पूजा-अर्चना करने में विश्वास करते थे। वे एक शरण वैष्णव धर्म के प्रचार के लिये उन्होने मानेरि सत्र, बहरि सत्र, हरिपुर सत्र और कैहाटी सत्र की स्थापना की। असम में नव-वैष्णव धर्म के चार प्रचारक हैं- श्रीमन्त शंकरदेव, माधवदेव, दामोदर देव, तथा हरिदेव। सत्रपति वैष्णव धर्म प्रचार करने के साथ ही उन्होने भक्तिज्ञापक ग्रन्थ की रचना की। वे गीतकार भी थे।