बीएसई सेंसेक्स
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज | |
प्रकार | शेयर एक्सचेंज |
---|---|
अवस्थिति | मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
निर्देशांक | साँचा:ifempty |
स्थापित | 1986 |
मुद्रा | भारतीय रुपया(₹) |
बाजार पूंजी॰ | US$2.2 trillion (March 2019) |
वेबसाइट | www |
बीएसई सेंसेक्स या मुंबई शेयर बाजार संवेदी सूचकांक भारत का एक मूल्य-भारित सूचकांक है। मुंबई शेयर बाजार ने 1986 में सेंसेक्स की रचना की थी। आज उसकी सिर्फ भारत में हीं नहीं बल्कि विदेश में भी प्रमुख इंडेक्स में गणना होती है। सेंसेक्स में 30 कंपनियों को समाहित किया गया है, जिसकी गणना मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेज मेथाडोलाजी के आधार पर की जाती है। सेंसेक्स का आधारवर्ष 1978-79 है। सेंसेक्स को समय गुजरतें `फ्री प्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेज' मेथाडोलाजी में बदला गया था।
सेंसेक्स का आधार मूल्य १ अप्रैल १९७९ को १०० रु. और आधार वर्ष १९७८-१९७९ है।
जून १९९० को सूचकांक अपने आधार मूल्य से लगभग १० गुना बढ़ गया।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियां
कंपनी | बंद भाव (21/04/2011) (रुपए) | बाजार पूंजीकरण (करोड़ रुपए) पी/ई | अनुपात |
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रिलायंस | 100.95 | 4,40,428 | 20.5 |
ओएनजीसी | 304.20 | 2,60,258 | 14.3 |
टीसीएस | 1191.65 | 2,33,230 | 25.7 |
एसबीआई | 2860.35 | 1,81,629 | 14.7 |
इंफोसिस | 2909.25 | 1,67,032 | 26.7 |
एनटीपीसी | 186.90 | 1,54,108 | 18.5 |
आईटीसी | 190.10 | 1,47,101 | 41.5 |
भारती एयरटेल | 376.60 | 1,43,015 | 21.2 |
आईसीआईसीआई बैंक | 1117.25 | 1,28,370 | 29.3 |
विप्रो | 463.20 | 1,13,690 | 22.2 |
एचडीएफसी बैंक | 2403.80 | 1,11,830 | 28.0 |
एचडीएफसी | 731.90 | 1,07,362 | 35.2 |
लार्सन एंड टूब्रो | 1703.90 | 1,03,870 | 27.9 |
बीएचईएल | 2057.50 | 1,00,719 | 24.4 |
टाटा मोटर्स | 1243.85 | 78,812 | 9.0 |
जिंदल स्टील | 693.70 | 64,826 | 17.2 |
हिंदुस्तान यूनिलीवर | 288.80 | 63,900 | 34.5 |
टाटा स्टील | 628.75 | 60,310 | 8.3 |
स्टरलाइट इंडस्ट्रीज | 178.55 | 60,021 | 13.3 |
महिंद्रा एंड महिंद्रा | 766.15 | 47,037 | 21.0 |
बजाज ऑटो | 1463.45 | 42,346 | 26.8 |
हिंडाल्को | 220.25 | 42,167 | 10.9 |
डीएलएफ | 247.05 | 41,937 | 24.4 |
मारुति सुजुकी | 1306.60 | 37,750 | 15.0 |
हीरो होंडा | 1786.05 | 35,667 | 17.1 |
टाटा पावर | 1330.55 | 31,575 | 13.3 |
सिप्ला | 321.20 | 25,789 | 24.4 |
रिलायंस कम्युनिकेशंस | 106.30 | 21,941 | 9.4 |
जेपी एसोसिएट्स | 101.70 | 21,626 | 49.2 |
रिलायंस इंफ्रा | 696.00 | 18,612 | 11.6 |
बीएसई सेंसेक्स | 19602.23 | 29,73,382.40 | 21.16 |
सेंसेक्स की गति
आधार मूल्य | दिनांक | टिपण्णी |
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1000 | जुलाई 25, 1990 | |
