शेखर जोशी

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शेखर जोशी कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकार हैं। शेखर जोशी की कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है।[१][२]

जीवन परिचय

शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में सन् 1932 के सितंबर माह में हुआ था। शेखर जोशी का प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इन्टरमीडियेट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए चयन हो गया, जहां वो सन् 1986 तक सेवा में रहे तत्पश्चात स्वैच्छिक रूप से पदत्याग कर स्वतंत्र लेखन में संलग्न हैं।

प्रकाशित रचनाएं

दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने न सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया है। पहाड़ी इलाकों की गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, प्रतिरोध, उम्मीद और नाउम्मीदी से भरे औद्योगिक मजदूरों के हालात, शहरी-कस्बाई और निम्नवर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां - ये सभी उनकी कहानियों के विषय रहे हैं। शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित रचनाएं हैं:

  • कोशी का घटवार 1958
  • साथ के लोग 1978
  • हलवाहा 1981
  • नौरंगी बीमार है 1990
  • मेरा पहाड़ 1989
  • डागरी वाला 1994
  • बच्चे का सपना 2004
  • आदमी का डर 2011
  • एक पेड़ की याद
  • प्रतिनिधि कहानियां

सन्दर्भ

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