शान्तरक्षित

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

शान्तरक्षित (७२५-७८८)[१] ८वीं सदी के भारतीय बौद्ध ब्राह्मण तथा नालन्दा के मठाधीश थे।

शान्तरक्षित ने योगाचार-स्वतान्त्रिक-माध्यमिक दर्शन का प्रवर्तन किया, जिससे नागार्जुन के माध्यमिक सम्प्रदाय, असंग के योगाचार सम्प्रदाय तथा धर्मकीर्ति के सिद्धान्तों का एकीकरण किया। उन्होने तिब्बत में बौद्ध धर्म तथा सर्वस्तिवादिन परम्परा का भी श्रीगणेश किया।

मध्यमकालंकार उनकी ही रचना कही जाती है।


ये माध्यमिक मत के प्रमुख आचार्यों के रूप में विख्यात थे। तिब्बतीय तत्कालीन राजा के निमन्त्रण पर ये वहाँ पहुँच थे। 749 ई॰ में इन्होंने सम्मेलन नामक विहार की यहाँ स्थापना की। यह तिब्बत का सर्वप्रथम बौद्ध विहार है। इस विहार में इन्होंने 13 वर्ष तक निवास किया। अन्ततः यहाँ ही इन्होंने 762 ई॰ में निर्वाण प्राप्त किया। शान्तरक्षित ने अनेक ग्रंथों की रचना की, जो तिब्बती में मिलते हैं, संस्कृत में इनका केवल एक ग्रन्थ ही उपलब्ध है और वह है तत्त्वसंग्रह।

शान्तरक्षित

सन्दर्भ

  1. stanford.edu: Śāntarakṣita (Stanford Encyclopedia of Philosophy) स्क्रिप्ट त्रुटि: "webarchive" ऐसा कोई मॉड्यूल नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