2000 | जनवरी 15, 1992 | |
3000 | फरवरी 29, 1992 | |
4000 | मार्च 30, 1992 | |
5000 | अक्टूबर 11, 1999 | |
6000 | फ़रवरी 11, 2000 | |
7000 | जून 21, 2005 | |
8000 | सितंबर 8, 2005 | |
9000 | दिसम्बर 9, 2005 | |
10000 | फरवरी 7, 2006 | |
11000 | मार्च 27, 2006 | |
12000 | अप्रैल 20, 2006 | |
13000 | अक्टूबर 30, 2006 | |
14000 | दिसम्बर 5, 2006 | |
15000 | जुलाई 6, 2007 | |
16000 | सितंबर 19, 2007 | |
17000 | सितंबर 26, 2007 | |
18000 | अक्टूबर 9, 2007 | |
19000 | अक्टूबर 15, 2007 | |
20000 | अक्टूबर 29, 2007 | |
21000 | जनवरी 8, 2008 |
परिचय
भारत में शेयर बाजार का मापक मुंबई शेयर बाजार (बीएसई) का संवेदी सूचकांक ने रजत जयंती वर्ष में प्रवेश किया है। इसकी स्थापना 2 जनवरी 1986 को उस समय की काफी सक्रिय 30 शेयरों के साथ हुई थी, 1979 आधार वर्ष था। आजकल संवेदी सूचकांक के 30 शेयर बीएसई के कुल पूंजीकरण का लगभग 15वां हिस्सा है।
बीएसई में 4700 से अधिक कंपनियां सूचीबध्द हैं जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार बनाती हैं। हालांकि सभी शेयरों में सक्रिय कारोबार नहीं होता। उनसे भी थोड़े से शेयरों से ही बाजार और अर्थव्यवस्था के रूख के बारे में पता चलता है।
संवेदी सूचकांक की स्थापना के समय मुंबई शेयर बाजार ने कहा था, न्न बाजार के सामान्य रूख को प्रदर्शित करने के लिए इक्विटी मूल्यों के सूचकांक की कमी काफी समय से निवेशकों और समाचार पत्रों द्वारा महसूस की जा रही थी, क्योंकि वे अपना सूचकांक तैयार नहीं कर पाते थे।
संवेदी सूचकांक (सेंसेक्स) क्या है ?
सेंसेक्स मूल्य आधारित सूचकांक (Price index)है और इसकी गणना विमुक्त प्रवाह पूंजीकरण प्रक्रिया के आधार पर होती है। यह प्रक्रिया एक कंपनी के जारी कुल शेयरों के बाजार -पूंजीकरण की पूर्व की प्रक्रिया से अलग है। इसमें कंपनी की केवल उन शेयरों का उपयोग किया जाता है जो कारोबार के लिए पूरी तरह उपलब्ध है। इस विमुक्त प्रवाह प्रक्रिया में प्रोमोटर, सरकार और सांस्थानिक निवेशकों के शेयर शामिल नहीं है। यह प्रक्रिया, बाजार के रूख की सही तस्वीर पेश करने के लिए 1 सितंबर 2003 को लागू की गयी थी।
सेंसेक्स की गणना में 30 कंपनियों के विमुक्त प्रवाह पूंजीकरण को सूचकांक विभाजक से विभाजित कर दिया जाता है। यह विभाजक ही सेंसेक्स के मूल आधार वर्ष से संबध्द होता है। यह सूचकांक को तुलनात्मक बनाता है तथा कारपोरेट गतिविधियों से अथवा शेयर बदलने इत्यादि से सूचकांक में होने वाले फेरबदल के लिए परिवर्तन बिंदु भी है।
सेंसेक्स ने 1986 से एक लंबी यात्रा तय की है और वह फिलहाल 35 गुणा बढ गया है। कारोबार के पहले दिन 1 अप्रैल 1986 को सेंसेक्स 549.43 अंक पर बंद हुआ था। यह अपने रजत जयंती वर्ष में 17467 अंक पर खुला।
सेंसेक्स में भारी गिरावट आई जो की १००० रुपये गिरकर २५०० तक पहुँच गया... यह २४अगस्त २०१५ की सबसे बड़ी गिरावट आई...
