शंकरासुर

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शंकरासुर या शंकर एक प्रसिद्ध दानव का नाम था।

उत्पत्ति तथा नामकरण

शंकरासुर महर्षि कश्यप के पुत्र के रूप में दनु के गर्भ से उत्पन्न हुआ था। महर्षि कश्यप सदा भगवान शिव शंकर के ध्यान में लीन रहते तथा भगवान विष्णु की भी भक्ति करते। जिस कारण जब दनु ने ४७ दानव को जन्म दिया तो प्रजापति कश्यप ने उसे शंकर नाम दिया। उसके भाई क्रमश:

  1. रम्भ
  2. करम्भ
  3. नमुचि
  4. पुलोमा
  5. असिलोमा
  6. केशी
  7. हयग्रीव
  8. शरभ
  9. शुम्भ
  10. निशुम्भ
  11. दैत्यराज
  12. कालकेतु
  13. विरूपाक्ष
  14. वप्रीचिति
  15. शंबर
  16. अश्वीग्रीव
  17. सूक्ष्म
  18. तुहुंड़
  19. एकपद
  20. एकचक्र
  21. शलभ
  22. महोदर
  23. निचंद्र
  24. निकुम्भ
  25. स्वरभानु
  26. कपट
  27. सूर्य
  28. चन्द्र
  29. एकाक्ष
  30. अमृतप
  31. प्रलब
  32. नरक
  33. वातापी
  34. शठ
  35. गविष्ठ
  36. वनायु
  37. दीघजिह्व
  38. अयःशिरी
  39. अश्वशिरा
  40. अश्वपति
  41. अश्वशंकु
  42. गगनमूर्धा
  43. अश्व
  44. कुजट
  45. तारक
  46. धुम्रकेश
  47. प्रलम्ब
  48. शन्कशिरा
  49. अरिष्ट
  50. महाबल
  51. अयोमुख
  52. विभावसु
  53. कपिल
  54. वृषपर्वा
  55. बनायु
  56. द्विमुर्धा
  57. अनुतापन
  58. अय:शिरा
  59. अश्वशन्कू
  60. अश्वग्रीव

स्वर्ग पर आक्रमण

शंकरासुर असुरों का राजा बन गया था और अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए वह स्वर्ग पर आक्रमण करने पहुँच गया और सभी देवताओं को पराजित करके स्वर्ग से निकाल दिया।

मृत्यु

स्वर्ग से निकाले जाने के बाद देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने देवताओं के कहने पर शंकर से युद्ध किया और यह युद्ध कई वर्षों तक चला और अन्त में भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से शंकर का सिर उसके धड़ से विलग कर दिया। इस युद्ध के समाप्त होने के पश्चात् भगवान विष्णु ने चार माह तक नागों के राजा शेषनाग की शैय्या पर शयन किया और आज यह त्यौहार देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है।