सेंसेक्स का स्वरूप
सूचकांक का स्वरूप भी कई बार बदल गया है शुरू की 30 मूल कंपनियों में से 11 ही अभी इसका हिस्सा बनी हुई है। सेंसेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है और मूल मान 100 है।
1986 में संसेक्स में एसीसी, बाम्बे डाइंग, बल्लारपुर इंडस्ट्रीज, सीएट टायर्स, सेंचुरी स्पीनिंग, फूड स्पेशलिटीज़ (अब नेस्ले), ग्रेट इस्टर्न शिपिंग, जीएसएफसी, ग्लैक्सो, ग्वालियर रेयॉन (अब ग्रासिम), हिन्दुस्तान एल्युमिनियम (अब हिंडाल्को), हिन्दुस्तान लीवर (अब हिन्दुस्तान यूनीलीव), हिन्दुस्तान मोटर्स, इंडियन होटल्स, इंडियन रेयॉन, आईटीसी, किर्लोस्कर कुम्मिन्स, लार्सन एंड टूब्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा, मुकंद, पीस इलेक्ट्रानिक्स (अब फिलीप्स), प्रीमियर ऑटोमोबाइल, रिलांयस इंडस्ट्रीज, सीमेंस, टेल्को (अब टाटा मोटर्स), टाटा पावर, टाटा स्टील, वोल्टाज और जेनिथ कंपनियां शामिल थीं।
फिलहाल इसमें एसीसी, भेल, भारती एयरटेल, डीएलएफ, ग्रासिम, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, हीरो होंडा, हिंडाल्को, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, आईसीआईसीआई बैंक, इंफोसिस, जयप्रकाश एसोसिएट्स, लार्सन एंड टूब्रो, महिंद्रा एवं महिंद्रा, मारूति उद्योग, एनटीपीसी, ओएनजीसी, रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस इंडस्ट्रीज, रिलायंस इफ्रास्ट्रक्चर, भारतीय स्टेट बैंक, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, सनफार्मा, टीसीएस, टाटा मोटर्स, टाटा पावर, टाटा स्टील और विप्रो कंपनियां शामिल हैं।
भारतीय निगमित क्षेत्र ने जो नया आयाम प्राप्त किया है उससे उसकी परिवर्तित स्थिति का स्पष्ट संकेत मिलता है। भारत की तीन बड़ी आईटी-आईटीईएस कंपनिओं टीसीएस, इंफोसिस और विप्रो की उपस्थिति से सूचना प्रौद्योगिकी जगत में उसकी पहले से पहुंच रेखांकित होता है। विनिवेश नीति के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र की पांच कंपनियों के प्रवेश ने छिपी संपदा को सबके सामने रख दिया है। तीन रिलायंस कंपनियों की उपस्थिति से निगमों के विभाजन का झलक मिलता है, वहीं भारती एयरटेल, जयप्रकाश एसोसियेट्स और स्टेरलाइट की पहुंच से नई निगमित हस्तियों का आगमन हुआ है और हाल के पिछले वर्षों की नामी कंपनियों जैसे बाम्बे डायिंग, सेंचुरी, हिन्दुस्तान मोटर्स, प्रीमियर आटोमोबाइल्स और ग्रेट इस्टर्न शिपिंग आदि को संवेदी सूचकांक से हटना पड़ा है।
अतीत और वर्तमान की सेंसेक्स कंपनियों पर सरसरी तौर पर निगाह डालने से भारतीय अर्थव्यवस्था के सूर्योदय और सूर्यास्त क्षेत्रों का स्पष्ट चित्र देखने को मिलता है। नई संरचना से भी मुंबई मुख्यालय वाली कंपनियों की भारी उपस्थिति में ह्रास आया जो 1996 में 75 प्रतिशत से अधिक दर्ज किया गया था।
हाल के वर्षों में सेंसेक्स
सेंसेक्स को चार अंकों को पार करने में दो वर्षों से अधिक लगे। 25 जुलाई 1990 को पहली बार सेंसेक्स 1001 अंकों पर बंद हुआ। 1991 में भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण के उपायों की जो घोषणा की थी, उससे आर्थिक गतिशीलता आने लगी थी। 1992-93 में भारतीय बाजार के लिए उपयोगी बजट से आयात-निर्यात की आशाएं बढी ज़िससे मार्च 1992 तक सेंसेक्स में 4000 अंकों का उछाल आया। परिवर्तन का यह दौर हर्षद मेहता घोटाला प्रकरण से पहले आया था। वर्ष 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी की अभूतपूर्व प्रगति के साथ-साथ सेंसेक्स 6000 अंक को पार कर गया। वर्ष 2006 के आसपास विदेशी निवेशक भी सक्रिय हो गए जिसके परिणामस्वरूप 8 सितम्बर 2005 को सेंसेक्स 8000 अंक को पार कर गया। 7 फ़रवरी 2006 बाम्बे सेंसेक्स का स्वर्णिम दिन रहा और इसने 10,000 का आंकड़ा पार कर गया। सेंसेक्स फिर दुगुना हो गया और 29 अक्टूबर 2007 को 20,000 का आंकड़ा भी पार कर गया। यह 8 जनवरी 2008 को 21,078 की ऊंचाई तक पहुंच गया।
इसी बीच वैश्विक मंदी की प्रक्रिया शुरू हुई और विदेशी निवेशकों ने अपने निवेश (शेयर) को बेचना शुरू कर दिया।
सूचकांकों का महत्त्व
प्राय: यह कहा जाता है कि शेयर बाजार देश के आर्थिक स्वास्थ्य को ठीक रखने और उसकी प्रगति बनाये रखने में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह डोव जोन्स के 1884 के निर्माण से शुरू होता है। अब दुनिया में कई शेयर बाजार सूचकांक हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं – एस एंड पी ग्लोबल, डोव जोन्स, एफटीएसई, हांगसेंग एंड निक्केइ। निवेशकों में इनकी अत्यधिक लोकप्रियता के बावजूद इनकी अनेक अवसरों पर बहुत अधिक आलोचना भी हुई है। गड़बड़ घोटाले, निगमित भ्रष्टाचारों, कृत्रिम रूप से शेयरों के अत्यधिक मूल्य दिखाने, शोध फर्मों केर् कत्तव्य और हितों में टकराव आदि अनेक उदाहरण मिलते हैं। इससे बाजार में अस्थिरता पैदा होती है, सूचंकांकों की छवि खराब होती है, क्योंकि तब यह सूचीबध्द कंपनी के सही स्वास्थ्य का परिचायक नहीं रह जाता।
इसके बावजूद शेयर बाजार और उनके सूचकांकों का अभी बहुत महत्व बना हुआ है। शेयर बाजार अर्थव्यवस्था को जरूरी तरलता उपलब्ध कराते हैं। भारत के दो प्रमुख बाजार बीएसई सेंसेक्स एवं निपऊटी ने भारतीय पूंजी बाजार को विश्व मानचित्र पर उत्कृष्ट स्थान दिलाने में बहुत योगदान किया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों की बढती उपस्थिति हमारे बाजार को वैश्विक बाजार से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अन्य सूचकांक
बीएसई का इक्विटी इंडेक्स 'सेंसेक्स' तो लोकप्रिय है ही और उसमें सम्पूर्ण स्टाक मार्केट का सेंटिमेंट प्रतीत होता है, परन्तु इसके साथ ही बीएसई द्वारा विभिन क्षेत्र के शेयर सूचकांक भी शामिल किए जाते हैं। ऐसे सेक्टरल इंडेक्स में टेक्नॉलॉजी, पीएसयू, आटो, बैंकएक्स, कंज्यूमर गुड्स, एफ एम सी जी, हेल्थ केयर, आई टी (इन्फार्मेशन टेक्नॉलॉजी), मेटल, आयल एंड गैस के अलावा डालर के मूल्य में डोलेक्स-100, डोलेक्स-200 अंक का समावेश हैं।
बीएसई-100
बीएसई ने जनवरी 1988 में मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, अहमदाबाद और मद्रास शेयर बाजार की प्रमुख कंपनियों के शेयरों को शामिल कर बीएसई-100 सूचकांक की रचना की थी और उसे नेशनल इंडेक्स के रूप में माना गया। हालांकि 14 अक्टूबर 1996 को उसकी पुनर्रचना की गई और सिर्फ मुंबई शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों को उसमें समाहित कर बीएसई-100 की रचना की गई। बीएसई-100 इंडेक्स के डालर के मूल्य में रूपांतरित इंडेक्स को डोलेक्स-100 के रूप में पहचाना जाता है।
बीएसई-200
बीएसई ने 27 मई 1994 को नए उद्योगों में प्रवेश करनेवाली कंपनियों के बढ़ते मार्केÀट कैपिटलाईजेशन को मद्द्ेनजर रख बीएसई-200 सूचकांक की रचना की थी। बीएसई-200 सूचकांक के डालर मुल्यांकन में रूपांतरित सूचकांक को डोलेक्स-200 के रूप में पहचाना जाता है। लगातार बढ़ती जा रही लिस्टेड कंपनियों की संख्या के साथ मार्केÀट कैपिटलाइजेशन में वृद्धि होने लगी। बाजार के पार्टिसिपंट को ध्यान में रख बीएसई ने अधिक विस्तृत इंडेक्स बीएसई-500 शुरू किया था, जो बीएसई अधिकांश मार्केÀट कैपिटलाइजेशन को समाहित कर लेता है।
नए शेयर सूचकांक की रचना
समय के साथ नए नए क्षेत्र की कंपनियों की बढ़ी संख्या को ध्यान में रख बीएसई ने सेक्टरल सूचकांक की रचना की। 1999 में पांच सेक्टरल सूचकांक प्रारंभ किए गए। 2001 में बीएसई ने पीएसयू इंडेक्स, डोलेक्स-30 और पहली बार बीएसई टेक इंडेक्स का श्रीगणेश किया था। एक्सचेंज द्वारा शेयर सूचकांक के साथ उस सूचकांक की प्रति शेयर आय, बुक वैल्यू रेशियो और प्रतिशत में लाभांश यील्ड (आय) की भी जानकारी दी जाती है। बीएसई इंडेक्स को ट्रेडिंग के दौरान हर 15 सेकेंड में अपडेट करता है। एक्सचेंज की `इंडेक्स कमिटी' द्वारा बीएसई सूचकांक में समय समय पर संशोधन किया जाता है।
उपरोक्त अनुसार बीएसई द्वारा 'सेक्टरल इंडेक्स' के तहत बीएसई टेक्नॉलॉजी (आईटी), बीएसई पीएसयू, बीएसई ऑटो, बीएसई बैंकएक्स, बीएसई कंज्यूमर गुड्स (सीजी), बीएसई कंज्यूमर डयुरेबबल (सीडी), बीएसई एफ एम सी जी, बीएसई हेल्थ केयर (एचसी), बीएसई आई टी, बीएसई मेटल और बीएसई आयल एंड गैस जारी किया जाता है। इस इंडेक्स का मार्केट कैपिटलाइजेशन के अलावा उसके साथ वर्ष का ऊँचा-नीचा स्तर भी दिया जाता है।